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उत्तराखंड के 1149 स्कूलों में एक भी नहीं, 3504 में सिर्फ एक टीचर

ग्राम्य विकास एवं पलायन निवारण आयोग ने उत्तराखंड के स्कूल को लेकर एक सर्वे रिपोर्ट प्रदेश सरकार को सौंपी है। इस सर्वे में पता चला है कि प्रदेश के 1149 प्राइमेरी स्कूलों में एक भी टीचर नहीं है।

primary schools condition in Uttarakhand

सांकेतिक तस्वीर, Photo Credit: Pixabay

स्‍कूल एक ऐसी जगह है जहां से बच्चों का भविष्य उजागर होता है। यह एक शिक्षा का मंदिर है जहां बच्‍चे अपनी जिंदगी के कई अहम पाठ सीखते हैं। ऐसे में अगर स्कूल में टीचर की कमी हो तो बच्चों को कौन शिक्षा देगा? इसी कड़ी में उत्तराखंड के स्कूलों को लेकर एक सर्वे किया गया जिसमें हैरान कर देने वाले खुलासे हुए। इस सर्वे रिपोर्ट में पता चला है कि प्राइमेरी स्कूलों में बच्चों की संख्या लगातार घट रही है जिसका कारण है स्कूल में टीचर की कमी होना। उत्तराखंड में हजारों स्कूल बिना प्रिंसिपल या सिर्फ एक टीचर के सहारे चल रहे हैं। इस पर चिंता जताते हुए ग्राम्य विकास एवं पलायन निवारण आयोग ने सुधार के लिए सरकार को कई सुझाव दिए हैं। इसके अलावा आयोग ने प्राइमेरी और सेकेंडरी एजुकेशन में सुधार के लिए एक सर्वे रिपोर्ट भी प्रदेश सरकार को सोंपी है। 

हैरान कर देगी यह रिपोर्ट

आयोग ने अपनी 204 पेज की इस रिपोर्ट में खुलासा किया  है कि प्रदेश के 1149 प्राइमेरी स्कूलों में एक भी टीचर नहीं है। इसमें चंपावत और रुद्रप्रयाग जिले के प्राइमेरी स्कूल भी शामिल है जहां बच्चों के साथ-साथ टीचर की संख्या भी बहुत कम है। सर्वे में प्राइमेरी और सेकेंडरी स्कूलों में बच्चों और टीचर की संख्या का भी आंकड़ा जारी किया है। बता दें कि प्रदेश में 12065 स्कूल है जिसमें से 50 प्रतिशत स्कूलों में हेडमास्टर ही नहीं है। स्कूलों में टीचर की कमी होने के कारण छात्रों की संख्या में अचानक गिरावट देखने को मिल रहा है। 

 

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3 हजार स्कूलों का क्या हाल?

सर्वे रिपोर्ट के अनुसार, प्रदेश में प्राइमेरी और सेकेंडरी लेवल के 263 स्कूल है जहां छात्रों को पढ़ाने के लिए टीचर ही नहीं है। 1 से 5 और 6 से 8वीं कक्षा के छात्र सबसे अधिक प्रभावित हो रहे हैं। ऐसे 180 स्कूल है जहां 242 टीचर केवल एक-एक छात्र को पढ़ा रहे हैं। पौड़ी, अल्मोड़ा और टिहरी में शिक्षा का यह हाल है। पिथौरागढ़, पौड़ी और चमोली समेत प्रदेश के 3504 स्कूलों में छात्रों को पढ़ाने के लिए केवल एक टीचर ही मौजूद है। 

 

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आयोग ने क्या दिए सुझाव

आयोग ने प्रदेश सरकार को सुझाव दिए है कि प्राइमेरी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों को एडमिशन के दौरान रिलेक्ससेशन दिया जाए। शिक्षा विभाग में अलग से ट्रांसफर पॉलिसी तैयार की जाए। शिक्षकों को स्कूल से 8 से 10 किमी के आसपास रहने के लिए आवास दिया जाए और सैलरी 25 फीसदी बढ़ाई जाए। स्कूलों में लैब, टॉयलेट, खेल मैदान जैसी सुविधा प्रदान करने के भी सुझाव दिए गए हैं। 

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