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OP राजभर के दर पर पहुंचे पूर्वांचल के तीन राजपूत नेता, मायने क्या हैं?

तीनों नेता ओम प्रकाश राजभर के मिलकर पूर्वांचल में अपनी सियासी जमीन तलाश रहे हैं। इस फोटो के मायने आगामी विधानसभा चुनाव में खुलकर आमने आएंगे।

rajput leaders in up

ओपी राजभर से मिलते नेता। Photo Credit (@Abhishek_asitis)

सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर पिछले दिनों लखनऊ के मेदांता अस्पताल में भर्ती थे। उनको माइनर ब्रेन स्ट्रोक के बाद मेदांता अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उनकी तबियत खराब होने की खबर जैसे ही मीडिया में आई यूपी की सियासत में हलचल पैदा हो गई। सत्तापक्ष की टॉप लीडलशिप उनकी तबियत पूछने पहुंची थी। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री से लेकर उनके मंत्रिमंडल में शामिल सभी वरिष्ठ मंत्री उनका हाल-चाल जानने अस्पताल पहुंचे। सुभासपा अध्यक्ष से मिलने की तस्वीरें सोशल मीडिया पर जमकर शेयर की गईं। सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ जितनी गर्मजोशी से राजभर से मिले उससे अंदाजा लग गया कि वह सरकार और बीजेपी के लिए कितने अहम सहयोगी हैं।

 

ओम प्रकाश राजभर का कुशलछेम जानने के लिए सीएम योगी के अलावा दोनों डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक और केशव प्रसाद मौर्य, यूपी बीजेपी के अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी, राष्ट्रीय लोक दल कोटे से मंत्री अनिल कुमार, मंत्री गिरीश चंद्र यादव, सरकार में वरिष्ठ मंत्री सूर्य प्रताप शाही आदि पहुंचे। जो भी नेता ओपी राजभर से अस्पताल में मिलने पहुंचे उन सभी की तस्वीरें 'एक्स' पोस्ट की गईं। ऐसे प्रतीत हुआ जैसे यूपी की पूरी सरकार लखनऊ के मेदांता अस्पताल पहुंच गई हो। ऐसे में इसके सियासी मायने भी निकाले जा रहे हैं कि ओपी राजभर यूपी में बीजेपी के लिए खास अहमियत रखते हैं, जिसकी वजह से मंत्रियों का तांता उनसे मिलने के लिए लगा रहा।

राजपूत नेताओं की मुलाकात

ओम प्रकाश राजभर गाजीपुर की जहूराबाद से दूसरी बार विधायक हैं। वह योगी आदित्यनाथ सरकार में पंचायती राज, अल्पसंख्यक कल्याण, मुस्लिम वक्फ और हज मंत्री हैं। वह इससे पहले वाली योगी सरकार में भी मंत्री थे। मगर, उनकी अस्पताल से आई तस्वीरों ने बता दिया कि वह अब यूपी की सियासत में अहम बन चुके हैं। दरअसल, जब मुख्यमंत्री, उप मुख्यमंत्री, मंत्री, सांसद, विधायक, पूर्व सांसद, पूर्व विधायक उनसे मिल रहे थे और सबकी फोटो बाहर आ रही थी तो इसी बीच पूर्वांचल के तीन राजपूत नेता भी राजभर से अस्पताल मिलने पहुंचे थे। इन तीनों राजपूत नेताओं की फोटो ने लोगों का खासा ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया। ये तीन नेता- जौनपुर के पूर्व सांसद धनंजय सिंह, बीजेपी एमएलसी ब्रिजेश सिंह उर्फ प्रिंसू सिंह, पूर्व विधायक शैलेश सिंह शैलू और पूर्व IAS अभिषेक सिंह थे।

 

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राजपूत नेता और राजभर 

वैसे तो मंत्री ओपी राजभर से इस मुलाकात को शिष्टाचार भेंट कहा जा सकता है, लेकिन इसके सियासी मायने भी खूब हैं। धनंजय सिंह और पूर्व आईएएस अभिषेक सिंह यूपी में चर्चाओं में रहते हैं। दोनों नेता पूर्वांचल से चुनाव लड़ना चाहते हैं। दोनों चुनाव लड़ने के लिए लंबे समय से सियासी दलों की लीडरशिप से लॉबिंग करते रहे हैं, लेकिन उन्हें अभी तक सफलता नहीं मिली है।

फोटो और सियासी मायने

थोड़ा सा पीछे चलने पर इस फोटो की कहानी समझ में आएगी। पिछले लोकसभा चुनाव 2024 में बीएसपी ने धनंजय सिंह की पत्नी और जौनपुर की जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीकला रेड्डी को जौनपुर संसदीय क्षेत्र से अपना उम्मीदवार घोषित किया था। मगर बाद में एक नाटकीय क्रम में उनका टिकट बीएसपी ने काट दिया। बीएसपी ने धनंजय सिंह की पत्नी का टिकट काटकर उनकी जगह श्याम सिंह यादव को जौनपुर से टिकट दे दिया। यह धनंजय सिंह के लिए लोकसभा के चुनावी मतदान से पहले ऐन मौके पर झटका था।

 

 

उनकी पत्नी का टिकट कटना यूपी में चर्चा का विषय बन गया, लेकिन धनंजय ने इसे परिपक्वता के साथ संभाला और भविष्य में संभावनाएं तलाशने के लिए अपनी शक्ति लगाई। वह सियायी संभावनाएं तलाशने के लिए अभी भी कोशिश कर रहे हैं। 

अभिषेक सिंह की चाहत

वहीं, अभिषेक सिंह उत्तर प्रदेश कैडर के 2011 बैच के पूर्व भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी हैं। उनके पिता कृपा शंकर सिंह आईपीएस अधिकारी रह चुके हैं। उनकी पत्नी दुर्गा शक्ति नागपाल 2010 बैच की आईएएस अधिकारी हैं। अभिषेक सिंह ने 2023 में निलंबन के बाद अपने आईएएस पद से इस्तीफा दे दिया था। दरअसल, वह आईएएस रहते हुए एक नेता की तरह बर्ताव करते थे। आईएएस रहते उनके हाव-भाव से अंदाजा लगाया जा चुका था वह उनकी दिलचस्पी राजनीति में आने की है। जब उन्होंने नौकरशाही की नौकरी से इस्तीफा दिया तो वह जौनपुर में जनता के बीच सक्रिय हो गए।

 

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जौनपुर में वह लोगों की मदद करने लगे, उनकी दुख-तकलीफें सुनने लगे। यह सब करते-करते 2024 के लोकसभा चुनाव नजदीक आ गए। सियासी गलियारों में चर्चाएं होने लगी कि अभिषेक सिंह बीजेपी के टिकट पर जौनपुर से सांसदी का चुनाव लड़ेंगे। वह चुनाव की तैयारी कर रही रहे थे। लेकिन बाद में जब बीजेपी की लिस्ट सामने आई तो इसमें अभिषेक का नाम नहीं था। उनकी जगह बीजेपी ने कृपाशंकर सिंह को अपना उम्मीदवार बना दिया। यह उनके लिए किसी बड़े झटके से कम नहीं था। मगर उन्होंने हार नहीं मानी है। अभिषेक माननीय बनने के लिए लगातार धनंजय सिंह की तरह ही संभावनाएं तलाश रहे हैं। 

इतने अहम क्यों हैं राजभर?

अब ओम प्रकाश राजभर से धनंजय सिंह और अभिषेक सिंह की मुलाकात पर आते हैं। मेदांता में सीएम योगी आदित्यनाथ, केशव मैर्या, ब्रजेश पाठक, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष और मंत्रियों के मिलने की तस्वीरों ने बता दिया है कि सुभासपा अध्यक्ष बीजेपी के लिए आगामी विधानसभा में कितने जरूरी हैं। राजभर की अहमियत वाली बात धनंजय सिंह और अभिषेक सिंह दोनों जानते हैं। राजभर का पूर्वांचल में अपनी जाति के राजभर वोटरों पर मजबूत पकड़ है। राजभर लोग ओम प्रकाश को अपना नेता मानते हैं। वह अपने दम पर भले ही नहीं जीत सकते हैं लेकिन अपने दम पर यूपी में किसी भी बड़ी पार्टी का एक दर्जन सीटों पर खेल जरूर बिगाड़ सकते हैं।

 

 

विधानसभा चुनाव 2022 से पहले सुभापसा ने समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन किया। सुभापसा और सपा के गठबंधन के कारण बीजेपी को पूर्वांचल में करीब 10-15 सीटों पर नुकसान हुआ। वहीं इस चुनाव में सुभासपा को पूर्वांल में छह सीटें मिली। लेकिन सपा के साथ उनका गठबंधन ज्यादा दिन नहीं चला। जुलाई 2023 में ओम प्रकाश राजभर सपा से गठबंधन तोड़कर फिर एनडीए में शामिल हो गए। तब से ओम प्रकाश योगी सरकार में मंत्री हैं।

 

बता दें कि ओम प्रकाश राजभर प्रदेश में राजभर सहित अन्य अति पिछड़ी जातियों को साथ लेकर 2002 में सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी की स्थापना की। 2017 में सुभासपा ने बीजेपी के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ा। इस चुनाव में सुभासपा ने तीन सीटें जीती थीं। ओम प्रकाश राजभर को पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री बनाया गया था।

2027 पर है नजर

यही वजह है कि ओपी राजभर पूर्वांचल में बीजेपी और समाजवादी पार्टी दोनों के लिए एक समान अहमियत रखते हैं। बीजेपी को पता है कि अगर वह राजभर को अपने पाले में नहीं रखेगी तो समाजवादी पार्टी बिना मौका गंवाए उन्हें अपने साथ ले लेगी। 2027 के चुनाव में अगर ओपी राजभर बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ते हैं तो जाहिर सी बात है कि वह गंठबंधन में पूर्वांचल की दर्जनभर सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार सकते हैं। ऐसे में धनंजय सिंह और अभिषेक सिंह सुभासपा के टिकट से यूपी विधानसभा पहुंच सकते हैं।

 

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