इंटरनेट ने जहां एक तरफ लोगों का काम बहुत आसान कर दिया है, ठीक इसके उलट दुनियाभर में साइबर क्राइम से जुड़े मामलों में बढ़ोतरी हुई है। एक रिपोर्ट के अनुसार, सिर्फ भारत में साल 2025 के फरवरी महीने तक 20,000 करोड़ रुपए का साइबर फ्रॉड हो चुका है। इसमें साइबर अपराधी तरह-तरह के तरीके अपनाकर लोगों को चूना लगा रहा है, जिनमें- साइबर फिशिंग, डिजिटल अरेस्ट, हैकिंग जैसे कई तरीके शामिल हैं।
साइबर क्राइम में एक तरीका 'बर्थ डेट अटैक' है या इसे सोशल इंजीनियरिंग अटैक भी कह सकते हैं, जिसमें साइबर अपराधी किसी व्यक्ति के जन्म तिथि के आधार पर धोखाधड़ी करने की कोशिश करता है।
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बर्थ डेट अटैक क्या है?
इस हमले में साइबर अपराधी (Hackers) किसी व्यक्ति की जन्मतिथि का इस्तेमाल उसकी डिजिटल सिक्योरिटी को कमजोर करने के लिए करते हैं। यह एक प्रकार का सोशल इंजीनियरिंग अटैक है, जिसमें लोग अपनी व्यक्तिगत जानकारी खुद ही साझा कर देते हैं या हमलावर उसे अलग-अलग तरीकों से निकाल लेते हैं।
बर्थ डेट अटैक कैसे किया जाता है?
कई वेबसाइट और बैंकिंग सिस्टम में अकाउंट रिकवरी के लिए 'आपकी जन्मतिथि क्या है?' जैसे सवाल पूछे जाते हैं। अगर किसी को आपकी जन्मतिथि पता चल जाए, तो वह आपका अकाउंट आसानी से एक्सेस कर सकता है। बहुत से लोग अपनी जन्मतिथि या उससे जुड़े अंक (जैसे: 01011990, 1990, 9011) को पासवर्ड के तौर पर इस्तेमाल करते हैं। हैकर्स ऐसे पासवर्ड आसानी से गेस कर सकते हैं और अकाउंट हैक कर सकते हैं।
इसके साथ लोग अक्सर सोशल मीडिया प्रोफाइल में अपनी जन्मतिथि सार्वजनिक रूप से डालते हैं। साइबर अपराधी इन जानकारियों को इकट्ठा करके धोखाधड़ी कर सकते हैं। यहां तक कि हमलावर नकली ईमेल या वेबसाइट बनाकर यूजर से उसकी जन्मतिथि और अन्य जानकारी मांगते हैं और फिर इसे गलत तरीके से इस्तेमाल करते हैं।
अगर किसी का आधार कार्ड या दूसरी आधिकारिक आईडी लीक हो जाती है, तो उसमें जन्मतिथि लिखी होती है। इससे अपराधी अलग-अलग ऑनलाइन सर्विस तक पहुंच बना सकते हैं। बैंकों में पहचान वेरीफिकेशन के लिए जन्मतिथि का इस्तेमाल किया जाता है। अगर कोई अपराधी आपकी जन्मतिथि जान ले, तो वह आपकी बैंकिंग जानकारी को एक्सेस करने की कोशिश कर सकता है।
बर्थ डेट अटैक से क्या खतरा हो सकता है?
जन्मतिथि का इस्तेमाल करके ईमेल, सोशल मीडिया और बैंकिंग अकाउंट हैक किए जा सकते हैं। साथ ही किसी व्यक्ति की पहचान चुराकर नकली अकाउंट बनाए जा सकते हैं और उनका दुरुपयोग किया जा सकता है। जन्मतिथि के साथ अगर दूसरी जानकारी भी अपराधियों के हाथ लग जाए, तो वे बैंक खातों से पैसे निकाल सकते हैं।
जन्मतिथि के आधार पर अपराधी लोगों को स्पैम कॉल और फर्जी मैसेज भेजकर ठगी कर सकते हैं। साथ ही अपराधी जन्मतिथि और अन्य डेटा चुराकर फर्जी आधार कार्ड, पैन कार्ड और पासपोर्ट बना सकते हैं व उसका गलत इस्तेमाल हो सकता है। डिजिटल अरेस्ट के कई मामलों में भी देखा गया है कि धोखाधड़ी करने वालों के पास पीड़ित व्यक्ति की सभी जानकारी मौजूद होती है, जिसमें जन्मतिथि भी शामिल है।
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बर्थ डेट अटैक से कैसे बचा जाए?
फेसबुक, इंस्टाग्राम, ट्विटर जैसी साइट्स पर अपनी जन्मतिथि को प्राइवेट रखें ताकि अजनबी लोग इसे न देख सकें। साथ ही अपनी जन्मतिथि को पासवर्ड न बनाएं। हमेशा अल्फ़ान्यूमेरिक (अक्षर + नंबर) और स्पेशल कैरेक्टर्स का इस्तेमाल करें।
कोई वेबसाइट आपसे सुरक्षा प्रश्न पूछती है, जैसे 'आपकी जन्मतिथि क्या है?', तो इसका जवाब वास्तविक जन्मतिथि देने के बजाय कोई और जवाब दें जो लंबे समय तक आपको ध्यान रहे।
सबसे जरूरी जहां हो सके वहां 2 2 factor authentication (जैसे OTP या Authenticator App) चालू करें ताकि सिर्फ पासवर्ड से कोई आपका अकाउंट एक्सेस न कर सके। साथ ही जितना हो सके किसी अज्ञात स्रोत से ईमेल, मैसेज या कॉल आए और जन्मतिथि पूछे, तो सतर्क रहें और जानकारी साझा न करें।
अपने आधार कार्ड, पैन कार्ड और दूसरे जरूरी दस्तावेजों की जानकारी ऑनलाइन साझा करने से बचें। साइबर सिक्योरिटी अपडेट्स और एंटीवायरस सॉफ़्टवेयर का इस्तेमाल करें और बैंक व सोशल मीडिया अकाउंट्स की लॉगिन एक्टिविटी को समय-समय पर चेक करें।