उत्तराखंड के संसदीय कार्य एवं वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने रविवार को आखिरकार अपना इस्तीफा दे दिया। उन्होंने इस्तीफा उत्तराखंडो विधानसभा में अपने दिए गए एक विवादित बयान के बाद दिया। अग्रवाल ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को को अपना इस्तीफा सौंपा।
प्रेमचंद अग्रवाल ने अपने पद से इस्तीफा देते हुए भावुक हो गए। उन्होंने कहा, 'मैं हमेशा चाहता हूं कि मेरा राज्य विकास करे और आगे बढ़ता रहे। इसके लिए जो भी योगदान देना होगा, मैं करूंगा। इसलिए आज मैंने अपने पद से इस्तीफा देने का फैसला किया है।'
दरअसल, उन्होंने उत्तराखंड विधानसभा में 'पहाड़-मैदान' को लेकर अभद्र टिप्पणी की थी। पिछले काफी समय से राज्य में उनका विरोध हो रहा था। होली से पहले मुख्यमंत्री धामी दिल्ली गए थे और उन्होंने बीजेपी के शीर्ष नेताओं से इस मसले पर मुलाकात करके चर्चा की थी। माना जा रहा था कि जल्द ही अग्रवाल से इस्तीफा मांगा जा सकता है।
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क्या है अभद्र टिप्पणी?
हाल में राज्य विधानसभा में बजट सत्र के दौरान कांग्रेस विधायक मदन बिष्ट ने अग्रवाल के खिलाफ टिप्पणी की थी, जिस पर भड़कते हुए मंत्री ने कहा था कि क्या उत्तराखंड केवल पहाड़ के लिए बना है और क्या हमने इसी दिन के लिए आंदोलन किया था कि पहाड़ी और देसी (मैदानी) को लेकर टिप्पणियां की जाएं। इस दौरान अग्रवाल ने अपशब्द भी कह दिया था।
सोशल मीडिया से लेकर सड़कों तक प्रदर्शन
अग्रवाल की टिप्पणी को लेकर सोशल मीडिया से लेकर प्रदेश में सड़कों तक प्रदर्शन हुआ और उनके पुतले फूंके गए। मुख्य विपक्षी कांग्रेस और उत्तराखंड क्रांति दल ने अग्रवाल को राज्य मंत्रिमंडल से बाहर किए जाने की जोरदार मांग की थी। हाल में प्रदेश की ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में भी कई प्रमुख संगठनों ने अग्रवाल को मंत्रिमंडल से बर्खास्त किए जाने की मांग को लेकर जोरदार रैली निकाली थी।
अग्रवाल ने अपने बयान पर खेद जताया
इससे पहले, अग्रवाल ने अपने बयान पर खेद जताया था जबकि प्रदेश इकाई नेतृत्व ने उन्हें तलब कर सार्वजनिक जीवन में संयम बरतने और उचित शब्दावली का प्रयोग करने की कड़ी हिदायत दी थी।