केरल में डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया (डीवाईएफआई) के कार्यकर्ताओं ने सोमवार को विरोध प्रदर्शन किया है। डीवाईएफआई के कार्यकर्ताओं ने अलप्पुझा जिले के मावेलीकारा स्थित एक केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) स्कूल में आयोजित 'पाद पूजा' अनुष्ठान के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर नाराजगी जाहिर की है। डीवाईएफआई केरल की सत्तारूढ़ माकपा का एक युवा संगठन है।
प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि 'पाद पूजा' के अवसर पर शिक्षकों ने बच्चों से अपने पैर धुलवाए। प्रदर्शनकारियों ने 'पाद पूजा' के मौके पर बच्चों से पैर धुलवाने को लेकर आपत्ति दर्ज की है। प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि पिछले हफ्ते गुरू पूर्णिमा के अवसर पर विवेकानंद विद्यापीठ में आयोजित 'पाद पूजा' के दौरान कथित तौर पर बच्चों से भारतीय जनता पार्टी के एक स्थानीय नेता के पैर धुलवाए गए थे।
पुलिस ने दावा किया है कि प्रदर्शनकारी महिलाओं ने स्कूल से कुछ मीटर पहले बैरिकेडिंग को लांघने की कोशिश कर रहीं थी। आरोप है कि प्रदर्शनकारी महिलाओं ने पुलिस वालों से हल्की-फुल्की नोक-झोक भी कर ली थी। प्रदर्शनकारियों ने भाजपा नेता और स्कूल के प्रबंधन के खिलाफ खूब नारेबाजी की और विरोध व्यक्त किया। प्रदर्शनकारियों ने भाजपा नेता से इस्तीफे की मांग भी कर रहे थे।
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कैसे शुरू हुआ विरोध प्रदर्शन?
यह विरोध प्रदर्शन तब शुरू हुआ जब राज्यपाल राजेंद्र आर्लेकर ने एक विशेष वर्ग की ओर से की जाने वाली गुरू पूजा की प्रथा को बचाने पर जोर देते हुए एक बयान जारी किया था, जिस पर सामान्य शिक्षा मंत्री वी.शिवनकुट्टी ने अपत्ति जताई थी। आपत्ति जताने के एक दिन बाद यह विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ था। दरअसल, राज्यपाल ने गुरू पूजा की प्रथा को बचाने के लिए कहा कि शिक्षकों के चरणों में पुष्प अर्पित करना भारतीय संस्कृति का हिस्सा है। राज्यपाल के इस बयान को लेकर सामान्य शिक्षा मंत्री ने उनपर आरोप लगाते हुए कहा कि राज्यपाल राज्य में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का एजेंडा लागू करने की कोशिश कर रहे हैं।
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इन पार्टियों ने जताया विरोध
राजेंद्र आर्लेकर के बयान के खिलाफ मंत्री के अलावा, माकपा के राज्य सचिव एम वी गोविंदन और ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) महासचिव के सी वेणुगोपाल भी सामने आए। कुछ मीडिया की खबरों में बताया गया है कि 10 जुलाई को मनाए गए गुरु पूर्णिमा दिवस पर कासरगोड और मावेलीकारा में भारतीय विद्यानिकेतन प्रबंधन के तहत दो सीबीएसई स्कूलों में 'पाद पूजा' समारोह आयोजित किए गए थे।