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पटरी पर चल रहा था काम, उसी पर मोड़ दी जन शताब्दी एक्सप्रेस, 2 सस्पेंड

यूपी में एक ट्रेन ऐसे ट्रैक पर चली गई थी जिस पर काम चल रहा था। गनीमत यह रही कि लोको पायलट ने सही समय पर इमरजेंसी ब्रेक लगा दी।

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प्रतीकात्मक तस्वीर, Photo Credit: PTI

उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में हाल ही में एक हैरान करने वाली घटना हुई। दिल्ली जा रही जन शताब्दी एक्सप्रेस को एक ऐसे रेल ट्रैक पर मोड़ दिया गया जिस पर काम चल रहा था। इस तरह की लापरवाही के चलते सैकड़ों यात्रियों की जान खतरे में आ गई थी। गनीमत रही कि इमरजेंसी ब्रेक लगाकर ट्रेन को रोक लिया गया और कोई हादसा नहीं हुई। इस घटना के बाद ट्रैक बदलने वाले स्टेशन मास्टर और एक ट्रैफिक कंट्रोलर को मंगलवार को ही सस्पेंड कर दिया गया।

 

रिपोर्ट के अनुसार, ट्रेन के सतर्क चालक दल ने पटरियों की मरम्मत में जुटे कर्मचारियों की ओर से लगाए लाल झंडे देख लिए और तुरंत इमरजेंसी ब्रेक लगाकर ट्रेन को उस हिस्से में पहुंचने से पहले ही रोक दिया, जहां मरम्मत की जा रही थी। इस मंडल की प्रभागीय परिचालन प्रबंधक और अधिकृत प्रवक्ता प्रशस्ति श्रीवास्तव ने बताया कि दो कर्मचारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई है। उन्होंने कहा, 'यह दो कर्मचारियों की खराब संचालन योजना का मामला है। अनुशासनात्मक कार्रवाई के तहत उन्हें जांच पूरी होने तक निलंबित कर दिया गया है।'

 

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कैसे हुई गड़बड़?

 

दरअसल, मंगलवार को सुबह करीब साढ़े 10 से 11:00 बजे के बीच एक यात्री की तबीयत बिगड़ने की सूचना मिलने पर ट्रेन टिकट परीक्षक (टीटीई) ने आगरा नियंत्रण कक्ष से संपर्क कर छाता स्टेशन पर ट्रेन रोकने का अनुरोध किया। एक सूत्र ने बताया कि छाता स्टेशन पार हो गया क्योंकि आवश्यक निर्देश समय पर लोको पायलट तक नहीं पहुंच पाए। इसके बाद TTE ने फिर संपर्क करके अगले स्टेशन कोसी पर यात्री को उतारने की अनुमति मांगी क्योंकि उसकी तबीयत और बिगड़ गई थी। उसने बताया, 'जब कोसी पर भी ट्रेन नहीं रुकी, तब ट्रेन में मौजूद कर्मियों ने एक बार फिर अनुरोध किया, जिसके बाद होडल स्टेशन पर ट्रेन रोकने का निर्णय लिया गया लेकिन स्टेशन मास्टर ने जल्दबाजी में सुरक्षा मानकों की अनदेखी करते हुए ट्रेन को उस लूप लाइन पर मोड़ दिया जिसकी मरम्मत की जा रही थी।'

 

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इस घटना के बारे में अधिकारियों ने बताया कि पटरी की मरम्मत कर रहे कर्मियों ने लूप लाइन की शुरुआत से पहले लाल झंडा लगाया हुआ था जिसे देखकर सतर्क चालक दल ने तुरंत ब्रेक लगाकर ट्रेन को रोका। मंडल के एक अधिकारी ने कहा, 'अगर लोको पायलट ने समय पर सूझबूझ न दिखाई होती तो एक बड़ी दुर्घटना हो सकती थी। केवल निचले स्तर के नहीं, बल्कि वरिष्ठ रेलवे अधिकारियों को भी इस तरह की गंभीर सुरक्षा चूक के लिए जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।' उन्होंने कहा, ‘जब एक यात्री की तबीयत खराब होने की सूचना मिली, तो ट्रेन को रोकने को लेकर इतने कन्फ्यूजन की स्थिति क्यों थी? वरिष्ठ अधिकारी कहां थे?’

 

गनीमत यह रही कि कोई भी हादसा नहीं हुआ और ट्रेन में सवार सभी लोग सुरक्षित हैं। फिलहाल मामले की जांच जारी है और जांच होने तक दोनों अधिकारी निलंबित रहेंगे।

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