महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री और शिवसेना प्रमुख एकनाथ शिंदे हाल ही में दिल्ली आए थे। इस दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र से मुलाकात की। उनकी इस यात्रा के बाद अटकलों का बाजार गर्म हो गया कि शिंदे 'महायुति' गठबंधन से नाराज चल रहे हैं। रविवार को एकनाथ शिंदे ने इन अटकलों पर खुद ही विराम लगा दिया।
शिवसेना प्रमुख एकनाथ शिंदे ने कहा कि दिल्ली की उनकी यात्राओं से महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन के सहयोगियों (बीजेपी और एनसीपी) को कोई परेशानी नहीं है, लेकिन विपक्षी दल काफी बेचैन हो जाते हैं। समाचार एजेंसी पीटीआई से बात करते हुए शिंदे ने कहा कि दिल्ली की उनकी यात्रा महाराष्ट्र के विकास से जुड़े लंबित मुद्दों को सुलझाने, संसद सत्र के दौरान शिवसेना सांसदों से मिलने और अन्य राज्यों के पार्टी नेताओं के साथ बैठक करने के लिए होती हैं।
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महायुति को लेकर फिक्र करने की कोई बात नहीं
शिंदे ने कहा, 'महायुति को लेकर फिक्र करने की कोई बात नहीं है। चिंता की कोई वजह नहीं है। मेरे दिल्ली दौरे से विपक्षी दल ही असहज हो जाते हैं।' दरअसल, विपक्षी दल शिवसेना (UBT) और कांग्रेस शिंदे की दिल्ली दौरे को लेकर अक्सर उन पर निशाना साधते रहे हैं। वे दावा करते आए हैं कि शिंदे और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के बीच सब कुछ ठीक नहीं है।
विपक्षी दलों पर हमला
शिवसेना प्रमुख ने कहा, 'क्या उन लोगों से मिलना गलत है, जिन्होंने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटाकर या अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण करवाकर बालासाहेब ठाकरे के सपनों को साकार किया?' शिंदे ने कहा कि विपक्षी दल शिवसेना (UBT) के लिए उनके दिल्ली दौरे की आलोचना करना आसान है लेकिन उन्हें यह समझना चाहिए कि उन्होंने उन लोगों से हाथ मिला लिया है, जिन्होंने बालासाहेब ठाकरे को छह साल तक मताधिकार से वंचित रखकर उनका अपमान किया था।
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शिवसेना प्रमुख ने कहा, 'वही मुख्य चुनाव आयुक्त (एमएस गिल) जिन्होंने बालासाहेब का वोट देने का अधिकार छीन लिया था, उन्हें कांग्रेस ने संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) सरकार में मंत्री बनाकर पुरस्कृत किया था।' उन्होंने कहा, 'आप (शिवसेना-UBT) सत्ता के लालच में दिल्ली की यात्रा करते हैं, लेकिन हम महाराष्ट्र में जन कल्याणकारी योजनाएं लाने और विकास सुनिश्चित करने के लिए यहां आते हैं। हमें इस पर गर्व है।'
शिंदे ने तोड़ी थी शिवसेना
बता दें कि एकनाथ शिंदे ने लगभग तीन साल पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (अविभाजित), कांग्रेस और एनसीपी (अविभाजित) की महा विकास आघाडी (MVA) सरकार से यह कहते हुए बगावत कर दी थी कि उद्धव ने शिवसेना संस्थापक बालासाहेब ठाकरे के हिंदुत्व सिद्धांत को त्याग दिया है। उन्होंने जून 2022 में अविभाजित शिवसेना के दो-तिहाई से ज्यादा विधायकों के साथ पार्टी छोड़ दी थी और बीजेपी के सहयोग से मुख्यमंत्री बने थे।
बाद में चुनाव आयोग ने उनके नेतृत्व को वाले गुट को असली शिवसेना का दर्जा दे दिया था। शिंदे ने कहा, 'मैं जब भी अपने गांव जाता हूं या दिल्ली आता हूं, तो विपक्ष को बहुत परेशानी होती है। लेकिन मैं अपना काम करता रहता हूं। वे जो चाहें, सोचने के लिए स्वतंत्र हैं। मैं यहां बिना काम के नहीं आता।' पिछले हफ्ते शिंदे ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी।