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कागज दिखाओ या रोहिंग्या कहलाओ- पुणे में पूर्व सैनिक को भीड़ ने धमकाया

पुणे में एक परिवार को अज्ञात लोगों की भीड़ ने भारतीय नागरिकता दिखाने के लिए धमकाया। जानिए क्या है मामला।

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सांकेतिक चित्र(Photo Credit: Freepik)

पुणे शहर से एक बेहद चौंकाने वाली घटना सामने आई है। यह घटना उस परिवार के साथ घटी है, जिसका एक सदस्य भारत के लिए कारगिल युद्ध में लड़ा था। परिवार ने आरोप लगाया है कि कुछ अज्ञात लोगों की भीड़ ने उनके घर पर हमला किया और उन्हें डराया-धमकाया। भीड़ ने उन्हें 'अवैध प्रवासी' बताते हुए भारतीय नागरिकता के दस्तावेज मांगने शुरू कर दिए।

 

यह घटना 26 जुलाई की रात करीब 11:30 बजे पुणे के चंदन नगर इलाके में हुई। पीड़ित परिवार के अनुसार, 30 से 40 अज्ञात लोग उनके घर में जबरन घुस आए और उनसे नागरिकता साबित करने को कहा। यह सभी लोग गुस्से में थे और परिवार को धमका रहे थे कि अगर उन्होंने दस्तावेज नहीं दिखाए, तो उन्हें बांग्लादेश से आया अवैध प्रवासी या रोहिंग्या माना जाएगा।

 

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भारतीय सेना से है परिवार का संबंध

इस परिवार का इतिहास भारतीय सेना से जुड़ी रही है। परिवार के एक सदस्य, हकीमुद्दीन शेख, भारतीय सेना के 269 इंजीनियर रेजिमेंट के पूर्व सैनिक हैं और उन्होंने 1999 के कारगिल युद्ध में हिस्सा लिया था। वे इसके पहले 16 सालों तक देश की सेवा कर चुके हैं। इतना ही नहीं, उनके परिवार के सदस्य 1965 और 1971 की लड़ाइयों में भी भारतीय सेना का हिस्सा रहे हैं।

 

हकीमुद्दीन शेख ने बेहद दुख और हैरानी के साथ कहा, 'मैंने 16 साल तक देश की सेवा की है। मेरा परिवार पूरी तरह भारतीय है, फिर भी हमसे हमारी नागरिकता का सबूत क्यों मांगा जा रहा है?' उन्होंने यह भी बताया कि उनका मूल निवास तो कहीं और है लेकिन उनका पूरा परिवार पुणे में 1960 से रह रहा है।

 

घटना के समय स्थानीय पुलिस भी पास ही थी। एक पुलिस वैन वहीं मौजूद थी और एक अधिकारी ने बीच-बचाव की कोशिश जरूर की लेकिन परिवार की मदद नहीं की। रिपोर्ट के अनुसार, जब परिवार ने खुद ही चंदन नगर पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज करवाई, तो उन्हें उम्मीद थी कि उन्हें सुरक्षा मिलेगी। हालांकि इसके उलट पुलिस ने परिवार के सभी पुरुष सदस्यों को आधी रात को थाने बुलाकर घंटों बैठा कर रखा। बताया जा रहा है कि उन्हें रात 12 बजे के करीब थाने ले जाया गया और सुबह 3 बजे तक वहीं रखा गया।

 

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परिवार इस घटना से बेहद आहत है। उन्हें न सिर्फ भीड़ ने डराया, बल्कि पुलिस के रवैये से भी अपमानित महसूस हुआ। उनका कहना है कि देश के लिए जान की बाजी लगाने वाले परिवार के साथ इस तरह का बर्ताव होना न केवल निंदनीय है बल्कि दुखद भी है।

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