तिरुपति के पवित्र तिरुमाला पहाड़ी पर श्रीवारी पुरोहिता संगम में एक व्यक्ति को कथित तौर पर नमाज़ पढ़ते हुए देखा गया, जिससे लोगों में गुस्सा भड़क गया और इस मामले की जांच की मांग उठने लगी।
रिपोर्ट के अनुसार, यह व्यक्ति एक मुस्लिम ड्राइवर था, जिसे इस पवित्र हिंदू स्थल पर नमाज़ पढ़ते हुए वीडियो में कैद किया गया। स्थानीय लोगों द्वारा बनाया गया यह वीडियो तेजी से वायरल हो गया और भक्तों, धार्मिक समूहों और राजनेताओं ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी।
यह भी पढ़ेंः मन्नत पूरी होने पर दान किए जाते बाल, तिरुमला मंदिर कमाता है करोड़ों
हिंदू परंपराओं का पालन करना जरूरी
तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (TTD) के नियमों के अनुसार, गैर-हिंदुओं को मंदिर क्षेत्र में उनके धार्मिक मान्यताओं का पालन करने की अनुमति नहीं है। 18 नवंबर, 2024 को TTD बोर्ड के एंडोमेंट्स एक्ट (1989) के प्रावधानों के तहत, सभी कर्मचारियों को हिंदू परंपराओं और रीति-रिवाजों का पालन करना जरूरी है।
TTD बोर्ड के सदस्य भानु प्रकाश ने दावा किया कि यह घटना राजनीति से प्रेरित हो सकती है। उन्होंने शुक्रवार को कहा, ‘हमारी जांच से पता चलता है कि संभावित रूप से कुछ YSR कांग्रेस पार्टी (YSRCP) के नेता जानबूझकर ऐसी गतिविधियों को बढ़ावा दे रहे हैं।’
YSRCP ने भी की निंदा
YSRCP के तिरुपति प्रभारी अभिनय रेड्डी ने भी इस घटना की निंदा की और इसे धार्मिक नियमों का गंभीर उल्लंघन बताया। उन्होंने कहा, ‘एक मुस्लिम ड्राइवर का इतने पवित्र स्थान पर नमाज़ पढ़ना भक्तों की भावनाओं को गहरा ठेस पहुंचाने वाला है। हाल ही में बिरयानी के पैकेट मिलने की भी खबरें आई थीं। बार-बार होने वाले इन उल्लंघनों से गंभीर चिंता पैदा हो रही है।’
स्थानीय लोग अब मंदिर में कड़ी सुरक्षा और नियमों के सख्त पालन की मांग कर रहे हैं। अधिकारियों ने अभी तक वीडियो में दिख रहे व्यक्ति की पहचान नहीं बताई है, लेकिन पुष्टि की है कि पूरी जांच चल रही है।
पहले भी हो चुकी है कार्रवाई
इससे पहले, TTD के चेयरमैन बीआर नायडू के निर्देश पर 18 कर्मचारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की गई थी, जो कथित तौर पर गैर-हिंदू धार्मिक प्रथाओं का पालन कर रहे थे।
बीआर नायडू की अध्यक्षता में बोर्ड ने यह भी फैसला किया कि तिरुमाला में केवल हिंदुओं को ही नौकरी दी जाएगी। नायडू ने कहा, ‘TTD एक हिंदू धार्मिक संस्थान है और बोर्ड का मानना है कि मंदिर में गैर-हिंदुओं को नौकरी नहीं दी जानी चाहिए। हम सरकार को पत्र लिखकर अनुरोध करेंगे कि या तो इन कर्मचारियों को अन्य विभागों में समायोजित किया जाए या उन्हें स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (VRS) दी जाए।’