महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद महा विकास अघाड़ी (MVA) के गठबंधन में बने रहने की उपयोगिता पर सवाल उठ रहे है। इसी कड़ी में शिवसेना (UBT) ने शनिवार को बड़ी घोषणा की है। अब वह बृहन्मुंबई नगर निगम सहित सभी शहरी स्थानीय निकाय और जिला परिषद चुनाव अकेले लड़ेगी।
शिवसेना (यूबीटी) के सांसद संजय राउत ने शनिवार को नागपुर में कहा, 'मुंबई से लेकर नागपुर तक हम अपने दम पर निगम चुनाव लड़ेंगे। हम खुद को परखना चाहते हैं। पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे ने हमें इसके लिए हरी झंडी दे दी है।'
विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद हुई आलोचना
दरअसल, महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद शिवसेना (यूबीटी) को अपने ही निर्वाचित विधायकों और कार्यकर्ताओं की तीखी आलोचना का सामना करना पड़ा है। इसी वजह से शिवसेना ने यह कदम उठाया है। गठबंधन की कुल 46 सीटें जिसमें शिवसेना (यूबीटी) की 20, कांग्रेस की 16 और एनसीपी-एसपी की 10 सीटें शामिल हैं।
एमवीए से टूटेगा नाता?
विधानसभा चुनाव में मिले झटके के बाद पार्टी नेताओं ने उद्धव ठाकरे से एमवीए से नाता तोड़ने और स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ने पर विचार करने का आग्रह किया था। हालांकि, राउत ने स्पष्ट किया कि पार्टी एमवीए से अलग नहीं हो रही है। राउत ने कहा, 'लोकसभा और विधानसभा दोनों चुनावों में, हमारे कैडर को चुनाव लड़ने का अवसर नहीं दिया गया, जिससे पार्टी के विकास में बाधा उत्पन्न हुई। अब हमने अपने पार्टी आधार को मजबूत करने के लिए निगम, जिला परिषद और परिषद के चुनाव स्वतंत्र रूप से लड़ने का फैसला किया है।'
1970 के दशक से ठाकरे के नियंत्रण में बीएमसी
बता दें कि बीएमसी सहित महत्वपूर्ण निगम चुनावों पर मिली जीत पर शिवसेना का 1970 के दशक से नियंत्रण है। अब पार्टी का मानना है कि कांग्रेस और एनसीपी (एसपी) से अलग होने से भाजपा और शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना दोनों को चुनौती देने के लिए एक मजबूत मंच मिलेगा। दक्षिण मुंबई से शिवसेना सांसद अरविंद सावंत ने कहा, 'विधानसभा चुनाव के बाद हमारे कई नेताओं ने कहा था कि अगर हम स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ते तो हमें 20 से ज़्यादा सीटें मिलतीं, जो गठबंधन के हिस्से के रूप में हमें मिली सीटों से कहीं ज़्यादा है।'
'पार्टी नेतृत्व अंतिम फैसला लेगा'
इस मामले में मुंबई कांग्रेस प्रमुख और लोकसभा सांसद वर्षा गायकवाड़ ने कहा, 'कांग्रेस कार्यकर्ताओं को लगता है कि स्थानीय निकाय चुनावों में अकेले उतरने से पार्टी को फायदा हो सकता है। उन्होंने कहा, 'हमारे कार्यकर्ता भी ऐसा ही सोचते हैं लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हमने स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ने का फैसला किया है। पार्टी नेतृत्व अंतिम फैसला लेगा।'