तेलंगाना ने इलेक्ट्रॉनिक कचरे (ई-वेस्ट) की रीसाइकलिंग में बड़ी उपलब्धि हासिल की है। यहां पर पहली बार ई-वेस्ट की मात्रा 1 लाख मीट्रिक टन (MT) के पार पहु्ंची है। इस आंकड़े के साथ तेलंगाना देश में ई-वेस्ट रिसाइक्लिंग के मामले में दूसरे स्थान पर पहुंच गया है। इस लिस्ट में पहले स्थान पर उत्तर प्रदेश का नाम आता है। पर्यावरण, वन और जलवायु मंत्रालय की तरफ से लोकसभा में दी गई जानकारी के अनुसार, ई-वेस्ट को प्रोसेस करने में तेलंगाना ने 2024-25 में बड़ी प्रगति की है। जहां 2023-24 में 65,226 मीट्रिक टन ई-वेस्ट प्रोसेस हुआ था। वहीं, साल 2024-25 में इसकी मात्रा तीन गुना बढ़ गई है।
देश में कुल 13.97 लाख मीट्रिक टन ई-वेस्ट प्रोसेसिंग की क्षमता है, जिसमें से 8.5% अकेले तेलंगाना में प्रोसेस होता है। 2021-22 में जहां तेलंगाना में केवल 42,297 मीट्रिक टन ई-वेस्ट प्रोसेस किया गया था। वहीं, 2024-25 में यह संख्या तीन गुना बढ़कर 1,19,187 लाख मीट्रिक टन हो गई। पिछले आंकड़ों के हिसाब से इस साल 53,961 मीट्रिक टन की बढ़ोत्तरी हुई है।
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कम संसाधनों में बड़ी सफलता
यह उपलब्धि इसलिए भी खास है क्योंकि तेलंगाना में केवल 19 रीसाइकलिंग प्लांट हैं, जबकि महाराष्ट्र, गुजरात और तमिलनाडु जैसे राज्यों में इनकी संख्या इससे तीन गुना ज्यादा है। इनमें से ज्यादातर रीसाइकलिंग सेंटर ग्रेटर हैदराबाद में स्थित हैं। राज्य सरकार की तरफ से लागू की गई ई-वेस्ट नीति के बाद कई निवेशकों (इनवेस्टर्स) ने यहां रीसाइकलिंग प्लांट लगाने में दिलचस्पी दिखाई है। तेलंगाना प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (TGPCB) के एक वरिष्ठ पर्यावरण इंजीनियर ने बताया कि हाल ही में तीन नए रीसाइक्लिंग प्लांट को मंजूरी दी गई है, जिससे अब कुल 22 प्लांट हो जाएंगे।
आईटी कंपनियों की भूमिका
तेलंगाना प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (TGPCB) के अधिकारियों के अनुसार, ई-वेस्ट प्रोसेसिंग में यह बढ़ोतरी आईटी कंपनियों की सक्रिय भागीदारी से संभव हुई है। इसके अलावा, मोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण (कंपोनेंट) बनाने वाली कंपनियों के राज्य में आने से भी ई-वेस्ट बढ़ा है।
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ई-वेस्ट पोर्टल और जागरूकता
पर्यावरण मंत्रालय ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के जरिए एक ऑनलाइन पोर्टल तैयार किया है, जिस पर मैन्युफैक्चरर्स, रीसाइक्लर्स और रिपेयरिंग करने वालों को रजिस्टर करना जरूरी है। साथ ही, ई-वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स 2022 के तहत यह भी जरूरी है कि रजिस्टर कंपनियां कस्टमर्स को जागरूक करें कि वे अपना ई-कचरा केवल अधिकृत कंपनियों को ही दें।