गौतमबुद्ध नगर (नोएडा) पुलिस ने एक फर्जी पुलिस थाने का भंडाफोड़ किया है। थाने को 'इंटरनेशनल पुलिस एंड क्राइम इंवेस्टिगेशन ब्यूरो' के नाम से चलाया जा रहा था। इसमें शामिल आरोपियों ने फर्जी तरीके से इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) और अन्य सुरक्षा एजेंसियों का नकली ऑफिस भी खोल रखा था। नोएडा की थाना फेस 3 की पुलिस ने रविवार को इस गिरोह को पकड़कर फर्जीवाड़े का खुलासा किया।
 
नोएडा पुलिस ने फर्जी थाना चलाने, जनता को गुमराह करने, सरकारी अधिकारियों का रूप धारण करने, जाली दस्तावेजों, फर्जी पहचान पत्रों और पुलिस की मोहरों का इस्तेमाल करके पैसे ऐंठने के आरोप में छह लोगों को गिरफ्तार किया है। अधिकारियों ने रविवार को यह जानकारी दी है।
 
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गुप्त सूचना के आधार पर छापेमारी
एक गुप्त सूचना के आधार पर फेज 3 पुलिस ने रविवार की आधी रात को नोएडा के सेक्टर 70 स्थित मकान संख्या BS-136 पर जाकर छापा मारा। इस मकान में आरोपियों ने एक आधिकारिक एजेंसी जैसा दिखने वाला एक कार्यालय स्थापित कर रखा था। यह फर्जी दफ्तर हाल ही में खोला गया था। हालांकि, पुलिस ने इसका जाल फैलने से पहले ही बंद कर दिया। पुलिस ने मौके से भारी मात्रा में फर्जी दस्तावेज, पहचान पत्र, पासबुक और चेकबुक बरामद की हैं। पकड़े गए सभी 6 आरोपी पश्चिम बंगाल के रहने वाले हैं।
 
उन्होंने कथित तौर पर पुलिस जैसे रंग और लोगो का इस्तेमाल किया, जनजातीय मामलों के मंत्रालय, आयुष मंत्रालय और सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय से कथित तौर पर जाली प्रमाण पत्र प्रदर्शित किए, और इंटरपोल, अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और यूरेशिया पोल से संबद्ध होने का दावा किया। पुलिस ने बताया कि उन्होंने ब्रिटेन में अपना कार्यालय होने का भी दावा किया।
कई मंत्रालयों के दस्तावेज बरामद
आरोपी पुलिस जैसे रंग और लोगो का इस्तेमाल कर रहे थे। इसके अलावा जनजातीय मामलों के मंत्रालय, आयुष मंत्रालय और सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय से कथित तौर पर जाली प्रमाण पत्र रखे हुए थे। साथ ही इंटरपोल, अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और यूरेशिया पोल से संबध रखने का दावा किया। पुलिस ने बताया कि आरोपियों ने ब्रिटेन में अपना कार्यालय होने का भी दावा किया।
 
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डीसीपी ने क्या कहा?
पुलिस बताया कि यह गिरोह लोगों को फंसाने की योजना पर काम कर रहा था। पुलिस ने बताया कि यह केस गाजियाबाद में संचालित फर्जी दूतावास की तरह का है। इसमें सरकारी नाम और अधिकारों का गलत इस्तेमाल करके लोगों को भ्रमित किया जाता था। यहां से मिले फर्जी आईडी कार्ड्स और आधिकारिक दस्तावेजों से साफ है कि आरोपी लोगों को अपने जाल में फंसाने की योजना बना रहे थे। 
 
 
डीसीपी शक्ति मोहन अवस्थी ने बताया, 'हमने एक सुनियोजित धोखाधड़ी अभियान को सफलतापूर्वक विफल कर दिया। आरोपियों ने सेक्टर 70 में 'इंटरनेशनल पुलिस एंड क्राइम इंवेस्टिगेशन ब्यूरो' की आड़ में एक फर्जी कार्यालय स्थापित किया था, जहां वे पुलिस जैसे चिन्ह और मंत्रालय के जाली दस्तावेजों का इस्तेमाल करके जनता को धोखा देकर पैसे ऐंठ रहे थे। छापेमारी के दौरान हमने छह संदिग्धों को गिरफ्तार किया और उनके पास से जाली पहचान पत्र, मंत्रालय के प्रमाण पत्र, चेक बुक, एटीएम कार्ड, विजिटिंग कार्ड, साइनबोर्ड, मोबाइल फोन और 42,300 रुपये नकद सहित कई सबूत जब्त किए।'
 
उन्होंने आगे बताया कि गिरोह ने हाल ही में यह कार्यालय स्थापित किया था और पुलिस जैसे बोर्ड लगाकर लगभग 10 दिनों से काम कर रहा था। यह परिसर 4 जून को किराए पर लिया गया था। अवस्थी ने कहा, 'वे पुलिस के समानांतर एक तंत्र के रूप में काम करने और लोगों को धोखा देने की कोशिश कर रहे थे।'
सभी आरोपी पश्चिम बंगाल के रहने वाले
सभी आरोपी पश्चिम बंगाल के रहने वाले हैं। पुलिस ने इस दौरान विभाष चंद्र अधिकारी, अराग्य अधिकारी, बाबुल चंद्र मंडल, पिंटू पाल, समपमदल और आशीष कुमार को गिरफ्तार किया है। आरोपी पश्चिम बंगाल के कोलकाता, वीरभूम और 24 परगना जिले के रहने वाले हैं। इनमें 4 आरोपी 12वीं पास हैं। एक बीए और एक एलएलबी डिग्री धारक है। सभी वर्तमान में सेक्टर 70 में रह रहे थे। बता दें कि फेज 3 थाने की सेक्टर 70 की दूरी महज एक किलोमीटर है।