आम की 300 से ज्यादा प्रजातियां विकसित करने वाले पद्मश्री हाजी कलीम कलीमुल्लाह खान ने आम की एक नई प्रजाति का नामकरण रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के नाम पर किया है। कलीमुल्लाह खान ने मलीहाबाद में अपने बाग में 'ग्राफ्टिंग' तकनीक से तैयार की गई आम की नई किस्म का नाम रक्षा मंत्री के नाम पर रखा है। उन्होंने कहा कि इस नई किस्म को 'राजनाथ आम' कहा जाएगा। उन्होंने बताया कि उन्होंने यह फैसला ऑपरेशन सिंदूर में मिली सफलता के बाद किया है।
'ग्राफ्टिंग' बागवानी की ऐसी तकनीक है जिसमें दो अलग-अलग पौधों के हिस्सों को जोड़कर एक नया पौधा बनाया जाता है। ग्राफटिंग तकनीक की मदद से तैयार की गई इस नई किस्म के आम लगभग 10 इंच लंबा होगा और इसका वजन 700 ग्राम तक होगा। कलीमुल्लाह खान का कहना है कि अभी इस आम का वजन और बढ़ेगा। उन्होंने अपने बाग में लगे इस आम के पौधे पर राजनाथ सिंह के नाम की पट्टिका (नेम प्लेट) लगाई है। उनका कहना है, 'जैसे राजनाथ सिंह की कद काठी लंबी-चौड़ी है , वैसे ही यह नया आम भी बड़े आकार का है। यह नई प्रजाति 7-8 साल में तैयार हुई है। अब तक इसमें कोई फल नहीं आया है इस साल ही इसमें पहली बार फल आएगा'
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ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बाद रखा नाम
कलीमुल्लाह खान ने बताया कि उन्होंने यह नामकरण ऑपरेशन सिंदूर में भारत की सफलता के बाद किया है। उनका कहना है कि राजनाथ सिंह देश के रक्षा मंत्री हैं और उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर की सफलता में अहम भूमिका निभाई है। इस ऑपरेशन में उनकी भूमिका को देखते हुए ही कलीमुल्लाह खान ने आम की नई प्रजाति का नाम राजनाथ सिंह आम रखा है। उन्होंने कहा है कि यह आम पकने के बाद बेहद स्वादिष्ट होगा ठीक उसी तरह जिस तरह रक्षा मंत्री ने देश की रक्षा में मिठास घोली है।
कलीमुल्लाह खान बागवानी के क्षेत्र में अहम योगदान और समर्पण के लिए पद्मश्री से नवाजे गए हैं। उन्होंने पहले भी कई हस्तियों के नाम पर अपने बाग के आम के नाम रखे हैं। इससे पहले नरेन्द्र मोदी, अमित शाह, सचिन तेंदुलकर, ऐश्वर्या राय, अखिलेश यादव और सोनिया गांधी समेत कई बड़ी भारतीय हस्तियों के नाम पर आम की किस्मों का नाम रख चुके हैं।
उन्होंने कहा, 'मैं अपने आमों का नाम उन लोगों के नाम पर रखता हूं जिन्होंने सच्चे मायनों में देश की सेवा की है। मैं चाहता हूं कि ये नाम पीढ़ियों तक जिंदा रहें। कई बार लोग महान नेताओं को भूल जाते हैं लेकिन अगर कोई आम उन्हें राजनाथ सिंह के अच्छे काम की याद दिलाता है तो यह नाम रखना सफल है। हाल ही में पाकिस्तान के बारे में एक चर्चा के दौरान मैंने महसूस किया कि वह युद्ध नहीं बल्कि शांति चाहते हैं।'
कलीमुल्लाह खान ने पिछले 60 साल में अपने बाग में आम की 300 से अधिक प्रजातियां उगाई हैं। आम का पेड़ देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। उन्होंने देश के गृह मंत्री अमित शाह के नाम पर भी एक आम की किस्म का नाम रखा है। वह इस नामकरण से संतुष्ट नहीं है और उनका कहना है कि अमित शाह के योगदान के बराबर वह आम नहीं था इसलिए वह एक बार फिर से कोशिश में लगेंगे।
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पहलगाम आतंकी हमले पर क्या बोले कलीमुल्लाह खान ?
कलीमुल्लाह खान ने पहलगाम आतंकवादी हमले का जिक्र करते हुए कहा, 'पाकिस्तान ने आक्रमण की शुरुआत की लेकिन आज, माहौल बेहतर हो गया है। युद्ध नहीं बल्कि शांति ही समाधान है। समस्याओं का समाधान बातचीत के जरिए होना चाहिए। युद्ध सिर्फ नफरत को बढ़ाता है और इससे सभी का नुकसान होता है।' उन्होंने अपने दशहरी और अन्य किस्म के आमों के लिए पूरी दुनिया में मशहूर मलीहाबाद क्षेत्र का जिक्र करते हुए बताया कि 1919 के आसपास इस क्षेत्र में आम की 1,300 से ज्यादा किस्म थीं।
उन्होंने कहा, 'वक्त के साथ कई किस्में बाजार से गायब हो गईं। मैं उन्हें संरक्षित करने और फिर से जीवित करने के लिए काम कर रहा हूं। मैंने अब तक 300 से ज्यादा आम की किस्में तैयार की हैं।'
कलीमुल्लाह खान ने कहा, 'मैं चाहता हूं कि मेरे जाने के बाद भी लोग आम की अलग-अलग किस्मों का जायका लेते रहें। आम दुनिया के उन कुछ फलों में से एक है जो लोगों को स्वस्थ रहने में मदद कर सकता है।' कलीमुल्लाह खान ने कहा कि उन्होंने अलग-अलग जगहों पर आम से होने वाले औषधीय लाभों के सबूत दिए हैं और अब यह देखना होगा कि रिसर्च संस्थान इन निष्कर्षों को कितनी दूर तक ले जा सकते हैं तथा उन्हें कैसे इसे वैज्ञानिक प्रगति में बदल सकते हैं।