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लॉटरी पर क्यों दांव लगा रहा हिमाचल प्रदेश, इसकी जरूरत क्यों पड़ी?

लगभग 26 साल के लंबे अंतराल के बाद हिमाचल प्रदेश अपने यहां लॉटरी को दोबारा शुरू करने पर विचार कर रहा है। आइये जानते हैं कि इसकी जरूरत क्यों पड़ीं और कहां-कहां यह व्यवस्था लागू है।

Himachal Pradesh News.

सांकेतिक फोटो। (AI Generated Image)

हर साल बाढ़ और भूस्खलन से भारी तबाही देखने वाले हिमालच प्रदेश ने अब लॉटरी पर दांव खेला है। लगभग 26 साल बाद हिमाचल प्रदेश में लॉटरी व्यवस्था शुरू होगी। हिमाचल प्रदेश की सरकार ने यह दांव तब चला है जब राज्य वित्तीय संकट से जूझ रहा है। उस पर लगभग एक लाख करोड़ रुपये का कर्ज है। उम्मीद है कि लॉटरी से होने वाले कमाई से इस कर्ज को पाटने में थोड़ी-बहुत कामयाबी मिलेगी। आज जानते हैं कि भारत में लॉटरी का बाजार कितना बड़ा है, कौन-कौन से राज्यों में इसका संचालन होता है, कौन-कितना कमाता है और हिमाचल प्रदेश ने लॉटरी वाला दांव क्यों चला है?

लॉटरी से हिमाचल को क्या उम्मीद? 

31 जुलाई को हिमाचल प्रदेश कैबिनेट में राज्य में लॉटरी शुरू करने पर अपनी मुहर लगाई। कैबिनेट की एक उप-समित ने राजस्व बढ़ाने के लिहाज से इसे शुरू करने की सिफारिश की थी। हिमाचल प्रदेश हर साल प्राकृतिक आपदा में भारी नुकसान उठाता है। उसे बुनियादी ढांचे के पुनर्निर्माण में वित्तीय संकट का सामना करना पड़ता है। अब उम्मीद जताई जा रही है कि लॉटरी से सरकार जरूरी धन जुटा पाएगी। 

 

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लॉटरी शुरू करने के पीछे तर्क क्या?

हिमाचल ने केंद्रीय आवंटन में कमी और जीएसटी क्षतिपूर्ति बंद होने के बीच यह फैसला लिया है। हिमाचल प्रदेश पर अभी लगभग 1,04,729 करोड़ रुपये का कर्ज है। यानी हिमाचल प्रदेश के हर व्यक्ति पर 1.17 लाख रुपये का कर्ज है। हिमाचल को केंद्र से मिलने वाला राजस्व घाटा अनुदान (आरडीएफ) भी घटता जा रहा है। साल 2024 में 6,258 करोड़ रुपये मिले थे।

 

2025 में यह रकम घटकर 3,257 करोड़ रह गई। इस बीच केंद्र सरकार ने जीएसटी मुआवजा भी रोक दिया है। इन सब वित्तीय संकट के बीच हिमाचल प्रदेश की सरकार राजस्व जुटाने के नए-नए तरीकों पर विचार कर रही है। लॉटरी से हिमाचल प्रदेश को सालाना 50-100 करोड़ रुपये की कमाई होने की उम्मीद है।

सरकार का नजरिया क्या है?

हिमाचल प्रदेश के उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान का कहना है कि लॉटरी से कई राज्य कमाई करते हैं। हिमाचल सरकार ने भी कैबिननेट की उप-समिति की सिफारिश के बाद लॉटरी सिस्टम को शुरू करने का निर्णय लिया है। इस पर कोई राष्ट्रव्यापी बैन नहीं है। अगर सही तरीके से लागू किया जाए तो हिमाचल प्रदेश को भी इसका फायदा होगा। हिमाचल प्रदेश भी अन्य राज्यों की तरह ही निविदा प्रक्रिया का पालन करेगा। 

हिमाचल में लॉटरी पर कब लगा बैन?

साल 1999 में हिमाचल प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने लॉटरी को बैन करने का निर्णय लिया था। उन्होंने लॉटरी (विनियमन) अधिनियम- 1998 की धारा 7, 8 और 9 के प्रदेश और अन्य राज्यों की लॉटरी पर प्रतिबंध लगा दिया था। 2014 में हिमाचल प्रदेश के तत्कालीन सीएम वीरभद्र सिंह ने ऑनलाइन लॉटरी शुरू करने की मंशा जताई थी। तब उन्होंने कहा था कि सरकार इस पर विचार कर रही है। हालांकि आगे कोई फैसला नहीं हो पाया था।

कितने राज्यों में चलती है लॉटरी?

14 मार्च 2023 को लोकसभा में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने एक लिखित जवाब में बताया था कि देश के कुल 9 राज्य लॉटरी का संचालन करते हैं। इनमें अरुणाचल प्रदेश, गोवा, केरल, महाराष्ट्र, मिजोरम, नागालैंड, पंजाब, सिक्किम और पश्चिम बंगाल शामिल हैं। लॉटरी (विनियमन) अधिनियम- 1998 की धारा 4 के तहत कोई भी राज्य सरकार उसमें दी गई शर्तों के मुताबिक लॉटरी का आयोजन, संचालन या प्रचार कर सकती है। 

लॉटरी से कौन-राज्य कितना कमाता?

पिछले साल मेघालय सरकार ने देश की पहली डिजिटल लॉटरी सिस्टम शुरू किया। अब हिमाचल प्रदेश सरकार भी कुछ ऐसा ही प्लान कर रही है। केरल ने टिकट बिक्री से पिछले वित्तीय वर्ष में 13, 244 करोड़ रुपये की धनराशि जुटाई। पंजाब ने लॉटरी से 235 करोड़ रुपये की कमाई की। महाराष्ट्र ने वित्तीय वर्ष 2024 में लॉटरी से 24.43 करोड़ रुपये कमाए हैं। हालांकि शुद्ध आय सिर्फ 3.52 करोड़ रही। महाराष्ट्र में ऑनलाइन लॉटरी व्यवस्था न होने से कमाई कम है। सिक्किम को 30 और गोवा को 36 करोड़ रुपये की कमाई हुई। हिमाचल प्रदेश की सरकार भी इन्हीं आंकड़ों से प्रेरित लगती है। एक अनुमान के मुताबिक भारत में लॉटरी का बाजार 2030 तक 44.3 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच सकता है।

 

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विपक्ष क्यों विरोध कर रहा?

हिमाचल में अभी लॉटरी सिस्टम शुरू नहीं हुआ है। उससे पहले ही विपक्ष ने इसका विरोध शुरू कर दिया है। पूर्व सीएम जयराम ठाकुर ने सरकार की आलोचना की। उनका कहना है कि लॉटरी से परिवार उजड़ जाते हैं। घर गिरवी हो जाते हैं और लोगों की खुदकुशी तक करनी पड़ती है। 

रियल मनी गेमिंग पर लग चुका बैन

केंद्र सरकार ने हाल ही में ऑनलाइन मनी गेमिंग पर रोक लगा दी है। सरकार का तर्क है उसने कमाई से ऊपर लोक कल्याण को चुना है। देशभर के लगभग 45 करोड़ लोग हर साल 20 हजार करोड़ रुपये की रकम इन रियल मनी गेमिंग प्लेटफॉर्म पर गंवाते थे। टीम बनाकर करोड़ों रुपये जीतने का लालच दिया जाता था। एक बार अगर व्यक्ति इनके जाल में फंसा तो वह और ही फंसता जाता था। सिर्फ तमिलनाडु में 2019 से 2024 के बीच 47 लोगों ने आत्महत्या की। यह सभी ऑनलाइन गेमिंग की लत में फंस चुके थे। रियल मनी गेमिंग एप के बंद होने से सरकार को एक अनुमान के मुताबिक सालाना 15,000-20,000 करोड़ रुपये का नुकसान होगा। मगर जनहित में सरकार ने यह कदम उठाया।  

 

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