योग गुरु रामदेव ने कहा है कि मुस्लिम अब तकनीक आधारित हो गए हैं। उनकी मजदूरी बढ़ गई है लेकिन हिंदू गरीब का गरीब रहा है। उन्होंने कहा है कि मुस्लिम अपने धर्म के लिए कमाई का 6 फीसदी हिस्सा जकात करते हैं, वहीं हिंदुओं को अगर 1 फीसदी हिस्सा भी खर्च करना पड़ जाए तो वे शोर मचा लगते हैं। रामदेव ने रविवार को राजस्थान के सीकर में यह बातें कहीं हैं।
रामदेव ने रैवासा धाम पीठ के राजेंद्र दास से मुलाकात की। उन्होंने कहा कि हिंदू दान नहीं देते हैं इसलिए गरीब हैं। जो लोग दान नहीं देते हैं, वे गरीब ही रहते हैं। जो अमीर दान नहीं देते हैं, वे भी गरीब ही रहते हैं। रामदेव ने पहली बार ऐसे विवादित बयान नहीं दिए हैं। वह एलोपैथी की दवाइयों से लेकर रूह आफजा तक पर विवादित बयान दे चुके हैं।
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रामदेव ने कहा क्या है?
मुसलमान मजदूरी का 6 फीसदी हिस्सा पहले ही निकाल लेता है कि इस पर मेरा अधिकार नहीं है। वह मदरसे और मस्जिदों में जकात देता है। हम लोग 1 प्रतिशत काटने पर भी कहते हैं कि महाराज हम तो पहले से ही गरीब हैं। जो लोग दान नहीं देते हैं वे गरीब के गरीब ही रहेंगे।'
जकात क्या है?
जकात एक तरह खा धार्मिक कर है, जिसे इस्लाम के अनुयायियों पर फर्ज माना जाता है। शरीयत में जकात उस हिस्से को कहते हैं जिसे इंसान अल्लाह की दी हुई संपत्ति में से उसके हकदारों के लिए निकालता है। इस दान को जकात कहते हैं।
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पहले कब-कब विवादित बयान दे चुके हैं रामदेव?
- महिलाओं पर विवादित बयान: महाराष्ट्र के ठाणे में एक योग शिविर में रामदेव ने कहा था, 'महिलाएं साड़ी, सलवार सूट में अच्छी लगती हैं, और मेरी तरह कुछ न पहनें तो भी अच्छी लगती हैं।' इस बयान पर दिल्ली और महाराष्ट्र महिला आयोग ने आपत्ति जताई थी।
- इस्लाम पर विवादित बयान: इस्लाम और मुसलमानों पर रामदेव कई विवादित बयान दे चुके हैं। राजस्थान के बाड़मेर में रामदेव ने कहा, 'इस्लाम का मतलब सिर्फ नमाज पढ़ना है, नमाज के बाद कुछ भी करो, सब जायज है।'
- रूह आफजा पर विवादित बयान: पतंजलि के प्रोडक्ट्स के प्रचार में रामदेव कसीदे पढ़े लेकिन रूह आफजा पर भड़क गए। उन्होंने कहा, 'शरबत जिहाद चल रहा है, शरबत बेचकर मदरसे और मस्जिद बनाए जाते हैं।'
- पूर्वजों पर विवादित बयान: कुरुक्षेत्र में एक कार्यक्रम के दौरान रामदेव ने कहा था, 'भारत स्वाभाविक रूप से हिंदू राष्ट्र है, सभी के पूर्वज हिंदू थे।'
- एलोपैथी पर विवादित बयान: रामदेव ने कोरोना काल में एलोपैथी को बकवास बताया था और कहा था कि लाखों लोग एलोपैथिक दवाओं से मरे। स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन के पत्र के बाद उन्होंने बयान वापस लिया। उन्हें सुप्रीम कोर्ट तक से इस बयान पर फटकार पड़ी थी।