Axiom-4 मिशन, जो अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) से जुड़ा हुआ निजी रिसर्च मिशन है, अब अपने अंतिम चरण में है। यह मिशन अंतरिक्ष यात्रियों के लिए जितना रोमांचक है, पृथ्वी पर सुरक्षित लौटना उतना ही नाजुक और महत्वपूर्ण प्रकिया है। इस मिशन के तहत शामिल भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला जल्द ही पृथ्वी पर लौटने वाले हैं।
मौजूदा जानकारी के अनुसार, Axiom-4 के अंतरिक्ष यात्रियों का पृथ्वी से अलग होना यानी 'अनडॉकिंग' (Undocking) प्रक्रिया 14 जुलाई को भारतीय समयानुसार शाम 4:30 बजे निर्धारित की गई है। इसके बाद उनका पृथ्वी पर 15 जुलाई को दोपहर 3:00 बजे के आसपास स्प्लैशडाउन होगा। समय में एक घंटे का अंतर हो सकता है, जो मौसम या तकनीकी स्थिति पर निर्भर करता है। अब सवाल यह उठता है कि स्प्लैशडाउन क्या होता है और इसके बाद अंतरिक्ष यात्री किन-किन प्रक्रियाओं से गुजरते हैं?
स्प्लैशडाउन क्या है?
जब अंतरिक्ष यात्री अंतरिक्ष से पृथ्वी पर लौटते हैं, तो उनका यान पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करता है और धीरे-धीरे नीचे उतरता है। यह यान एक खास कैप्सूल के रूप में होता है जिसे गर्मी से बचाने के लिए विशेष सुरक्षा दी गई होती है, क्योंकि वायुमंडल में प्रवेश करते समय ज्यादा गर्मी पैदा होती है।
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पृथ्वी पर लौटते समय यह कैप्सूल पैराशूट की मदद से धीमा होकर समुद्र में उतरता है। इसी समुद्र में उतरने की प्रक्रिया को ‘स्प्लैशडाउन’ कहा जाता है। यह तरीका इसलिए अपनाया जाता है क्योंकि पानी की सतह पर उतरना ज़मीन की तुलना में सुरक्षित होता है, खासकर जब यान बहुत तेजी से आ रहा हो।
स्प्लैशडाउन के बाद क्या होता है?
स्प्लैशडाउन के तुरंत बाद एक खास बचाव दल पहले से तय समुद्री जगह पर तैयार रहता है। जैसे ही कैप्सूल समुद्र में उतरता है, हेलिकॉप्टर और नावों की मदद से उस जगह पर पहुंचकर अंतरिक्ष यात्रियों को कैप्सूल से बाहर निकाला जाता है।
इसके बाद अंतरिक्ष यात्रियों को सबसे पहले मेडिकल जांच से गुजरना होता है। अंतरिक्ष में रहने के दौरान ग्रेविटी के न होने के कारण उनके शरीर पर कई तरह के असर होते हैं- जैसे हड्डियों की कमजोरी, मांसपेशियों का सिकुड़ना, ब्लड फ्लो में बदलाव आदि। इसलिए डॉक्टर यह जांच करते हैं कि उनकी शारीरिक स्थिति सामान्य है या नहीं।
इसके बाद यात्रियों को खास स्ट्रेचर या आरामदायक सीटों में बिठाकर हेलिकॉप्टर या विमान के जरिए जमीन पर लाया जाता है, जहां और भी गहन मेडिकल टेस्ट होते हैं। कुछ दिन तक उन्हें पृथ्वी की परिस्थितियों के अनुसार ढलने का समय दिया जाता है।
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पृथ्वी पर लौटना क्यों जटिल होता है?
जब कोई अंतरिक्ष यात्री महीनों तक जीरो ग्रेविटी में रहता है, तो उसका शरीर उसे महसूस करना भूल जाता है। जैसे ही वह पृथ्वी पर लौटता है, सभी अंगों को फिर से गुरुत्वाकर्षण से तालमेल बैठाना पड़ता है। चलना, उठना-बैठना, यहां तक कि सीधे खड़ा रहना भी मुश्किल हो सकता है। इसलिए वैज्ञानिक और डॉक्टर मिलकर उन्हें खास प्रक्रिया से गुजारते हैं।
Axiom-4 मिशन क्या था
Axiom-4 एक व्यावसायिक अंतरिक्ष मिशन है, जिसका उद्देश्य अंतरिक्ष में निजी रिसर्च और टेस्ट के नए रास्ते खोलना है। इस मिशन के जरिए अंतरिक्ष यात्रियों ने ISS पर विभिन्न प्रयोग किए हैं। इन टेस्ट्स से भविष्य में लूनर (चंद्रमा) और मार्स (मंगल) मिशन के लिए भी जरूरी जानकारियां मिलेंगी।