ओडिशा के कालिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल टेक्नोलॉजी (KIIT), भुवनेश्वर में हाल ही में एक और नेपाली छात्रा की मौत की खबर सामने आई है। इसी इंस्टीट्यूट में 2 महीने पहले भी समान घटना हुई थी जिसके बाद विश्वविद्यालय प्रशासन और स्थानीय पुलिस पर सवाल उठ रहे हैं। एक नेपाली छात्रा प्रिशा साहा KIIT में फर्स्ट ईयर की बी.टेक छात्रा थी और 1 मई को अपने हॉस्टल के कमरे में मृत पाई गई। पुलिस आयुक्त एस. देव दत्ता सिंह के अनुसार, शाम करीब 7 बजे हॉस्टल के कमरे में उसका शव फांसी से लटका पाया गया। इन्फोसिटी पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। प्रारंभिक जांच में इसे आत्महत्या माना जा रहा है क्योंकि कमरे से कोई भी सुसाइड नोट नहीं मिला। जांच टीम कमरे की तलाशी ले रही है और छात्रा के दोस्तों से पूछताछ की जा रही है। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट का इंतजार है।
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यूनिवर्सिटी ने क्या कहा?
KIIT प्रशासन ने इसे व्यक्तिगत विवाद से जुड़ा बताया और कहा कि आरोपी को हिरासत में लिया गया है। रजिस्ट्रार ज्याना रंजन मोहंती ने इसे रिलेशनशिप प्रॉब्लम बताया है। हालांकि, इस घटना के बाद नेपाली छात्रों ने फिर से विरोध शुरू किया। उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया और कहा कि उत्पीड़न की शिकायतों पर ध्यान नहीं दिया गया। कुछ छात्रों ने सड़क जाम कर संपत्ति को नुकसान पहुंचाया है। ओडिशा उच्च शिक्षा विभाग ने KIIT के संस्थापक अच्युता सामंता को पूछताछ के लिए बुलाया है।
भारत में नेपाल राजदूत ने की जांच की मांग
भारत में नेपाल के राजदूत डॉ. शंकर पी. शर्मा ने एक्स पर पोस्ट कर इस घटना पर अपनी प्रतिक्रिया दी और कहा, 'ओडिशा के केआईआईटी में अपने छात्रावास के कमरे में मृत पाई गई नेपाली छात्रा प्रिशा साह की दुखद मौत से बहुत दुख हुआ। उनके परिवार के प्रति हार्दिक संवेदना। ईश्वर से प्रार्थना है कि उनकी आत्मा को शांति मिले। हम गहन जांच के लिए विदेश मंत्रालय, ओडिशा सरकार, पुलिस और विश्वविद्यालय के साथ मिलकर काम कर रहे हैं।'
2 महीने पहले भी हुई थी ऐसी ही घटना
20 वर्षीय नेपाली छात्रा प्रक्रिति लम्साल, थर्ड ईयर की बी.टेक छात्रा थी जिसने इसी साल 16 फरवरी को अपने हॉस्टल के कमरे में फांसी लगा लिया था। पुलिस ने इसे आत्महत्या माना और जांच में 21 वर्षीय दोस्त अद्विक श्रीवास्तव को हिरासत में लिया गया। प्रक्रिति के चचेरे भाई ने शिकायत दर्ज की थी कि अद्विक ने उसे ब्लैकमेल और उसका उत्पीड़न किया था। घटना के बाद 500 से अधिक नेपाली छात्रों ने कैंपस में विरोध प्रदर्शन किया, जिसमें 'हमें न्याय चाहिए' के नारे लगाए गए। विश्वविद्यालय ने नेपाली छात्रों को तुरंत कैंपस खाली करने का आदेश दिया और उन्हें कटक रेलवे स्टेशन पर छोड़ दिया गया। इस कदम की व्यापक आलोचना हुई। बाद में KIIT ने माफी मांगी और छात्रों को वापस बुलाया।
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प्रशासन की कार्रवाई
विश्वविद्यालय ने दो सिक्योरिटी गार्ड्स को बर्खास्त किया और तीन वरिष्ठ अधिकारियों को निलंबित किया था। ओडिशा सरकार ने अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) सत्यब्रत साहू की अध्यक्षता में एक उच्च-स्तरीय जांच समिति गठित की। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने भी मामले की जांच शुरू की और 10 मार्च 2025 तक रिपोर्ट मांगी। इस बीच नेपाल के प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली ने भारत में नेपाली दूतावास के दो अधिकारियों को भेजा और चेतावनी दी कि अगर मामला निष्पक्ष रूप से हल नहीं हुआ तो नेपाल भारतीय विश्वविद्यालयों में पढ़ने वाले छात्रों के लिए एनओसी जारी करना बंद कर सकता है। भारत के विदेश मंत्रालय ने भी जांच का आश्वासन दिया।