राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) की अध्यक्ष विजया राहटकर के नेतृत्व में एक जांच समिति ने 18 और 19 अप्रैल को पश्चिम बंगाल के मालदा और मुर्शिदाबाद के हिंसा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया। यह दौरा 11 और 12 अप्रैल को मुर्शिदाबाद के सुति, धुलियन, शमशेरगंज, और जंगीपुर इलाकों में वक्फ (संशोधन) विधेयक के विरोध में हुई सांप्रदायिक हिंसा के बाद महिलाओं के खिलाफ अत्याचारों की जांच के लिए किया गया। NCW ने इस मामले में स्वत: संज्ञान लिया था।
शमशेरगंज और जफराबाद दौरा
NCW की टीम ने हिंसा से सबसे अधिक प्रभावित शमशेरगंज और जफराबाद क्षेत्रों का दौरा किया। टीम ने पीड़ितों और स्थानीय निवासियों से मुलाकात कर उनकी शिकायतें दर्ज कीं और जिला प्रशासन के साथ बैठकें कीं। इस बैठक में जिला मजिस्ट्रेट और पुलिस अधीक्षक शामिल थे। बता दें कि NCW ने हिंसा में महिलाओं के खिलाफ अत्याचारों की जांच के लिए एक समिति गठित की है। राहटकर ने कहा कि समिति एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार करेगी और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सिफारिशें देगी।
मुर्शिदाबाद हिंसा के कारण सैकड़ों महिलाओं को भागीरथी नदी पार करके मालदा में शरण लेनी पड़ी। पश्चिम बंगाल पुलिस ने 274 लोगों को गिरफ्तार किया और 60 FIRs दर्ज कीं। एक 9 सदस्यीय विशेष जांच दल (SIT) भी गठित किया गया है।
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राज्यपाल आनंद बोस भी करेंगे दौरा
पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस भी आज मुर्शिदाबाद के हिंसा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर रहे हैं। राज्यपाल बोस शमशेरगंज, धुलियन, सुति, और जंगीपुर के हिंसा प्रभावित इलाकों का दौरा करेंगे। इस दौरान वह पीड़ित परिवारों से मुलाकात करेंगे, राहत शिविरों का निरीक्षण करेंगे, और जिला प्रशासन के साथ कानून-व्यवस्था पर चर्चा करेंगे। बोस ने कहा, 'मैं स्थिति का प्रत्यक्ष आकलन करने जा रहा हूँ। शांति बहाल करना मेरी प्राथमिकता है, और इसके लिए सक्रिय कदम उठाए जाएंगे।'
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हिंसा के बाद मुर्शीदाबाद का क्या हाल?
हिंसा के बाद मुर्शिदाबाद में 70% दुकानें फिर से खुल गई हैं लेकिन कई परिवार अभी भी डर के कारण वापस नहीं लौटे। मालदा के राहत शिविरों में महिलाओं और बच्चों ने बोस और NCW को अपनी डरावनी आपबीती सुनाई, जिसमें घरों में आगजनी, लूटपाट, और शारीरिक हमले शामिल हैं।
'यह एक गंभीर मानवाधिकार उल्लंघन'
राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) की सदस्य अर्चना मजूमदार, जो NCW की जांच समिति का हिस्सा थीं, ने मुर्शिदाबाद हिंसा के पीड़ितों की स्थिति पर गंभीर चिंता जताई। मजूमदार ने आरोप लगाया कि धुलियन के मंदिरपारा इलाके में कई महिलाओं के साथ छेड़छाड़ की गई और उन्हें उनके घरों से जबरन निकाल दिया गया। उन्होंने कहा, 'महिलाओं को न केवल शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया, बल्कि उनके घरों से बेदखल कर दिया गया। यह एक गंभीर मानवाधिकार उल्लंघन है।' उन्होंने पश्चिम बंगाल सरकार से मांग की कि वह पीड़ित महिलाओं और उनके परिवारों की सुरक्षा सुनिश्चित करे और उन्हें उनके घरों में वापस बसाने के लिए तत्काल कदम उठाए। उन्होंने कहा, 'राज्य सरकार की यह जिम्मेदारी है कि वह सभी नागरिकों, विशेष रूप से महिलाओं और बच्चों, को सुरक्षा प्रदान करे।'