मध्य प्रदेश के सिवनी जिले में एक बड़ा घोटाला सामने आया है। यहां सांप के काटने के नाम पर करोड़ों रुपये का फर्जीवाड़ा किया गया है। दरअसल, मध्य प्रदेश में प्राकृतिक आपदा में जान गंवाने वाले लोगों के आश्रितों को सरकार 4 लाख रुपये की आर्थिक सहायता देती है। अब बार-बार कुछ ही लोगों को पीड़ित दिखाकर सरकारी रकम को हड़पा गया। 2022 में ऑडिट कराने के बाद मामले के खुलासा हुआ तो आला अधिकारियों के होश उड़ गए। तीन साल में कुल 11.26 करोड़ रुपये के स्कैम को अंजाम दिया गया था।
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक विभागीय रिकॉर्ड में 2019 से 2022 तक 47 लोगों को सांप काटने से 280 बार मृत दिखाया गया। मृत घोषित होने के बाद सरकार आर्थिक सहायता जारी करती थी। विभाग के एक क्लर्क ने इसी सरकारी धन का बंदरबांट किया। जब राजस्व एवं लेखा विभाग ने 2022 में ऑडिट करवाया तो घोटाला सामने आया। विभाग के घोटालाबाजों ने एक महिला को 29 और एक पुरुष को 28 बार मृत दिखाया। उनके नाम पर 2.28 करोड़ रुपये की चपत लगाई।
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क्लर्क को पुलिस ने दबोचा
विभागीय जांच में केवलारी तहसील में तैनात क्लर्क सचिन दहायत आरोपी मिला। नौकरी से बर्खास्त करने के बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया है। उधर, फर्जीवाड़े के समय केवलारी में तैनात रहे एसडीएम अमित सिंह बमरोलिया और 4 तहसीलदारों के खिलाफ एक्शन की सिफारिश की गई है। पुलिस ने सचिन के अलावा 19 अन्य लोगों को भी पकड़ा है। विभाग ने मामले की जांच तेज कर दी है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट और मृत्यु प्रमाण पत्रों की जांच की जा रही है।
घोटाले पर क्या बोलीं डीएम?
सिवनी की जिला मजिस्ट्रेट संस्कृति जैन का कहना है कि 2019 से 2022 के बीच केवलारी तहसील के क्लर्क सचिन दहायत ने कई आरबीसी 6(4) मामलों में धनराशि दूसरे खातों में भेजी थी। जांच में यह 11 करोड़ 26 लाख रुपये का घोटाला बताया गया है।
47 लोगों के खातों में भेजी धनराशि
मामले की जांच करने वाले अधिकारी रोहित सिंह कौशल ने इंडिया टुडे को बताया कि सांप के काटने या डूबने से मरने वाले व्यक्ति के परिजनों को सरकार आर्थिक सहायता देती है। जांच में मिला कि 11 करोड़ 26 लाख रुपये धनराशि से हेरफेर की गई और 47 लोगों के बैंक खातों में ट्रांसफर की गई।
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बार-बार मौत दिखा किया स्कैम
एक महिला को 29 बार सांप काटने से मृत दिखाया गया और बड़ी राशि हड़पी गई। रोहित सिंह ने बताया कि सांप काटने से द्वारका बाई नाम की महिला की मौत हो गई थी। रिकॉर्ड में उसे 29 बार मृत दिखाया गया। सिर्फ द्वारका बाई के नाम पर ही 1.16 करोड़ रुपये की धनराशि जारी की गई। श्री राम के नाम पर भी ऐसा ही किया गया। उसे विभाग ने 29 बार मृत दिखाया। हर बार 4 लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी गई। इस हिसाब से विभाग को 1.12 करोड़ रुपये का चूना लगाया गया।