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चुनाव में AI वाली गड़बड़ियां बताएगा FSL का ग्लोबल इलेक्शन्स AI ट्रैकर

AI बेस्ड थिंकटैंक फ्यूचर शिफ्ट लैब्स ने दो ऐसे टूल डेवलप किए हैं जो चुनाव में AI के दुरुपयोग के खिलाफ ल़ड़ने में काफी मददगार साबित होने वाले हैं।

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पॉलिटिकल टेक समिट 2025 में अपनी बात रखते FSL के को-फाउंडर सागर विश्नोई, Photo Credit: FSL

दुनियाभर में हो रहे चुनावों में अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल बढ़ गया है। इस्तेमाल के साथ-साथ दुरुपयोग भी बढ़ा है। ऐसे में फ्यूचर शिफ्ट लैब्स ने दो ऐसे टूल लॉन्च किए हैं जो ऐसी समस्याओं से निपटने में मदद करेंगे। फ्यूचर शिफ्ट लैब्स (FSL) ने ब्रिटिस यूनिवर्सिटी, जॉर्जिया के साथ मिलकर एक AI बेस्ड ट्रैकर और ट्रैकर मीटर तैयार किया है। मुख्य रूप से चुनावी अभियानों में काम वाले इस ग्लोबल इलेक्शन AI ट्रैकर  की मदद से चुनाव में AI से जुड़ी चुनौतियों का सामना करने में मदद मिलेगी। यह टूल चुनावी संबंधी ट्रेंड का रियल टाइम विश्लेषण करता है और लोकतांत्रिक व्यवस्था पर AI के असर को मॉनीटर करता है। इन दोनों टूल्स को बर्लिन में आयोजित पॉलिटिकल टेक समिट 2025 में लॉन्च किया गया, जहां इसकी क्षमताओं को पहचान मिली। इन दोनों के बारे में यह माना गया है कि ये टूल्स अपनी तकनीकी क्षमता के आधार पर लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा करने में सक्षम हैं।

 

यह ट्रैकर पता लगाता है कि 2024 में दुनियाभर में हुए चुनावों में गलत जानकारी और डीपफेक का इस्तेमाल करके बनाए गए कैंपेन के जरिए AI ने कितना असर डाला। ग्लोबल इलेक्शन्स AI ट्रैकर के साथ-साथ ट्रैकर मीटर भी लॉन्च किया गया है। यह टूल क्षेत्रीय आधार पर AI से जुड़ी चुनौतियों की पहचान करता है। यह टूल भारत जैसे देश उन देशों में भी काम करता है जहां गलत जानकारी खूब फैलाई जाती है। साथ ही, उन क्षेत्रों में भी काम करता है जहां AI अभी उतना हावी नहीं है, जैसे कि साउथ अमेरिका और अफ्रीका।

 

इस टूल को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि यह पारदर्शिता को बढ़ाता है और डेटा आधारित इनसाइट देकर, AI आधारित चुनावी हस्तक्षेप की सूचना देकर और वैश्विक स्तर पर जागरूकता फैलाकर लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा करता है। साथ ही, इसके साथ मौजूद केस स्टडी ऐसी इनसाइट देती हैं जिनके आधार पर सरकार, नीति निर्माता और रिसर्चर चुनाव में AI से जुड़ी चुनौतियों के खिलाफ सही कदम उठा सकें।

 

यह भी पढ़ें- चुनाव प्रचार में AI का रेगुलेशन जरूरी, FSL की रिसर्च ने बताई अहमियत

क्या कहते हैं फाउंडर्स?

 

इस टूल को बनाने में फ्यूचर शिफ्ट लैब्स ने अहम भूमिका निभाई है और डिजिटल डिप्लोमेसी के साथ-साथ लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा करने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जाहिर की है। जर्मनी के बर्लिन शहर में आयोजित पॉलिटिकल टेक समिट 2025 में अपनी बात रखते हुए फ्यूचर शिफ्ट लैब्स के को-फाउंडर सागर विश्नोई ने कहा, 'ग्लोबल इलेक्शन्स AI ट्रैकर की मदद से हम चुनाव में AI से जुड़ी चुनौतियों और समस्याओं से लोकतंत्र को सुरक्षित रखने की ओर कदम बढ़ा रहे हैं। हमारा लक्ष्य है कि हम वैश्विक स्तर के स्टेकहोल्डर्स को प्रभावित कर सकें ताकि चुनावी प्रक्रिया को निष्पक्ष और पारदर्शी बनाने के लिए सब मिलकर काम करें।'

इस टूल के बारे में फ्यूचर शिफ्ट लैब्स के फाउंडर नितिन नारंग ने कहा, 'यह टूल दिखाता है कि लोकतांत्रिक मूल्यों को मजबूत करने के लिए तकनीकी का सही इस्तेमाल करने में हम कितना भरोसा रखते हैं। यह वैश्विक नेताओं के लिए एक रिमाइंडर की तरह है कि AI आधारित चुनावों के केंद्र में भी भरोसा और पारदर्शिता होनी चाहिए।'

क्या है मकसद?

 

यह ट्रैकर इस समय की सबसे बड़ी समस्या (लोकतांत्रिक नतीजों को प्रभावित करने के लिए AI का दुरुपयोग) के खिलाफ काम करता है। यह टूल चुनाव में AI की भूमिका से जुड़ी छोटी से छोटी चीजों के बारे में बताता है और वैश्विक स्तर के स्टेकहोल्डर्स को प्रोत्साहित करता है कि वे निष्पक्ष चुनावी प्रक्रिया के लिए एथिकल फ्रेमवर्क और रेगुलेशन को अपनाएं।

 

फ्यूचर शिफ्ट लैब्स की कोशिश है कि वह टेक्नोलॉजी को गवर्नेंस के साथ मिलाकर बेहतर भविष्य बनाने का काम कर सके। बर्लिन में आयोजित हुए पॉलिटिकल टेक समिट ने राजनीति से संबंधित टेक्नोलॉजी में हुए नए प्रयासों को पेश करने का मौका दिया।

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