स्वतंत्रता दिवस के मौके पर जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने केंद्र शासित प्रदेश की जनता को संबोधित किया। उन्होंने जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा नहीं मिलने पर नाराजगी जताई। इसके अलावा जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक भविष्य को आतंकवादी गतिविधियों से जोड़ने की कड़ी आलोचना की। उमर अब्दुल्ला ने यह बात बख्शी स्टेडियम में आयोजित स्वतंत्रता दिवस समारोह में कही।
अपने भाषण में उमर अब्दुल्ला ने कहा, छह साल से ज्यादा का अरसा बीत चुका है। जम्मू-कश्मीर के लोगों ने अपने चुने हुए नुमाइंदे को यहां से तकरीर करते सुना है। मुझे खुद 11 साल हो गए हैं। इन 10-11 वर्षों में बहुत कुछ बदला है। पिछली बार यहां जब मैं खड़ा था, तब जम्मू-कश्मीर राज्य का मुख्यमंत्री था। देश में हमारी अपनी पहचान थी। हमारा अपना झंडा और संविधान था। आज इनमें से कुछ नहीं रहा। यहां तक कि राज्य का दर्जा भी हमारा नहीं है।
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जम्मू-कश्मीर में लोगों की अपनी सरकार
अब्दुल्ला ने आगे कहा, 'लोकतंत्र दोबारा हासिल करने में भी हमें बहुत इंतजार करना पड़ा। इतने इंतजार का अभी तक सही जवाब नहीं मिला। देर आए, लेकिन दुरुस्त आए। आज जम्मू-कश्मीर में कम से कम लोगों की अपनी सरकार है।'
इंतजार किया, लेकिन राज्य का दर्जा नहीं मिला
राज्य का दर्जा न मिलने पर उमर अब्दुल्ला ने कहा कि कुछ दोस्त हमें बताते रहे हैं कि इस साल कुछ ऐलान होगा और कुछ बदलाव होगा। 15 अगस्त को दिल्ली से जम्मू-कश्मीर के लिए बड़ा ऐलान होगा। हालांकि सच्चाई यह है कि ज्यादा उम्मीद थी नहीं। जब इंसान बार-बार कोई बात सुनता है तो कहीं न कहीं दिल के एक छोटे से कोने में बात बस जाती है। हमने बड़ी बेसब्री से भाषण का इंतजार किया। मुझे यहां तक कहा गया कि कागज तैयार हैं। आप इंतजार करिए, बस वक्त की बात है। मगर कुछ नहीं हुआ।
पाकिस्तान पर साधा निशाना
अपने भाषण में उमर अब्दुल्ला ने सर्वोच्च न्यायालय में पहलगाम के जिक्र को दुर्भाग्यपूर्ण बताया। उन्होंने आगे कहा, 'क्या पहलगाम के हत्यारे और पड़ोसी मुल्क में बैठे उनके आका तय करेंगे कि हमें राज्य का दर्जा मिलेगा या नहीं? जब भी हम राज्य के दर्जे के करीब होंगे, वे कुछ न कुछ करेंगे, ताकि उसे नाकाम किया जा सके। क्या यह न्याय है? हमें उस अपराध की सजा क्यों दी जा रही है, जिसमें हमारा कोई हाथ नहीं है?'
सर्वोच्च न्यायालय ने क्या कहा?
एक दिन पहले ही सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई के नेतृत्व वाली पीठ ने कहा, 'जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करते वक्त क्षेत्र में 'जमीनी हकीकत' पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए। पहलगाम जैसी घटनाएं नजरअंदाज नहीं की जा सकतीं।'
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हस्ताक्षर अभियान चलाएंगे उमर अब्दुल्ला
उन्होंने आगे कहा कि जम्मू-कश्मीर के लोगों ने कठुआ से कुपवाड़ा तक पहलगाम हमले के खिलाफ सड़कों पर प्रदर्शन किया। दुर्भाग्यपूर्ण है कि आज हमें पहलगाम हमले की सजा दी जा रही है। अब्दुल्ला ने ऐलान किया किया कि आज से हम आठ सप्ताह तक सभी 90 विधानसभा क्षेत्रों में घर-घर जाकर राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए हस्ताक्षर अभियान चलाएंगे। अगर लोग दस्तावेज पर हस्ताक्षर करने को तैयार नहीं हैं तो मैं अपनी हार मान लूंगा।