उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में स्थित श्री रामस्वरूप मेमोरियल यूनिवर्सिटी अब विवादों में आ गई है। फर्जी कोर्स चलाने के आरोपों से घिरी यूनिवर्सिटी के कैंपस में प्रदर्शन कर रहे छात्रों पर पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया था। इस लाठीचार्ज में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के कार्यकर्ता भी चोटिल हुए थे। ABVP कार्यकर्ताओं की पिटाई का मामला लखनऊ तक पहुंचा और पुलिस अधिकारियों पर गाज भी गिरी। अब इस यूनिवर्सिटी के खिलाफ फर्जी कोर्स चलाने के आरोपों में धोखाधड़ी और फर्जीवाड़े का केस दर्ज किया गया है। इतना ही नहीं, सरकारी जमीन पर अवैध अतिक्रमण करने के चलते यूनिवर्सिटी पर 28 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।
एक अधिकारी ने गुरुवार को बताया है कि पिछले तीन साल से गैर मान्यता प्राप्त लॉ कोर्स चलाने के आरोप में यूनिवर्सिटी के खिलाफ यह केस दर्ज किया गया है। बता दें कि ABVP की अगुवाई में छात्रों ने जो प्रदर्शन किया था, वह भी इसी कोर्स के खिलाफ था। इस पर यूनिवर्सिटी का कहना था कि उसने बार काउंसिल से इस कोर्स के लिए मान्यता ले रखी है।
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क्यों लग गया 28 लाख का जुर्माना?
विवादों में आने के बाद इस यूनिवर्सिटी के अन्य कारनामे भी सामने आ गए हैं। सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा करने के आरोप में राजस्व विभाग ने इस यूनिवर्सिटी पर 28 लाख रुपये का जुर्माना लगया है। साथ ही, यूनिवर्सिटी प्रशासन को आदेश दिया है कि 30 दिन के अंदर अवैध अतिक्रमण हटाया जाए।
FIR की वजह क्या है?
उत्तर प्रदेश उच्च शिक्षा आयोग (UPHEC) की शिकायत के आधार पर बुधवार को बाराबंकी सिटी पुलिस स्टेशन में इस यूनिवर्सिटी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई है। बता दें कि उत्तर प्रदेश प्राइवेट यूनिवर्सिटीज ऐक्ट, 2019 के तहत UPHEC ही प्राइवेट यूनिवर्सिटी से जुड़े मामलों की नोडल एजेंसी है। UPHEC के एडिशनल सेक्रेटरी दिनेश कुमार की ओर से दी गई शिकायत के मुताबिक, इस यूनिवर्सिटी ने 2023-24 से 2024-25 के बीच लॉ प्रोग्राम में स्टूडेंट्स का एडमिशन लिया और उनकी परीक्षाएं भी करवाईं जबकि उसके पास इस कोर्स की मान्यता ही नहीं थी।
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शैक्षणिक सत्र 2025-26 के लिए भी इस कोर्स में रजिस्ट्रेशन करवाया जा रहा था। अब यूनिवर्सिटी के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 318 (4) यानी धोखाधड़ी, धारा 338, धारा 336 (3) और धारा 340 के तहत केस दर्ज करवाया गया है। आयोग का कहना है कि इस तरह का कृत्य बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ करने जैसा है। UPHEC ने यह भी कहा है कि इस यूनिवर्सिटी ने प्राइवेट यूनिवर्सिटीज ऐक्ट, 2019 के नियमों का उल्लंघन किया है। बता दें कि इस मामले में बवाल होने के बाद अयोध्या के डिवीजनल कमिश्नर को जांच सौंपी गई थी। जांच रिपोर्ट सौंपने के बाद ही यह कार्रवाई की गई है। दिनेश कुमार ने कहा है कि इस यूनिवर्सिटी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की गई है।
अतिक्रमण वाला मामला क्या है?
इसी यूनिवर्सिटी पर 28 लाख का जुर्माना भी लगा है। इस मामले में तहसीलदार भूपेंद्र विक्रम सिंह ने कहा है कि शिकायतों के बाद पिछले महीने राजस्व विभाग ने एक सर्वे करवाया था। जांच में पाया गया है कि यूनिवर्सिटी ने नाली, तालाब, बंजर जमीन और सार्वजनिक रास्ते जैसी जगहों पर कब्जा कर लिया है और उन्हें अपने कैंपस में शामिल कर लिया जाएगा। इस तरह कुल मिलाकर 6 बीघा सरकारी जमीन पर कब्जा किया गया है। इसी जांच के आधार पर तहसीलदार ने 25 अगस्त को आदेश दिया था कि जमीन खाली की जाए। साथ ही, 27.96 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया था। राजस्व विभाग ने कहा है कि अगर यूनिवर्सिटी खुद से अपना कब्जा नहीं हटाती है तो बुलडोजर ऐक्शन किया जाएगा।
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इस मामले पर यूनिवर्सिटी की रजिस्ट्रार डॉ. नीरजा जिंदल ने कहा है कि उन्हें ऐसा कोई आदेश या नोटिस नहीं मिला है। इस कोर्स को बार काउंसिल ऑफ इंडिया की अनुमति के बारे में उनका कहना है कि कुछ अज्ञात लोग इस मामले को तूल देकर माहौल खराब कर रहे हैं और यूनिवर्सिटी के पास हर तरह की अनुमति है।