जम्मू-कश्मीर में 'शहीदों' के नाम पर सियासत तेज हो गई है। राज्य के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा। महबूबा का कहना है कि कश्मीर और बाकी भारत के बीच दिलों की दूरी तब ही खत्म होगी, जब केंद्र घाटी के नायकों को अपना मान लेगी। उनका दावा है कि कश्मीरियों ने राष्ट्रीय हस्तियों को अपना लिया है। जम्मू-कश्मीर के सियासी दल 13 जुलाई यानी आज शहीद दिवस मानना चाहते हैं। मगर वहां के प्रशासन ने किसी को शहीदों के कब्रिस्तान में जाने की इजाजत नहीं दी है। इस बीच महबूबा मुफ्ती ने दावा किया कि लोगों को घरों में बंद कर दिया गया है।
महबूबा मुफ्ती ने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा, 'जिस दिन आप हमारे नायकों को ठीक वैसे ही अपना मानेंगे, जैसे कश्मीरियों ने महात्मा गांधी से भगत सिंह तक को अपनाया है। उस दिन 'दिलों की दूरी' (जैसा पीएम मोदी ने एक बार कहा था) सचमुच खत्म हो जाएगी।
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उन्होंने आगे लिखा, 'जब आप शहीदों के कब्रिस्तान की घेराबंदी करते हैं, लोगों को मजार-ए-शुहादा जाने से रोकने की खातिर उनके घरों में बंद कर देते हैं तो यह बहुत कुछ कहता है। 13 जुलाई हमारे उन शहीदों को याद करता है जो देशभर के अनगिनत अन्य लोगों की तरह अत्याचार के खिलाफ उठ खड़े हुए थे। वे हमेशा हमारे नायक रहेंगे।
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मुफ्ती ने कहा कि हमारी पार्टी के कई नेता जैसे खुर्शीद आलम, जोहैब मीर, हामिद कोहशीन, आरिफ लियागरू, सारा नईमा, तबस्सुम, बशारत नसीम चुपके से अपने घरों से निकलने में सफल रहे हैं। मजार-ए-शुदा की तरफ जाते वक्त पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया है। उन्होंने आरोप लगाया कि हम उसी दमनकारी समय में वापस जा रहे हैं, जिसके खिलाफ हमारे 13 जुलाई के शहीदों ने लड़ाई लड़ी थी।