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Game of Thrones वाले भेड़ियों की 'संतानें' अब कैसे पैदा हो गईं? समझिए

अमेरिका की कोलोसल बायोसाइंसेज नाम की कंपनी ने 13 हजार साल पहले विलुप्त हो चुके डायर वुल्फ को फिर से जिंदा करने का दावा किया है। जानें कौसे हुआ ये संभव।

Image of New born Dire Wolf

डायर वुल्फ के डीएनए से जन्में भेड़िये।(Photo Credit: @westerosies/ X)

अमेरिका की एक बायोटेक कंपनी ने हाल ही में एक बड़ा दावा किया है, जिसमें उन्होंने हजारों साल पहले विलुप्त हो चुकी डायर वुल्फ प्रजाति को दोबारा जीवित करने की दिशा में सफलता पाई है। 'गेम ऑफ थ्रोन्स' सीरीज में दिखाई गई डायर वुल्फ प्रजाति ने दुनियाभर में लोगों का ध्यान खींचा था। अब वैज्ञानिकों ने इन्हें लैब में फिर से जन्म देने की कोशिश की है।

डायर वुल्फ क्या है और ये क्यों विलुप्त हुए?

डायर वुल्फ, एक विशाल और ताकतवर भेड़िया प्रजाति थी जो लगभग 13,000 साल पहले विलुप्त हो गई थी। ये जानवर उत्तर अमेरिका में पाए जाते थे और इनका आकार सामान्य भेड़ियों से काफी बड़ा होता था। वैज्ञानिकों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन, खाने की कमी और इंसानों के शिकार की वजह से ये प्रजाति धीरे-धीरे विलुप्त हो गई थी।

 

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कैसे हुई वापसी की कोशिश?

डलास की कोलोसल बायोसाइंसेज नाम की कंपनी ने ‘डी-एक्सटिंक्शन’ (विलुप्त प्रजातियों को फिर से जीवित करने) तकनीक का इस्तेमाल किया। 2021 में उन्हें डायर वुल्फ के पुराने जीवाश्मों से डीएनए निकालने में सफलता मिली। इसके बाद ग्रे वुल्फ के 20 जीन्स को बदलकर डायर वुल्फ की खास जींस जिसमें, बड़ा शरीर और घना, सफेद कोट जैसी चीजें जोड़ी गई। इनसे भ्रूण बनाए गए जिन्हें मादा कुत्ते के गर्भ में ट्रांसप्लांट किया गया। इस प्रक्रिया से तीन नए भेड़िए जन्मे जिनका नाम रोमुलस, रेमुस और खलीसी रखा गया। इन भेड़ियों की तस्वीर सोशल मीडिया पर आते ही वायरल हो गई।

इन भेड़ियों में क्या खास है?

यह भेड़िए आम ग्रे वुल्फ की तुलना में 20% बड़े होते हैं और इनका शरीर भी ज्यादा ताकतवर दिखता है। इनका कोट भी सफेद और बहुत घना है, जो डायर वुल्फ जैसे दिखने वाले खासियत के बहुत करीब है। हालांकि, वैज्ञानिकों ने यह माना है कि ये पूरी तरह डायर वुल्फ नहीं हैं, क्योंकि असली डायर वुल्फ और ग्रे वुल्फ के बीच करीब 80 जीन्स का अंतर होता है, जबकि यहां सिर्फ 20 जीन बदले गए हैं।

 

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इस तकनीक की खासियत क्या है?

कोलोसल कंपनी की वैज्ञानिक बेथ शापिरो का कहना है कि इस तकनीक की मदद से संकट में पड़ी प्रजातियां, जैसे रेड वुल्फ को बचाया जा सकता है। साथ ही यह कोशिश भविष्य में और भी धरती से विलुप्त हो चुकी प्रजातियों को दोबारा जीवित करने का रास्ता खोल सकती है। कंपनी का कहना है कि 2028 तक वूल्ली मैमथ को फिर से धरती पर लाया जाए, इस योजना पर काम चल रहा है।

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