त्रिपुरा में बड़ा जुलूस क्यों निकालने जा रहे हैं प्रद्योत देबबर्मा?
राज्य
• AGARTALA 05 Aug 2025, (अपडेटेड 05 Aug 2025, 11:05 PM IST)
माणिक्य देबबर्मा त्रिपुरा में एक नए मुद्दे के साथ में आंदोलन करने जा रहे हैं। विश्व के आदिवासी लोगों के अंतर्राष्ट्रीय दिन पर देबबर्मा राज्य में जनजातीय लोगों के लिए आवाज उठाने जा रहे हैं।

प्रद्योत माणिक्य देबबर्मा। Photo Credit (@PradyotManikya)
त्रिपुरा विधानसभा चुनाव होने में अभी तीन साल का वक्त है लेकिन टिपरा मोथा के संस्थापक और राज्य के शाही परिवार के वंशज प्रद्योत किशोर माणिक्य देबबर्मा की त्रिपुरा की राजनीति में सक्रियता कम नहीं हुई है। देबबर्मा लगातार त्रिपुरा के लोगों के मुद्दों को उठा रहे हैं और राज्य सरकार से इन मुद्दों को सुलझाने की मांग कर रहे हैं। टिपरा मोथा के चीफ माणिक्य देबबर्मा के जनजातीय समुदाय, कोकबोरोक भाषा आदि जैसे मुद्दे उठाकर त्रिपुरा में धीरे-धीरे अपनी पैठ मजबूत कर रहे हैं। उनकी सक्रियता की ही बदौलत टिपरा मोथा पार्टी पिछले विधानसभा चुनाव में लगभग 20 फीसदी वोट हासिल करते हुए 13 सीटें जीत लीं।
अब माणिक्य देबबर्मा त्रिपुरा में एक नए मुद्दे के साथ में आंदोलन करने जा रहे हैं। विश्व के आदिवासी लोगों के अंतर्राष्ट्रीय दिन पर देबबर्मा राज्य में जनजातीय लोगों के लिए आवाज उठाने जा रहे हैं। दरअसल, आगामी 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस है। इसी दिन देबबर्मा त्रिपुरा में एक बड़ा जुलूस निकालने जा रहे हैं।
माणिक्य देबबर्मा ने क्या मांग की?
त्रिपुरा के शाही वंशज प्रद्योत माणिक्य देबबर्मा सोमवार को सरकार से मांग की कि त्रिपुरा जनजातीय क्षेत्र स्वायत्त जिला परिषद (TTAADC) में ग्राम परिषद (VC) के चुनाव तत्काल कराए जाएं। उन्होंने माणिक साहा सरकार पर जनजातीय क्षेत्र स्वायत्त जिला परिषद के चुनाव में देरी करने और आदिवासी समुदायों को संवैधानिक अधिकारों से वंचित करने का आरोप लगाया है।
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प्रद्योत ने एक जनसभा में टिपरा मोथा पार्टी के कार्यकर्ताओं और आदिवासी जनता को संबोधित करते हुए कहा, 'यह केवल टिपरा मोथा का मुद्दा नहीं है। यह एक संवैधानिक मुद्दा है। यह गांवों के लोगों की आवाज है और इस समय, समय पर चुनाव ना कराकर उस आवाज को दबाया जा रहा है।'
'9 अगस्त को 'हमारा दिन'
उन्होंने आगे कहा, '9 अगस्त को 'हमारा दिन' है।' प्रद्योत देबबर्मा ने अपने अधिकारों के लिए मांग करने का आह्वान करते हुए त्रिपुरा के आदिवासी लोगों से पारंपरिक पोशाक पहनने, चकवी, गुडोक और मोसडेंग जैसे देशी खाना बनाने और अपनी सांस्कृतिक पहचान का गर्व से जश्न मनाने का आग्रह किया। प्रद्योत का यह कदम त्रिपुरा में इस साल एक राजनीतिक विरोध के तौर पर भी काम करेगा।
टिपरा मोथा पार्टी ने 9 अगस्त को दोपहर 3 बजे पश्चिमी त्रिपुरा जिले के खुमुल्वंग टाउन में एक बड़ी रैली और उसके बाद शाम 6 बजे सभी ब्लॉक मुख्यालयों पर होमचांग (मशाल जुलूस) रैली निकालने की घोषणा की है। इन रैलियों का नेतृत्व टिपरा मोथा की ब्लॉक समितियां और उससे जुड़े संगठन करेंगे।
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लोगों के अधिकारों का हनन
यह घोषणा करते हुए प्रद्योत देबबर्मा ने कहा, 'आप किसी भी पार्टी से जुड़े हो सकते हैं, लेकिन गांव में चुनाव न कराना आपके अधिकारों का हनन है।' उन्होंने दोहराया कि ग्राम सभा चुनावों में देरी छठी अनुसूची के प्रावधानों को कमजोर करती है जो आदिवासी स्वशासन की गारंटी देते हैं।
दबाव में आई माणिक सरकार
टिपरा मोथा पार्टी के द्वारा उठाए जा रहे इस मुद्दे पर बीजेपी के नेतृत्व वाली माणिक साहा सरकार दबाव में आ गई है। मगर दबाव में आने के बावजूद राज्य चुनाव आयोग ने अभी तक चुनाव की तारीखों की घोषणा नहीं की है। वहीं, टिपरा मोथा का कहना है कि कार्यात्मक ग्राम सभाओं का अभाव ग्रामीण क्षेत्रों में विकास कार्यों में बाधा डाल रहा है और जमीनी स्तर पर आदिवासी प्रतिनिधित्व को हाशिए पर धकेल रहा है।
इन मुद्दों को भी उठाया
इससे पहले इसी साल मार्च में प्रद्योत देबबर्मा ने त्रिपुरा के छात्रों और उनके अभिभावकों को टारगेट करते हुए केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को पत्र लिखकर त्रिपुरा बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (TBSE) और सीबीएसई परीक्षाओं में कोकबोरोक भाषा के लिए रोमन लिपि पर कार्रवाई करने की मांग की थी। प्रद्योत ने पत्र में कहा था कि यह पत्र तत्परता और दृढ़ संकल्प के साथ त्रिपुरा के कोकबोरोक भाषी समुदाय की ओर से एक जरूरी और लंबे समय से चले आ रहे मुद्दे को लेकर लिखा गया है, जो त्रिपुरा बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन और सीबीएसई की परीक्षाओं में छात्रों की शैक्षणिक सफलता और निष्पक्षता को कमजोर कर रहा है।
प्रद्योत ने कहा था कि कोकबोरोक भाषा स्थानीय तिप्रासा लोगों द्वारा बोली जाने वाली एक विशिष्ट तिब्बती-बर्मी भाषा है, जो न केवल त्रिपुरा की राज्य भाषा है, बल्कि इस क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत का एक अटूट हिस्सा भी है।
त्रिपुरा में प्रद्योत देबबर्मा की बढ़ती ताकत
प्रद्योत देबबर्मा की टिपरा मोथा पार्टी साल 2018 में पहली विधासभा चुनाव लड़ी थी। इस चुनाव में टिपरा मोथा ने 7 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे। चुनाव में पार्टी एक भी सीट नहीं जीत पाई लेकिन 1.79 फीसदी वोट हासिल करके त्रिपुरा की राजनीति में अपनी मौजूदगी दर्ज करवा दी। इसके बाद प्रद्योत लगातार पांच साल तक राज्य की सियासत में सक्रिय रहे और लोगों के मुद्दे उठाते रहे। इसका नतीजा ये रहा कि 2023 के विधानसभा चुनाव में प्रद्योत देबबर्मा की पार्टी छा गई।
इस चुनाव में त्रिपुरा के लोगों ने टिपरा मोथा पर भरोसा जताया। प्रद्योत देबबर्मा ने राज्य की 42 विधानसभाओं में अपने उम्मीदवार उतारे। इसमें से 13 उम्मीदवार जीतकर विधानसभा पहुंचे। 2023 के चुनाव में प्रद्योत देबबर्मा की पार्टी को अभूतपूर्व 19.7 फीसदी वोट हासिल हुए। इस चुनाव में उन्होंने आदिवासी और राज्य के दबे हुए मुद्दों को उठाकर जमी-जमाई पार्टियों को चुनौती पेश की। अब अक बार फिर से प्रद्योत देबबर्मा और उनकी पार्टी टिपरा मोथा त्रिपुरा जनजातीय क्षेत्र स्वायत्त जिला परिषद में ग्राम परिषद के चुनाव कराए जाने का मुद्दा उठाकर राज्य में अपनी पैठ मजबूत कर रहे हैं।
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