भारतीय बाजार में इलेक्ट्रिक व्हीकल की मांग तेजी से बढ़ रही है। इसी बीच गोल्डमैन सैक्स ने एक नई रिपोर्ट में बताया है कि आने वाले दो सालों में ईवी की कीमतों में भारी गिरावट आ सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि अनुमान लगाया जा रहा है कि 2026 तक ईवी बैटरी की कीमतें आधी रह जाएंगी, जिससे गाड़ी और स्कूटर की कीमत भी कम हो जाएंगी। बता दें कि एक इलेक्ट्रिक व्हीकल के मैन्युफैक्चरिंग में बैटरी की लागत 28 से 30% की होती है।
गोल्डमैन सैक्स के द्वारा जारी किए गए रिपोर्ट में यह बताया गया है कि वर्ष 2022 में दुनियाभर में ईवी बैटरी की औसत कीमत 153 डॉलर यानी करीब 13 हजार रुपए प्रति किलोवॉट थी। वहीं 2023 में दाम घटकर 149 डॉलर, भारतीय रुपयों में 12,500 रुपए के करीब आ गया। कम होती कीमतों की रफ्तार को देखते हुए अनुमान लगाया जा रहा है कि वर्ष 2026 तक बैटरी का दाम 80 डॉलर यानी करीब 6,700 रुपए प्रति किलोवॉट पहुंच सकता है, जो 2022 की तुलना में 50% तक कम है।
क्या है इसका कारण?
विश्लेषकों द्वारा रिपोर्ट में बताया गया है कि बैटरी बनाने में लीथियम, कोबाल्ट जैसे कच्चे माल का प्रयोग होता है। कुछ साल पहले इनके दाम बहुत ज्यादा थे और तभी से इनके दाम कम हो रहे हैं। अनुमान है कि इसमें 2030 तक गिरावट होती रहेगी। जिसके कारण बैटरी मैन्युफैक्चरिंग की लागत भी 40% के करीब कम हो सकती है।
एक कारण यह भी बताया गया है कि सेल-टू-पैक टेक्नीक में कम बैटरी मॉड्यूल्स की आवश्यकता होती है। जिससे बैटरी पैक लागत होने के साथ-साथ एनर्जी क्षमता भी करीब 30% तक बढ़ जाती है। इसके कारण बैटरी का आकर भी छोटा रखने में मदद मिलती है।
भारत में कितनी बिक चुकी हैं इलेक्ट्रिक गाड़ियां?
VAHAN के रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2015 से अब तक भारत में करीब 40 लाख इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री हो चुकी है। वहीं बीते एक-दो सालों में ईवी की मांग में वृद्धि देखी गई है। इसके साथ भारत सरकार ने भी 2030 तक अपनी परिवहन आवश्यकताओं को 30% इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) के माध्यम से पूरा करने का लक्ष्य रखते हुए ई-मोबिलिटी की ओर रणनीतिक बदलाव की घोषणा की है। ई-कॉमर्स और लॉजिस्टिक्स कंपनियों के साथ-साथ टैक्सी संचालकों में भी इलेक्ट्रिक दोपहिया, तिपहिया और यात्री वाहनों की मांग तेजी से बढ़ रही है।