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3 अरब से ज्यादा यूजर्स वाले Chrome पर बिक्री का दबाव, क्या होगा असर

अमेरिका के एंटीट्रस्ट वकील वेब ब्राउजर क्रोम को बेचने के लिए मजबूर करने की मांग कर रहे हैं। आइए जानते हैं पूरा मामला।

Google Chrome

गूगल पर है क्रोम को बेचने का दबाव

दुनियाभर में गूगल क्रोम ब्राउजर का इस्तेमाल सबसे अधिक किया जाता है। इसपर देश और दुनिया की जानकारी के साथ मूवी, शॉपिंग, सोशल मीडिया, जैसी तमाम चीजें उपलब्ध हैं, जिनका उपयोग हर दिन होता है। लेकिन अब अमेरिका में गूगल पर क्रोम को बेचने का दबाव बनाया जा रहा है। बता दें कि गूगल ने 2 सितंबर 2008 को क्रोम लॉन्च किया था। शुरुआत में इसे केवल माइक्रोसॉफ्ट विंडोज के लिए बीटा वर्जन में पेश किया गया था। इसका उद्देश्य तेज, सरल और सुरक्षित वेब ब्राउजिंग का अच्छा अनुभव देना था।

 

2010 में, गूगल ने क्रोम को MacOS और Linux के लिए भी उपलब्ध कराया। इसके बाद, 2012 में, क्रोम ने मोबाइल डिवाइस (Android और iOS) के लिए अपना संस्करण लॉन्च किया। आज, गूगल क्रोम दुनिया क्रोम ब्राउजर का मार्किट शेयर करीब 66% तक है। लेकिन हाल ही में अमेरिकी कोर्ट में क्रोम के बिक्री की मांग उठी थी।

गूगल क्रोम ब्राउजर की बिक्री पर विवाद

अमेरिका के एंटीट्रस्ट वकील वेब ब्राउजर क्रोम को बेचने के लिए मजबूर करने की मांग कर रहे हैं। यह कदम गूगल की ऑनलाइन सर्च और एडवरटाइजिंग मार्किट में मोनोपॉली को सीमित करने के लिए उठाया जा रहा है। 

 

अमेरिकी न्याय विभाग (US DOJ) ने यूएस डिस्ट्रिक्ट जज अमित मेहता के सामने यह सिफारिश पेश की है। अगले साल जज मेहता गूगल के मोनोपॉली पावर को नियंत्रित करने के उपाय तय करेंगे। विश्लेषकों का कहना है कि यह गूगल के लिए एक बड़ा झटका साबित हो सकता है और इससे गूगल को बड़ा नुकसान हो सकता है।

गूगल क्रोम की कीमत

गूगल क्रोम का इस्तेमाल दुनिया भर में तीन अरब से अधिक लोगों द्वारा किया जाता है। एक रिपोर्ट के अनुसार, इसका मूल्यांकन कम से कम 15 बिलियन डॉलर हो सकता है। हालांकि, यह अनुमान लगाना मुश्किल है। इससे पहले 2016 में, नॉर्वे की कंपनी ओपेरा ने अपना ब्राउजर 600 मिलियन डॉलर में बेचा था, लेकिन उस समय इसके केवल 35 करोड़ उपयोगकर्ता थे।

कौन खरीद सकता है?

Emarketer की वरिष्ठ विश्लेषक एवेलिन मिशेल-वुल्फ का मानना है कि क्रोम को खरीदने के लिए बहुत कम कंपनियां योग्य हैं। उन्होंने कहा, 'जिन कंपनियों के पास क्रोम खरीदने के लिए पर्याप्त धन है, वे पहले से ही एंटीट्रस्ट मामलों के तहत जांच में हैं।'

 

विशेषज्ञों के अनुसार, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) क्षेत्र से जुड़ी कंपनियां क्रोम खरीदने के लिए संभावित दावेदार हो सकती हैं। उदाहरण के लिए, एलन मस्क की एआई कंपनी इस दौड़ में हो सकती है। मस्क की वित्तीय स्थिति और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ उनके करीबी संबंध इस डील को मंजूरी दिलाने में मदद कर सकते हैं।

गूगल की चुनौतियां

गूगल मुफ्त खोज सेवा प्रदान करता है और विज्ञापनों से राजस्व अर्जित करता है। अगर क्रोम ब्राउजर को अलग कर दिया जाता है, तो गूगल के व्यवसाय मॉडल पर गहरा असर पड़ेगा। हालांकि, अमेरिका में यह कदम केवल गूगल पर लगाम लगाने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह टेक इंडस्ट्री में प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने और नई तकनीक व कंपनियों को प्राथमिकता देने का एक बड़ा प्रयास भी है।

इससे पहले किन ब्राउजर की बिक्री हुई

ओपेरा ब्राउजर (Opera) की बात करते हैं, जो अपने समय का एक लोकप्रिय ब्राउजर था। वर्ष 2016 600 मिलियन डॉलर में बेचा गया था। उस समय ओपेरा के लगभग 350 मिलियन सक्रिय यूजर्स थे। इसके साथ ब्राउजर्स के बिक्री के शुरुआती मामलों में नेस्केप नेविगेटर का नाम आता है। इसकी बिक्री 1999 में हुआ था और AOL (America Online) ने 4.2 बिलियन डॉलर के शेयरों में सौदा किया था। यह 1990 के दशक का एक लोकप्रिय ब्राउजर था, लेकिन माइक्रोसॉफ्ट के इंटरनेट एक्सप्लोरर के साथ प्रतिस्पर्धा में कमजोर पड़ गया।

 

2005 में सफारी और वेबकिट टेक्नोलॉजी को एप्पल ने खरीदा था। तब Apple ने WebKit को और विकसित कर इसे अपने ब्राउजर 'Safari' का हिस्सा बनाया लिया। सफारी अभी भी Apple के डिवाइसों का डिफॉल्ट ब्राउजर है। साथ ही मोजिला फायरफॉक्स को सीधे नहीं बेचा गया, लेकिन Mozilla Foundation ने इसके लिए Yahoo और Google से सर्च इंजन डील्स में अरबों डॉलर कमाए। 2014 में Yahoo ने फायरफॉक्स डिफॉल्टर सर्च इंजन बनने के लिए 375 मिलियन डॉलर प्रतिवर्ष का करार किया था।

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