देश में नक्सलवाद देश के लिए अब भी बड़ी समस्या बनी हुआ है। सुरक्षाबलों का छत्तीसगढ़ और झारखंड जैसे प्रदेशों में अभियान चल रहा है। देश के गृह मंत्री ने 31 मार्च 2026 से पहले देश को नक्सल के आतंक से आजाद कराने का ऐलान किया है। नक्सल के खिलाफ इस अभियान में सुरक्षा बलों को कई बड़ी सफलताएं भी मिली हैं। 22 मई को सुरक्षा बलों और माओवादियों के बीच हुई मुठभेड़ में सुरक्षा बलों ने माओवादियों के बड़े नेता नंबाला केशव राव उर्फ बसवराजू को मार गिराया था। बसवराज का मारा जाना नकस्लवाद के खिलाफ बहुत बड़ी सफलता मानी जा रही है। इस अभियान के बीच अब तेलंगाना प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बी. महेश कुमार गौड़ ने केंद्र सरकार से माओवादियों के साथ शांति वार्ता शुरू करने की मांग की है।
उन्होंने कहा कि माओवादी अपने देश के नागरिक हैं, जो गरीबी और सामाजिक अन्याय के खिलाफ लड़ रहे हैं। बी. महेश कुमार गौड़ ने केंद्र सरकार से अपील की है कि माओवादियों के खिलाफ चल रहे ऑपरेशन को तत्काल रोककर उनके साथ शांति वार्ता शुरू की जाए और सीजफायर की घोषणा की जाए। महेश कुमार का कहना है कि सरकार को माओवादियों को खत्म करने के लिए कठोर कदम नहीं उठाने चाहिए बल्कि उनसे कानूनी और संवैधानिक तरीकों से निपटना चाहिए।
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महेश कुमार ने पूछे सवाल?
तेलंगाना कांग्रेस अध्यक्ष बी महेश कुमार गौड़ ने केंद्र सरकार से माओवादियों के साथ शांति वार्ता शुरू ना करने को लेकर प्रश्न उठाए। उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा, 'जीवन का अधिकार एक मौलिक अधिकार है। जीवन के अधिकार पर अंकुश लगाने का अधिकार किसी को नहीं है। ऑपरेशन कगार में क्या हो रहा है। कांग्रेस आतंकवाद का समर्थन नहीं करेगी, चाहे वह नक्सलियों की तरफ से हो या सरकार की तरफ से। कांग्रेस पार्टी का मूल सिद्धांत अहिंसा है। अब मेरा केंद्र सरकार से अनुरोध है कि वह शांति वार्ता के लिए आगे बढ़े, क्योंकि जो भी व्यक्ति आत्मसमर्पण करके हथियार डालकर मुख्यधारा में शामिल होना चाहते हैं उसे ऐसा करने का मौका दिया जाना चाहिए। सरकार शांति वार्ता से क्यों हिचकिचा रही है?'
उन्होंने इस ऑपरेशन को लेकर अपनी चिंता भी बताई। उन्होंने कहा कि इन जंगलों के अंदर बहुत से नागरिक हैं, जंगलों के अंदर आदिवासी हैं। माओवाद पर काबू पाने के लिए हजारों सुरक्षाकर्मी तैनात हैं। क्या होगा अगर हम गोलीबारी या मुठभेड़ में अपने नागरिकों को खो दें?
नक्सलियों को बताया अपने नागरिक
बी. महेश कुमार गौड़ ने कहा कि नक्सली हमारे अपने नागरिक हैं, भले ही उन्होंने एक अलग रास्ता और विचारधारा अपनाई हो। आखिरकार, वे गरीबों के लिए लड़ रहे हैं। उन्होंने याद दिलाया कि जब कांग्रेस आंध्र प्रदेश में सत्ता में थी, तो तत्कालीन मुख्यमंत्रियों मार्री चेन्ना रेड्डी और वाईएस राजशेखर रेड्डी ने नक्सलियों के साथ शांति वार्ता की थी, जो काफी सफल रहीं थीं। कई नक्सलियों ने खुले तौर पर मुख्यधारा में शामिल होकर अपने हथियार डाल दिए थे और वे अब शांतिपूर्ण जीवन जी रहे हैं। तेलंगाना कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि नक्सलवाद असमानता का परिणाम है। देश के एक प्रतिशत अमीरों के पास देश की लगभग 40 प्रतिशत संपत्ति है जबकि, दलितों के पास केवल 3 प्रतिशत संपत्ति है। उन्होंने सरकार से माओवाद को एक सामाजिक-आर्थिक और राजनीतिक समस्या के रूप में देखने का आग्रह किया।
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बीजेपी ने की आलोचना
बी. महेश कुमार गौड़ के इस बयान के बाद सियासत भी गरमा गई है। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा कि जब कांग्रेस केन्द्र में सत्ता में थी तो वह नक्सलवाद को आंतरिक सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा बताती थी। आज यह पार्टी के लिए मानवाधिकार का सबसे बड़ा मुद्दा बन गया है। उन्होंने कहा कि बसवराजू जैसे नक्सली कमांडरों के मारे जाने के बाद कांग्रेस अब आंसू बहा रही है। कांग्रेस की तेलंगाना इकाई के अध्यक्ष का कहना है कि नक्सलियों के साथ संघर्ष विराम होना चाहिए। पूनावाला ने आरोप लगाया कि कांग्रेस हमेशा अपनी वोट बैंक नीति को राष्ट्रीय सुरक्षा से ऊपर रखती है। यह हमेशा पार्टी के हित और परिवार के हित को राष्ट्रीय हित से ऊपर रखती है।