विज्ञान और मेडिकल क्षेत्र में टेक्नोलॉजी के साथ-साथ AI को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। बता दें कि वैज्ञानिकों ने एक ऐसा ही AI टूल बनाया है, जो एक ही जांच में अलग-अलग के वायरस और बीमारियों की पहचान कर सकता है। यह तकनीक ब्लड सैंपल में मौजूद इम्यून सेल के जीन अनुक्रमों की जांच करके व्यक्ति के स्वास्थ्य की जानकारी विस्तार से देता है।
यह स्टडी 20 फरवरी को 'साइंस' मैगजीन में प्रकाशित हुआ, जिसमें लगभग 600 लोगों पर इस AI टूल का परीक्षण किया गया। परिणामों से पता चला कि यह टूल यह पहचानने में सक्षम था कि व्यक्ति स्वस्थ है या उसे कोविड-19, टाइप 1 डायबिटीज, एचआईवी या ल्यूपस जैसी ऑटोइम्यून बीमारी है। इतना ही नहीं, यह तकनीक यह भी बता सकती है कि क्या व्यक्ति ने हाल ही में फ्लू का टीका लिया है या नहीं।
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प्रतिरक्षा प्रणाली से मिली नई जानकारी
इस स्टडी की प्रमुख वैज्ञानिक सारा टीचमैन, जो यूनिवर्सिटी ऑफ कैंब्रिज से हैं, बताती हैं कि यह एक ‘वन-शॉट सीक्वेंसिंग तकनीक’ है, जो प्रतिरक्षा प्रणाली के पिछले और वर्तमान संक्रमणों की पूरी जानकारी एक ही बार में दे सकता है।
हालांकि, यह टूल अभी मेडिकल इस्तेमाल के लिए तैयार नहीं है लेकिन वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर इसे और विकसित किया जाए, तो यह भविष्य में कई बीमारियों की पहचान में मदद कर सकता है, जिनके लिए वर्तमान में कोई स्पष्ट जांच उपलब्ध नहीं है। अध्ययन से जुड़े स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक मैक्सिम जस्लावस्की के अनुसार, यह तकनीक भविष्य में डॉक्टरों को एक ही जांच में कई बीमारियों की पहचान करने में सहायता कर सकती है।
इम्यून सिस्टम खुद में है डायग्नोस्टिक टूल
मनुष्य में इम्यून सिस्टम अपने आप में एक डायग्नोस्टिक टूल है यानी यह शरीर में आने वाले हर वायरस और बीमारी का रिकॉर्ड रखती है। इसमें दो प्रमुख सेल्स होते हैं – बी सेल्स और टी सेल्स। इसमें बी सेल्स एंटीबॉडी बनाती हैं, जो वायरस और अन्य हानिकारक तत्वों से जुड़कर उन्हें बेअसर करने का काम करती हैं।
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वहीं, टी सेल्स संक्रमण से लड़ने के लिए अन्य इम्यून रिएक्शन को सक्रिय करती हैं और संक्रमित सेल्स को नष्ट कर देती हैं। जब कोई व्यक्ति किसी वायरस की चपेट में आता है या कोई ऑटोइम्यून बीमारी बढ़ती है, तो उसकी बी और टी सेल्स बड़ी संख्या में सक्रिय हो जाते हैं। इस प्रक्रिया के दौरान, ये सेल्स विशेष प्रकार के रिसेप्टर्स विकसित करती हैं, जो हर बीमारी के लिए अलग-अलग होते हैं। इन रिसेप्टर्स के जीन सीक्वेन्सिंग को पढ़कर व्यक्ति के पूरे मेडिकल रिपोर्ट को जाना जा सकता है।