हरियाणा बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद सुभाष बराला के बेटे विकास बराला को दिल्ली में हरियाणा के महाधिवक्ता कार्यालय में सहायक महाधिवक्ता (एजी) विधि अधिकारी नियुक्त किए जाने का मामला अब विवादों में आ गया है। मामले ने इतना तूल पकड़ा है कि अब सरकार के इस फैसले पर विवाद छिड़ गया है। राज्य सरकार के इस फैसले के खिलाफ देश के 45 पूर्व आईएएस अधिकारियों ने मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को पत्र लिखा है।
इन पूर्व आईएएस अधिकारियों ने सीएम नायब सैनी को पत्र लिखकर इस नियुक्ति पर नाराजगी जताते हुए इसे रद्द करने का अनुरोध किया है। विकास बराला को एएजी के पद नियुक्ति को पूर्व आईएएस अधिकारियों ने हरियाणा की अस्मिता और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बेटी बचाओ अभियान के साथ विश्वासघात बताया।
यह भी पढ़ें: नोएडा में BMW ने पिता-बेटी को मारी टक्कर, 5 साल की बच्ची की मौत
सभी ने सीएम से कहा है कि राज्य सरकार द्वारा एक बीजेपी नेता के बेटे, जिस पर अपहरण और लड़की का पीछा करने का मामला चल रहा है, उसको सहायक महाधिवक्ता पद पर नियुक्त ना किया जाए। उन्होंने कहा कि इस नियुक्ति से मामले के नतीजे पर असर पड़ सकता है।
नियुक्ति का विरोध और पूरा मामला
दरअसल, विकास बराला के ऊपर आरोप है कि उसने रिटायर्ड आईएएस अधिकारी वीएस, कुंडू की बेटी वर्णिका कुंडू का 2017 में अपनी एसयूवी से पीछा करने के बाद उसका रास्ता रोका था। इस मामले में विकास के ऊपर अपहरण का केस चल रहा है। फिलहाल विकास बराला जमानत पर है। इस मामले की अगली सुनवाई अगले महीने दो अगस्त को चंडीगढ़ की कोर्ट में होनी है।
पीड़िता वर्णिका कुंडू इस घटना के समय 29 साल की थी। विकास के साथ में आशीष नाम का युवक भी आरोपी है। दोनों ने मिलकर 5 अगस्त, 2017 को युवती की कार का पीछा किया। इसके बाद वर्णिका ने चंडीगढ़ पुलिस को फोन किया था, जिसके बाद पुलिस ने दोनों युवकों को पकड़ा था। विकास की उम्र उस समय 23 साल थी और वह कानून का छात्र था। उस समय आरोपियों के खिलाफ पीछा करना, गलत तरीके से रोकना और अपहरण का प्रयास समेत भारतीय दंड संहिता की कई धाराओं के तहत आरोप तय किए थे।
यह भी पढ़ें: 13 साल बाद बाल ठाकरे के घर 'मातोश्री' लौटे राज, उद्धव से की मुलाकात
पत्र में क्या है?
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को लिखे पत्र में 1986 बैच के 45 पूर्व आईएएस अधिकारियों का कहना उन सभी ने केंद्र और कई राज्यों में तीन दशकों से भी ज्यादा समय तक विभिन्न पदों पर काम किया है। पत्र में कहा गया है कि- हमें यह सुनकर आश्चर्य हुआ है कि बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष का बेटा एक युवती का पीछा करने के मामले में आरोपी है, उसे आपकी सरकार ने सहायक महाधिवक्ता नियुक्त किया है। हम यह समझ नहीं पा रहे हैं कि एक युवती का पीछा करने के आरोपी किसी व्यक्ति को सहायक महाधिवक्ता के तौर पर नियुक्त करने की क्या वजह है?
पत्र में आगे लिखा, 'विकास बराला हरियाणा के कानूनी अधिकारी के रूप में काम करेंगे जबकि वह स्वयं इतने गंभीर मामले में कानून के गलत पक्ष में खड़े हैं।' पत्र लिखने वालों में हरियाणा कैडर के आरआर जोवेल और रजनी सेखरी सिब्बल भी शामिल हैं।
पत्र में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला
इसके अलावा पत्र में साल 2011 के सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले का हवाला दिया गया है कि पीजे थॉमस की केंद्रीय सतर्कता आयुक्त के रूप में नियुक्ति को अवैध घोषित कर दिया गया था क्योंकि उनके खिलाफ एक आपराधिक मामला लंबित था। इसमें आगे कहा गया है कि ऐसा लगता है कि आपकी (मुख्यमंत्री) सरकार ने इस बात का ध्यान नहीं दिया कि विकास बराला के खिलाफ एक गंभीर आपराधिक मामला दर्ज है, वरना इतने संवेदनशील पद के अयोग्य होने के कारण उनकी नियुक्ति ही नहीं होती।
निरस्त हो सकता है नियुक्ति
बता दें कि विकास बराला ने राजधानी दिल्ली ऑफिस में अभी तक कार्यभार नहीं संभाला है। बताया गया है कि नायब सैनी सरकार विवाद से बचने के लिए विकास बराला नियुक्ति को निरस्त कर सकती है। हरियाणा सरकार की तरफ से विकास की नियुक्ति की अधिसूचना 18 जुलाई को जारी की गई थी।