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DRDO ने जिस स्क्रैमजेट इंजन का टेस्ट किया, उसकी ताकत क्या है?

DRDO ने 1000 सेकंड तक किया स्क्रैमजेट सबस्केल कम्बसटर का सफलत ग्राउंड टेस्ट किया। जानें क्या है इसकि पावर।

Image of Hypersonic Missile

सांकेतिक चित्र(Photo Credit: AI Image)

भारत के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) की डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट लेबोरेटरी (DRDL) ने हैदराबाद में हाइपरसोनिक टेक्नॉलोजी के क्षेत्र में एक बड़ा कदम आगे बढ़ाया है। शुक्रवार को DRDL ने स्क्रैमजेट सबस्केल कम्बसटर का सफलत ग्राउंड टेस्ट किया। यह टेस्ट नए बने Scramjet Connect Test Facility में किया गया और परीक्षण की अवधि 1000 सेकंड (लगभग 17 मिनट) से भी ज्यादा रही।

 

यह उपलब्धि पहले जनवरी 2025 में किए गए एक छोटे टेस्ट के बाद हासिल की गई है, जिसमें सिस्टम को 120 सेकंड तक चलाया गया था। अब जब लंबे समय तक कम्बसटर का सफल परीक्षण हो गया है, तो जल्द ही इस तकनीक को बड़े स्तर पर टेस्ट करने की तैयारी की जाएगी।

 

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क्या है हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल?

रक्षा मंत्रालय ने बताया कि हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइलें ऐसी मिसाइलें होती हैं जो आवाज की रफ्तार से पांच गुना (Mach 5) से भी ज्यादा गति से उड़ती हैं, यानी करीब 6100 किलोमीटर प्रति घंटे से ज्यादा। ये मिसाइलें लंबी दूरी तक उड़ान भर सकती हैं और इन्हें एक खास प्रकार के इंजन- एयर-ब्रीदिंग स्क्रैमजेट इंजन से शक्ति मिलती है।

 

हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइलें मौजूदा एयर डिफेंस सिस्टम को चकमा देने में सक्षम होती हैं क्योंकि उनकी गति बहुत ज्यादा होती है और वह अचानक दिशा भी बदल सकती हैं।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने DRDO की इस उपलब्धि की सराहना करते हुए कहा कि 'यह भारत सरकार की हाइपरसोनिक हथियार तकनीक को विकसित करने के प्रति मजबूत प्रतिबद्धता का प्रमाण है।'

 

स्क्रैमजेट इंजन क्या होता है और कैसे काम करता है?

हाइपरसोनिक जेट्स का सबसे अहम हिस्सा उनका स्क्रैमजेट इंजन होता है। स्क्रैमजेट एक ऐसा एयर-ब्रीदिंग इंजन है जो बिना किसी घूमने वाले पुर्जों के काम करता है। यह इंजन हवा से ऑक्सीजन लेता है और उसे ईंधन के साथ मिलाकर अपनी रफ्तार को बढ़ाता है।

 

स्क्रैमजेट इंजन में हवा इतनी तेज गति से गुजरती है कि उसे धीमा किए बिना ही अंदर जालना पड़ता है। इसमें Flame Stabilization तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे इंजन लगातार जलता रहता है, भले ही हवा की गति 1.5 किलोमीटर प्रति सेकंड से ज्यादा क्यों न हो।

 

इसकी खासियत यह है कि यह विमान या मिसाइल को बिना भारी ऑक्सीजन टैंक के ही बहुत तेज गति से लंबी दूरी तक उड़ने में मदद करता है।

 

किन देशों के पास हाइपरसोनिक तकनीक है?

रूस

रूस ने 'Avangard' और 'Kinzhal' जैसी हाइपरसोनिक मिसाइलें विकसित की हैं और इन्हें सेना में शामिल भी किया है। रूस इस क्षेत्र में सबसे आगे माना जाता है।

चीन

चीन ने भी 'DF-17' नामक हाइपरसोनिक ग्लाइड वाहन (HGV) का सफल टेस्ट और प्रदर्शन किया है। चीन इस तकनीक पर काफी तेजी से काम कर रहा है।

 

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अमेरिका (USA)

अमेरिका 'Hypersonic Air-breathing Weapon Concept (HAWC)' और 'ARRW' जैसे प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है। अमेरिका का उद्देश्य अपनी सैन्य ताकत को हाइपरसोनिक मिसाइलों के साथ और मजबूत बनाना है।

भारत

भारत ने भी हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी डिमॉन्स्ट्रेटर व्हीकल (HSTDV) का सफल टेस्ट किया है और अब इस ताजा उपलब्धि के साथ फुल-स्केल हाइपरसोनिक मिसाइल बनाने की दिशा में तेजी से बढ़ रहा है।

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