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80 लोग घुसे, भारतीयता का मांगा सबूत; पूर्व सैनिक के घर में क्या हुआ था

करगिल युद्ध में देश के लिए लड़ने वाले एक पूर्व सैनिक के परिवार के सदस्यों ने आरोप लगाया है कि हिंदूवादी संगठन से जुड़े करीब 80 लोग उनके घर में जबरन घुस आए और भारतीय होने का सबूत मांगा।

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प्रतीकात्मक तस्वीर। (Photo Credit: PTI)

पुणे से एक शर्मनाक घटना सामने आई है, जहां हिंदूवादी संगठन से जुड़े 80 से ज्यादा लोगों ने पूर्व सैनिक के घर में घुसकर उनके परिजनों से उनके भारतीय होने का सबूत मांगा। पूर्व सैनिक के परिजनों ने आरोप लगाया है कि भीड़ घर में जबरन घुस आई, उनसे भारतीय होने का सबूत मांगा और उन्हें पुलिस थाने चलने के लिए मजबूर किया गया। उन्होंने बताया कि भीड़ 'जय श्री राम' के नारे लगा रही थी। भीड़ ने उन पर बांग्लादेशी होने का आरोप लगाया था।

 

पुणे के पुलिस कमिश्नर अमितेश कुमार ने बुधवार को बताया कि शेख परिवार के घर के बाहर नारे लगाने वाले कुछ लोगों के खिलाफ गैरकानूनी तरीके से इकट्ठा होने का मामला दर्ज किया गया है।

 

पुलिस ने बताया कि शेख परिवार के दस्तावेजों की जांच की गई और सभी वैध पाए गए। शेख परिवार ने दावा किया कि यह घटना शनिवार की आधी रात को शहर के चंदननगर इलाके में हुई। परिवार ने आरोप लगाया कि इस दौरान सादे कपड़ों में कुछ पुलिसकर्मी भी मौजूद थे लेकिन वे चुपचाप खड़े रहे।

करगिल की लड़ाई लड़ चुके हैं हकीमुद्दीन शेख

इरशाद शेख ने बताया कि उनके बड़े भाई हकीमुद्दीन शेख भारतीय सेना में सेवाएं दे चुके हैं और उन्होंने करगिल की लड़ाई में भी हिस्सा लिया था। वह 2000 में इंजीनियर्स रेजिमेंट से हवलदार के पद से रिटायर हो गए थे। हकीमुद्दीन अब उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ में रहते हैं।

 

इरशाद ने कहा, 'मेरे बड़े भाई उत्तर प्रदेश में रहते हैं, जबकि मैं अपने दो भाइयों और उनके बच्चों के साथ पिछले कई दशक से पुणे के चंदननगर इलाके में रह रहा हूं'

 

उन्होंने कहा, 'शनिवार आधी रात को लगभग 80 लोग अचानक हमारे घर आए और जोर-जोर से दरवाजा खटखटाने लगे। जब हमने दरवाजा खोला तो उनमें से कुछ लोग अंदर घुस आए और परिवार के सदस्यों के आधार कार्ड मांगने लगे' उन्होंने आरोप लगाया कि जब उन्होंने दस्तावेज दिखाए तो लोगों ने उन्हें फर्जी बताकर महिलाओं और बच्चों से आधार कार्ड दिखाने को कहा।

 

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गाली-गलौच की, बांग्लादेशी होने का आरोप लगाया

इरशाद ने बताया कि उन्होंने भीड़ को समझाने की कोशिश की कि उनका परिवार 60 साल से यहां रह रहा है और उनके बड़े भाई के अलावा दो चाचा भी सेना में रहे हैं।

 

उन्होंने दावा किया, 'वे लोग सुनने को तैयार नहीं थे। उन्होंने गाली-गलौच की और हम पर बांग्लादेशी होने का आरोप लगाया। मैंने उनसे कहा कि अगर वे जांच करना चाहते हैं तो कर सकते हैं लेकिन आधी रात को किसी के घर में घुसकर गाली-गलौच करना और बच्चों को दस्तावेज दिखाने के लिए मजबूर करना सही नहीं है'

 

इरशाद ने दावा किया कि जब हिंदुत्व कार्यकर्ताओं के समूह ने 'जय श्री राम' के नारे लगाने शुरू किए और परिवार के सदस्यों को पुलिस थाने जाने के लिए मजबूर करने की कोशिश की तो उनके साथ आए दो लोगों ने खुद को पुलिसकर्मी बताया। उन्होंने आरोप लगाया कि सादे कपड़े पहने ये दोनों पुलिसकर्मी पूरे घटनाक्रम के दौरान चुपचाप खड़े रहे और कुछ नहीं किया।

 

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पुलिस पर भी लगाए इरशाद ने आरोप

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि जब वे चंदननगर थाने पहुंचे तो महिला एसपी ने उनके दस्तावेज ले लिए और उन्हें बाहर इंतजार करने को कहा।

 

इरशाद ने कहा, 'हमें दो घंटे इंतजार कराने के बाद अधिकारी ने हमें अगले दिन फिर आने को कहा और चेतावनी दी कि अगर हम ऐसा नहीं करते हैं तो हमें बांग्लादेशी नागरिक घोषित कर दिया जाएगा' उन्होंने कहा कि वे अगले दिन फिर थाने गए। उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस ने उनसे कहा कि वे इस मुद्दे को तूल न दें और शिकायत दर्ज न कराएं।

 

इरशाद ने कहा, 'हमें इस घटना को मुद्दा न बनाने और कोई शिकायत दर्ज न कराने के लिए कहा गया। पुलिस अब हम पर दबाव बनाने और यह दिखाने की कोशिश कर रही है कि हमारे घर में कोई नहीं घुसा था' उन्होंने दावा किया कि अगर दस्तावेज में कोई गड़बड़ी होती तो पुलिस कार्रवाई करती लेकिन हमारे सभी दस्तावेज असली हैं, इसलिए अब वे हमें चुप रहने के लिए कह रहे हैं।

'400 साल पुराना सबूत भी दे सकते हैं'

इरशाद ने बताया कि उन्होंने पुलिस अधिकारियों से कहा कि वे अपनी भारतीय नागरिकता का 400 साल पुराना सबूत भी दे सकते हैं।

 

उन्होंने कहा, 'मेरे चाचा 1971 के युद्ध में एक बम विस्फोट में घायल हुए थे और उन्हें उनकी वीरता के लिए सम्मानित किया गया था। मेरे एक और चाचा 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में अब्दुल हमीद के साथ लड़े थे' उन्होंने आरोप लगाया कि अधिकारी ने मामले में कार्रवाई का आश्वासन दिया, लेकिन तीन-चार दिन बीत जाने के बाद भी कोई कदम नहीं उठाया गया।

 

वहीं, हकीमुद्दीन शेख ने न्यूज एजेंसी PTI से कहा कि पुणे में उनके परिवार के साथ जो हुआ वह गलत है उन्होंने कहा, 'हम 50 साल से ज्यादा समय से पुणे में रह रहे हैं। पुणे में रहते हुए मेरे चाचा मोहम्मद सलीम भारतीय सेना में भर्ती हुए थे। मेरे परिवार के साथ जो हुआ वह गलत है और जरूरत पड़ने पर मैं पुलिस से बात करूंगा और सफाई मांगूंगा'

 

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पुलिस का क्या है कहना?

पुलिस का कहना है कि उनके घर में भीड़ नहीं घुसी थी। डीसीपी (जोन 4) सोमय मुंडे ने कहा कि शेख के घर में किसी भीड़ के घुसने जैसी कोई घटना नहीं हुई। उन्होंने कहा कि कुछ पुलिसकर्मी उनके दस्तावेज की जांच करने के लिए वहां गए थे।

 

मुंडे ने कहा, 'शहर में अवैध बांग्लादेशी नागरिकों के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है। इसी अभियान के तहत पुलिस को कुछ जानकारी मिली और वे उसकी पुष्टि करने के लिए उनके घर गए। रात होने के कारण किसी भी महिला को थाने नहीं लाया गया और केवल कुछ पुरुषों को ही पुलिस के साथ जाने को कहा गया। देर हो जाने के कारण उन्हें अगले दिन वापस आने को कहा गया। प्रथम दृष्टया, उनके दस्तावेज में कोई गड़बड़ी नहीं पाई गई' उन्होंने कहा कि उनके घर जाने वाले पुलिस दल के पास इसकी वीडियो फुटेज भी मौजूद है।

 

हालांकि, पुणे के पुलिस कमिश्नर अमितेश कुमार ने बताया है कि कुछ लोग शेख परिवार के घर के बाहर नारेबाजी कर रहे थे। उन्होंने बताया, 'शनिवार देर रात पुलिस कंट्रोल रूम को एक फोन आया कि कुछ बांग्लादेशी नागरिक एक घर में ठहरे हुए हैं। जब पुलिस मौके पर पहुंची, तो कुछ संगठनों से जुड़े लोग घर के बाहर नारे लगा रहे थे। पुलिस ने हस्तक्षेप किया और वहां जमा सदस्यों को थाने आने का निर्देश दिया।'

 

 

उन्होंने कहा कि भीड़ ने मौके पर कुछ आपत्तिजनक हरकतें कीं और पुलिस शेख परिवार के सदस्यों के बयान दर्ज कर रही है। उन्होंने कहा, 'शेख परिवार के घर के बाहर नारे लगाने वाले कुछ लोगों के खिलाफ गैरकानूनी रूप से एकत्र होने का मामला दर्ज किया गया है। जरूरत पड़ने पर अतिरिक्त धाराएं जोड़ी जाएंगी या कोई नया अपराध भी दर्ज किया जा सकता है'

 

जब उनसे पूछा गया कि परिवार का आरोप है कि कुछ पुलिसकर्मी घर के बाहर सादे कपड़ों में भी मौजूद थे तो उन्होंने कहा, घर पर ज्यादातर पुलिसकर्मी वर्दी में थे। हालांकि कुछ सादे कपड़ों में भी हो सकते हैं।

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