उत्तराखंड की पुष्कर सिंह धामी की सरकार कथित लव जिहाद को लेकर कानून को और सख्त करने जा रही है। धामी कैबिनेट ने नए संशोधन बिल को मंजूरी दे दी है। संशोधन बिल में जबरन धर्मांतरण के मामले में दोषी पाए जाने पर उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान किया गया है। साथ ही 10 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया जा सकता है। बताया जा रहा है कि सरकार इसे मॉनसून सत्र में पेश कर सकती है। उत्तराखंड विधानसभा का मॉनसून सत्र 19 अगस्त से शुरू हो रहा है, जिसमें इस बिल को पेश किया जाएगा।
मौजूदा कानून में जबरन धर्मांतरण के मामले में 10 साल जेल और 50 हजार रुपये तक के जुर्माने की सजा का प्रावधान है। नए कानून में इसे बढ़ाकर 14 साल कर दिया गया है। कुछ मामलों में 20 साल तक की सजा भी हो सकती है। संशोधित बिल में पुलिस को बगैर वारंट के आरोपी को गिरफ्तार करने का अधिकार दिया गया है। साथ ही धर्मांतरण से जुड़े अपराध से कमाई गई संपत्ति को भी जब्त किया जा सकेगा।
कैबिनेट ने बुधवार को उत्तराखंड फ्रीडम ऑफ रिलिजन (अमेंडमेंट) बिल 2025 को मंजूरी दे दी है। कैबिनेट के फैसले के बाद सीएम पुष्कर सिंह धामी ने टाइम्स ऑफ इंडिया से कहा कि 'उत्तराखंड देवभूमि है लेकिन पिछले कुछ सालों से अवैध धर्मांतरण की घटनाएं बढ़ी हैं।' उन्होंने बताया कि कानून को सख्त इसलिए किया जा रहा है ताकि सामाजिक ताने-बाने में कोई बदलाव न आए।
क्या है इस बिल में?
इस बिल में अगर कोई बहला-फुसलाकर या झूठी पहचान बताकर किसी से शादी करता है तो इसे अपराध माना जाएगा। इसके अलावा, अगर कोई व्यक्ति सोशल मीडिया, मैसेजिंग ऐप या किसी भी ऑनलाइन तरीके से धर्मांतरण के लिए उकसाता है तो उसे भी दोषी करार दिया जाएगा। नए बिल में इस तरह के सभी अपराध गैर-जमानती होंगे।
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नए बिल में क्या-क्या होगा?
- धर्मांतरण के लिए फंडिंगः अगर कोई व्यक्ति धर्मांतरण के लिए विदेशी फंडिंग लेता है तो दोषी पाए जाने पर 7 साल की सजा होगी, जिसे बढ़ाकर 14 साल तक किया जाएगा। जुर्माने की रकम को बढ़ाकर 10 लाख रुपये कर दिया गया है।
- जबरदस्ती धर्मांतरणः अगर कोई व्यक्ति धर्मांतरण के इरादे से किसी को डराता-धमकाता है या हमला करता है या शादी का झूठा वादा करता है या फिर किसी नाबालिग लड़की की तस्करी करता है तो दोषी पाए जाने पर 20 साल की जेल से लेकर उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान है।
- धर्म छिपाकर शादीः अगर कोई व्यक्ति धर्म छिपाकर किसी से शादी करता है तो यह अपराध होगा और दोषी पाए जाने पर 3 से 10 साल की जेल और 10 लाख का जुर्माना लगाया जाएगा। सामूहिक धर्मांतरण के मामले में 7 से 14 साल की जेल और 1 लाख रुपये के जुर्माने की सजा का प्रावधान है।
- नाबालिग और SC-ST के मामले में: अगर कोई व्यक्ति नाबालिग, महिला, SC-ST से जुड़े व्यक्ति, दिव्यांग या मानसिक रोगी के धर्मांतरण में शामिल होता है तो 5 से 14 साल की जेल और 1 लाख रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है। बाकी दूसरे मामले में 3 से 10 साल की जेल और 50 हजार तक की जुर्माने का प्रावधान है।
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बिना वारंट गिरफ्तारी, जमानत भी मुश्किल
नए बिल में आरोपी को बिना वारंट के भी गिरफ्तार किया जा सकता है। इस बिल में सभी अपराधों को गैर-जमानती बनाया गया है। किसी मामले में जमानत भी दी जाएगी, जब अदालत को इस बात का भरोसा हो जाए कि आरोपी दोषी नहीं है और ऐसा अपराध दोबारा नहीं करेगा।
प्रस्तावित बिल में धर्मांतरण से जुड़े अपराधों के जरिए अगर कोई संपत्ति जुटाई गई है, तो डीएम उसे जब्त कर सकते हैं। नए बिल में प्रावधान है कि अगर मजिस्ट्रेट को लगता है कि कोई संपत्ति इस कानून के तहत किसी अपराध के जरिए कमाई गई है तो उसे जब्त करने का आदेश दे सकते हैं, फिर भले ही अदालत ने ऐसे अपराध का संज्ञान लिया हो या नहीं।