पंजाब के शिक्षा मंत्री हरजोत सिंह बैंस को सिखों की सर्वोच्च धार्मिक संस्था अकाल तख्त ने बुधवार को 'तन्खैया' (धार्मिक सजा) घोषित कर दिया है। यह सजा गुरु तेग बहादुर की शहादत को याद करने के लिए पिछले महीने आयोजित एक समारोह में 'मर्यादा' (सिख धार्मिक नियमों) के उल्लंघन के कारण दी गई। उनके ऊपर आरोप है कि उन्होंने 24 जुलाई को पंजाब भाषा विभाग की तरफ से जम्मू कश्मीर के श्रीनगर में श्री गुरु तेग बहादुर जी के 350वें शहीदी दिवस पर नाच-गाने का कार्यक्रम कराने पर पांच सिंह साहिबानों के सामने अपनी गलती स्वीकार की।
अकाल तख्त के पांच साहिबानों ने हरजोत सिंह को सजा के तौर पर जूते साफ करने, सड़क पर झाड़ू लगाने और दिल्ली के दो गुरुद्वारों में 'सेवा' करने का आदेश दिया। ये गुरुद्वारे गुरु तेग बहादुर की शहादत से जुड़े हैं। हरजोत सिंह को दिल्ली में गुरुद्वारा शीशगंज साहिब और श्री आनंदपुर साहिब में शीशगंज साहिब जाना है। इसके बाद दोनों जगह पर नतमस्तक होकर 2 दिनों तक जोड़ा घरों (जूता घर) में सेवा करनी होगी। साथ ही 1100 रुपये की देग (प्रसाद) चढ़ाकर अरदास करवाएंगे।
यह भी पढ़ेंः पंजाब: एक के बाद एक फट गए कई सिलेंडर; 2 की मौत, 3 घायल
हरजोत ने मानी गलती
हरजोत सिंह ने पहले ही अपनी गलती स्वीकार कर ली थी, जब अकाल तख्त ने उन्हें बुलाया था। बुधवार को उन्होंने पंजाब की आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार की ओर से भी अपनी गलती दोहराई। जिस कार्यक्रम को लेकर विवाद हुआ है उसमें पंजाबी सिंगर बीर सिंह के परफॉर्मेंस दी थी। 1 अगस्त को मंत्री हरजोत सिंह बैंस और भाषा विभाग के डायरेक्टर जसवंत सिंह जफर को पांच सिंह साहिबानों के सामने व्यक्तिगत रूप से पेश होने का आदेश दिया गया था।
उस दिन बैठक स्थगित हो गई थी। दोनों को 6 अगस्त को पेश होने के लिए कहा गया था। जफर विदेश में होने के कारण पेश नहीं हो पाए थे और चिट्ठी भेजकर बाद में पेश होने की अनुमति दिए जाने का आग्रह किया था। वह अब 13 अगस्त को पेश होंगे।
अकाल तख्त का निर्देश
अकाल तख्त ने कहा कि सरकार को गुरुओं के जीवन और शिक्षाओं पर सेमिनार, सम्मेलन और लेक्चर आयोजित करने चाहिए, लेकिन सिख धार्मिक नियमों का पालन करना जरूरी है। इसके लिए सरकार को शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) की धर्म प्रचार समिति की मदद लेनी चाहिए।
जत्थेदार कुलदीप सिंह गड़गज ने मंत्री हरजोत सिंह को सजा सुनाते हुए कहा कि वह अमृतसर में गोल्डन टेंपल से गुरु के महल तक पैदल जाएंगे। यहां साफ-सफाई करेंगे। इसके बाद गुरुद्वारा कोठा साहिब पहुंचने से 100 मीटर पहले उतर जाएंगे। सहां से गुरुद्वारे तक पैदल जाएंगे। साथ ही रास्ते की साफ-सफाई कराएंगे। इशके बाद गुरुद्वारा पातशाही बाबा बकाला साहिब पहुंचने से 100 मीटर पहले उतर जाएगे और सड़कों को सही कराएंगे।
क्या है विवाद?
गुरु तेग बहादुर की 350वीं शहादत की याद में नवंबर में होने वाले आयोजनों को लेकर पहले से ही विवाद चल रहा था। सिखों की चुनी हुई धार्मिक संस्था SGPC ने सरकार के अलग-अलग आयोजनों पर आपत्ति जताई थी। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने जवाब में पूछा था कि क्या SGPC को ऐसे आयोजनों का 'कॉपीराइट' है।
24 जुलाई को श्रीनगर में पंजाब सरकार के भाषा विभाग द्वारा आयोजित एक समारोह में गायक बीर सिंह के प्रदर्शन को अनुचित माना गया। यह आयोजन गुरु तेग बहादुर की 350वीं शहादत की याद में था। इस मौके पर उत्सवपूर्ण गायन और नृत्य के वीडियो वायरल हो गए, जिससे सिख समुदाय की भावनाएं आहत हुईं।
यह भी पढ़ेंः चंडीगढ़ में घुसते ही पुलिसवाला नहीं देगा हाथ, डीजीपी का फरमान
माफी और सुनवाई
हरजोत सिंह ने माफी मांगी और अकाल तख्त द्वारा बुलाए जाने पर सुनवाई के लिए 'विनम्रतापूर्वक' प्रस्तुत हुए। भाषा विभाग के निदेशक जसवंत सिंह जफर ने विदेश में होने के कारण और समय मांगा है। बीर सिंह ने भी पहले ही सिख पादरियों से माफी मांग ली थी। अकाल तख्त सिख समुदाय में धार्मिक सजा देने का पारंपरिक अधिकार रखता है। यह सजा गुरुद्वारों में सेवा से लेकर सामाजिक-धार्मिक बहिष्कार तक हो सकती है।