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विकास बराला: हरियाणा सरकार के फैसले के खिलाफ क्यों आए 45 पूर्व IAS?

विकास बराला के ऊपर आरोप है कि उसने रिटायर्ड आईएएस अधिकारी वीएस, कुंडू की बेटी वर्णिका कुंडू का 2017 में अपनी एसयूवी से पीछा करने के बाद उसका रास्ता रोका था।

vikas barala appointment

विकास बराला। Photo Credit- Social Media

हरियाणा बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद सुभाष बराला के बेटे विकास बराला को दिल्ली में हरियाणा के महाधिवक्ता कार्यालय में सहायक महाधिवक्ता (एजी) विधि अधिकारी नियुक्त किए जाने का मामला अब विवादों में आ गया है। मामले ने इतना तूल पकड़ा है कि अब सरकार के इस फैसले पर विवाद छिड़ गया है। राज्य सरकार के इस फैसले के खिलाफ देश के 45 पूर्व आईएएस अधिकारियों ने मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को पत्र लिखा है।

 

इन पूर्व आईएएस अधिकारियों ने सीएम नायब सैनी को पत्र लिखकर इस नियुक्ति पर नाराजगी जताते हुए इसे रद्द करने का अनुरोध किया है। विकास बराला को एएजी के पद नियुक्ति को पूर्व आईएएस अधिकारियों ने हरियाणा की अस्मिता और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बेटी बचाओ अभियान के साथ विश्वासघात बताया।

 

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सभी ने सीएम से कहा है कि राज्य सरकार द्वारा एक बीजेपी नेता के बेटे, जिस पर अपहरण और लड़की का पीछा करने का मामला चल रहा है, उसको सहायक महाधिवक्ता पद पर नियुक्त ना किया जाए। उन्होंने कहा कि इस नियुक्ति से मामले के नतीजे पर असर पड़ सकता है।

नियुक्ति का विरोध और पूरा मामला

दरअसल, विकास बराला के ऊपर आरोप है कि उसने रिटायर्ड आईएएस अधिकारी वीएस, कुंडू की बेटी वर्णिका कुंडू का 2017 में अपनी एसयूवी से पीछा करने के बाद उसका रास्ता रोका थाइस मामले में विकास के ऊपर अपहरण का केस चल रहा हैफिलहाल विकास बराला जमानत पर हैइस मामले की अगली सुनवाई अगले महीने दो अगस्त को चंडीगढ़ की कोर्ट में होनी है

 

पीड़िता वर्णिका कुंडू इस घटना के समय 29 साल की थीविकास के साथ में आशीष नाम का युवक भी आरोपी हैदोनों ने मिलकर 5 अगस्त, 2017 को युवती की कार का पीछा कियाइसके बाद वर्णिका ने चंडीगढ़ पुलिस को फोन किया था, जिसके बाद पुलिस ने दोनों युवकों को पकड़ा थाविकास की उम्र उस समय 23 साल थी और वह कानून का छात्र थाउस समय आरोपियों के खिलाफ पीछा करना, गलत तरीके से रोकना और अपहरण का प्रयास समेत भारतीय दंड संहिता की कई धाराओं के तहत आरोप तय किए थे

 

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पत्र में क्या है?

मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को लिखे पत्र में 1986 बैच के 45 पूर्व आईएएस अधिकारियों का कहना उन सभी ने केंद्र और कई राज्यों में तीन दशकों से भी ज्यादा समय तक विभिन्न पदों पर काम किया हैपत्र में कहा गया है कि- हमें यह सुनकर आश्चर्य हुआ है कि बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष का बेटा एक युवती का पीछा करने के मामले में आरोपी है, उसे आपकी सरकार ने सहायक महाधिवक्ता नियुक्त किया हैहम यह समझ नहीं पा रहे हैं कि एक युवती का पीछा करने के आरोपी किसी व्यक्ति को सहायक महाधिवक्ता के तौर पर नियुक्त करने की क्या वजह है?

 

पत्र में आगे लिखा, 'विकास बराला हरियाणा के कानूनी अधिकारी के रूप में काम करेंगे जबकि वह स्वयं इतने गंभीर मामले में कानून के गलत पक्ष में खड़े हैं' पत्र लिखने वालों में हरियाणा कैडर के आरआर जोवेल और रजनी सेखरी सिब्बल भी शामिल हैं

पत्र में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला

इसके अलावा पत्र में साल 2011 के सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले का हवाला दिया गया है कि पीजे थॉमस की केंद्रीय सतर्कता आयुक्त के रूप में नियुक्ति को अवैध घोषित कर दिया गया था क्योंकि उनके खिलाफ एक आपराधिक मामला लंबित थाइसमें आगे कहा गया है कि ऐसा लगता है कि आपकी (मुख्यमंत्री) सरकार ने इस बात का ध्यान नहीं दिया कि विकास बराला के खिलाफ एक गंभीर आपराधिक मामला दर्ज है, वरना इतने संवेदनशील पद के अयोग्य होने के कारण उनकी नियुक्ति ही नहीं होती

निरस्त हो सकता है नियुक्ति

बता दें कि विकास बराला ने राजधानी दिल्ली ऑफिस में अभी तक कार्यभार नहीं संभाला है। बताया गया है कि नायब सैनी सरकार विवाद से बचने के लिए विकास बराला नियुक्ति को निरस्त कर सकती है। हरियाणा सरकार की तरफ से विकास की नियुक्ति की अधिसूचना 18 जुलाई को जारी की गई थी।

 

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