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190 का रेस्क्यू, 60 लापता; उत्तराखंड आपदा में अब तक क्या-क्या हुआ?

उत्तरकाशी के धराली में मौसम की तबाही के बाद लगभग 60 लोगों के लापता होने की आशंका है। इनमें नौ सेना के जवान हैं। अभी तक सिर्फ एक शव मिला है। केरल के पर्यटकों का 28 सदस्यीय समूह भी लापता है।

Dharali cloud burst.

उत्तरकाशी के धराली में बाढ़ से तबाही। (Photo Credit: PTI)

उत्तराखंड के हर्षिल के धराली में बादल फटने के बाद भूस्खलन ने भीषण तबाही मचाई है। अब तक 190 लोगों को बचाया गया है। ड्रोन से ली गईं तस्वीरें भयावह हैं। जहां पहले बड़ी-बड़ी इमारतें थी, अब वहां चारों तरफ सिर्फ मलबा और वीरानगी फैली है। भारतीय सेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और आईटीबीपी के जवान राहत एवं बचाव कार्य में जुटे हैं। खोजी कुत्तों की भी मदद ली जा रही है। बुधवार को उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ग्राउंड जीरो पर पहुंचे। यहां उन्होंने आपदा पीड़ितों से मुलाकात की और नुकसान का जायजा लिया। सीएम ने धराली और हर्षिल का हेलीकॉप्टर से हवाई सर्वेक्षण किया। 

 

पूरे धराली गांव में कीचड़ भरा है। लोगों को आशंका है कि इसमें कई लोग और गाड़ियां दबी हैं। अभी तक सिर्फ एक शव मिला है। उत्तरकाशी आपदा नियंत्रण रूम के मुताबिक मृतक की पहचान 35 वर्षीय आकाश पंवार के तौर पर हुई है। समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक केरल का 28 सदस्यीय एक ग्रुप भी लापता है। आशंका जताई जा रही है कि लगभग 60 लोग लापता हैं। मगर यह संख्या और अधिक भी हो सकती है। 

 

एक व्यक्ति ने बताया कि उसके भाई और परिवार से आपदा के बाद संपर्क नहीं हो पा रहा है। उनका धराली में होटल और घर था। आपदा में सब बह गया। लापता लोगों में छोटा भाई, उनकी पत्नी और बेटा है। आखिरी बार बात दोपहर 2 बजे हुई थी। उधर, महाराष्ट्र सरकार के मुताबिक उत्तरकाशी जिले में फंसे प्रदेश के 51 पर्यटक सुरक्षित हैं।


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आपदा में सबकुछ तबाह हो गया: सीएम

सीएम धामी का कहना है कि आपदा की चपेट में पूरा धराली आया है। कल की घटना के बाद कई बार वहां मलबा आया। वहां पहुंचकर आज लोगों से मुलाकात की और घटना की जानकारी हासिल की। आपदा में सबकुछ तबाह हो चुका है।  सीएम ने जानकारी दी कि सेना के जवानों ने धराली से करीब 190 लोगों को बचाया है। सभी घायलों को धराली से उत्तरकाशी लाया जा रहा है। क्षेत्र की कई सड़कों को भी नुकसान पहुंचा है। प्रशासन मरम्मत कार्यों में जुटा है। बता दें कि मंगलवार को धराली में बादल फटा था। भटवारी इलाके में सड़को नुकसान पहुंचा है। यहां यातायात प्रभावित हुआ है। 

 

 

लोगों की तलाश में जुटे खोजी कुत्ते

सड़क और पुल के टूटने से धराली इलाका पूरी तरह से अन्य हिस्सों कट चुका है। इस बीच 225 से अधिक सैनिक राहत एवं बचाव और खोजबीन में जुटे हैं। भारतीय सेना के मुताबिक हर्षिल के पास खोजी कुत्तों और टेकला के पास रीको रडार के साथ 7 टीमों को अभियान में लगाया गया है।

 

चश्मदीदों ने क्या बताया?

बादल फटने के चश्मदीद सुमित के मुताबिक लोगों को भागने तक का मौका नहीं मिला। कई लोग अब भी लापता हैं। 10 सेकंड तक बाढ़ रही। बाद में पानी सामान्य हो गया था। इसमें मेरी भी जान जा सकती थी। एक अन्य प्रत्यक्षदर्शी रोशन के मुताबिक घटना दोपहर डेढ़ बजे की है। अचानक आई बाढ़ में कई घर बह गए। स्थिति बेहद खतरनाक थी। अच्छा लगा कि सीएम धामी ग्राउंड जीरो पर पहुंच गए हैं।

 

हेलीकॉप्टर से पहुंचाई जा रही मदद

सेना के मुताबिक हर्षिल में सैन्य हेलीपैड चालू हालत में है। तीन नागरिक हेलीकॉप्टर भटवारी और हर्षिल पहुंच चुके हैं। इनकी मदद से राहत सामग्री पहुंचाई जा रही है और घायलों को घटनास्थल से निकाला गया है। देहरादून के जॉली ग्रांट, चंडीगढ़ और सरसावा में चिनूक, एमआई-17 और एएलएच हेलीकॉप्टर को स्टैंडबाय पर रखा गया है। मौसम साफ होते ही इन्हें घटनास्थल भेजा जाएगा। उधर, सेना के एक जूनियर कमीशंड अधिकारी (JCO) और 8 जवान समेत कुल 9 लोग लापता हैं।

 

 

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घटनास्थल नहीं पहुंच पा रहीं राहत टीमें

  • उत्तराखंड सरकार ने भोजन और दवाओं की व्यवस्था की है। तीन नोडल अधिकारियों को तैनात किया गया है। राशन वितरण की निगरानी में 160 पुलिसवालों को लगाया गया है।
  • गंगनानी के पास गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर लिमाचा नदी पर बना पुल बाढ़ में बह गया है। इस कारण बचाव दल की एक टीम धराली के रास्ते में फंसी है।
  • एनडीआरएफ की दो और टीमों को भेजा जा रहा है, लेकिन ऋषिकेश-उत्तरकाशी राजमार्ग बाधित होने से टीमें धराली नहीं पहुंच पा रही हैं।
  • देहरादून में भी एनडीआरएफ की दो टीमें खराब मौसम की वजह से फंसी हैं। मौसम साफ होते ही इन्हें हवाई मार्ग से तुरंत भेजा जाएगा।

देहरादून से कितना दूर है धराली गांव?

देहरादून से धराली पहुंचने में लगभग 5 घंटे का समय लगता है। दूरी करीब 140 किलोमीटर है। मगर दिक्कत यह है धराली गांव तक जाने वाले सभी मुख्य मार्ग बंद हो चुके हैं। कई लोग वहां अब भी फंसे हैं। यह गांव गंगोत्री के रास्ते में पड़ता है। यहां कई होटल और होमस्टे हैं। सभी पानी के सैलाब में तबाह हो चुके हैं।

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