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कैसे काम करता है ChatGPT? आसान भाषा में समझें पूरी प्रोसेस

ChatGPT और Grok जैसे AI टूल्स आज हमारी रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा बन गए हैं। मगर क्या आपने सोचा है कि यह काम कैसे करता है?

chatgpt works

प्रतीकात्मक तस्वीर। (AI Generated Image)

नौकरी के लिए जाने से पहले इंटरव्यू की तैयारी कैसे करनी है? अपनी दोस्त को गिफ्ट में क्या दे सकते हैं? आपके मन में जो कुछ भी सवाल आते हैं, वह सब कुछ ChatGPT जैसे AI टूल्स से पूछ सकते हैं। कुछ सालों में ChatGPT जैसे AI टूल्स रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा बन गया है। 


ChatGPT चंद सेकंड में वह सबकुछ बता सकता है, जो आप पूछते हैं। उदाहरण के लिए आपने पूछा कि आलू-टमाटर की सब्जी कैसे बनानी है? ChatGPT कुछ ही सेकंड में पूरी रेसिपी बता देगा।


मगर कभी सोचा है कि यह सब होता कैसे है? दरअसल, ChatGPT या Grok जैसा कोई भी AI टूल 'डिजिटल दिमाग' की तरह होता है। इसमें लाखों-करोड़ों किताबों, खबरों, इंटरनेट और सोशल मीडिया पर मौजूद हर जानकारी मौजूद है। जब कोई सवाल पूछता है तो इस डेटा को खंगाला जाता है और उसका जवाब देता है। इसे इस तरह से ट्रेन किया है कि यह सिर्फ वही जवाब देता है, जो पूछा जाता है।

 

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आज ChatGPT जैसे AI टूल्स हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा बन गए हैं। ऐसे में स्टेप बाय स्टेप समझते हैं कि ChatGPT काम कैसे करता है? और कैसे आपके छोटे से छोटे और बड़े से बड़े सवाल का जवाब चंद सेकंड में दे देता है? 

कैसे काम करता है ChatGPT?

  1. आप अपना सवाल ChatGPT से पूछते हैं। इसे 'Prompt' कहा जाता है।
  2. मैसेज को स्कैन किया जाता है। देखा जाता है कि मैसेज में कोई ऐसी बात तो नहीं जो हिंसा को बढ़ावा दे या पॉलिसी के खिलाफ हो।
  3. मैसेज को छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़ा जाता है, जिसे 'Token' कहा जाता है। मसलन, आपने पूछा 'भारत की राजधानी क्या है?' तो इसे 'भारत', 'की', 'राजधानी' 'क्या' 'है' '?' में तोड़ा जाएगा। 
  4. हर टोकन को एक वेक्टर यानी नंबर में बदला जाता है, और उसमें जानकारी जोड़ी जाती है ताकि पता चले कौनसा शब्द कहां आया है।
  5. मॉडल को यह बताना जरूरी है कि कौनसा टोकन पहले, कौन-सा बाद में है। इसलिए हर वेक्टर में पोजिशन नंबर ऐड कर दिया जाता है। 
  6. मॉडल कई लेयर्स से इन वेक्टरों को गुजारता है। 'सेल्फ अटेंशन' हर टोकन को बाकी सब टोकनों से 'रिलेट' कराता है कि कौनसा शब्द किससे ज्यादा जुड़ा है।
  7. मॉडल एक बार में जितने टोकन देख सकता है उसे कहते हैं 'Context Window'। जब आप कोई सवाल पूछते हैं, तो हर बार आपका पूरा prompt और पिछली बातचीत अपने नेटवर्क में लोड करता है। 
  8. एक-एक करके अगले टोकन का अनुमान लगाता है। अगला टोकन क्या होना चाहिए, इसकी 'Probability Distribution' निकलती है।
  9. इन probabilities से असल टोकन चुना जाता है। यही प्रोसेस टोकन-दर-टोकन दोहरती है, जिससे पूरा जवाब बनता जाता है। इसलिए जवाब हमें स्ट्रीमिंग में आते हुए दिखते हैं।
  10. मॉडल सीखे हुए पैटर्न से जवाब का फॉर्मेट तय करता है। हेडिंग, पॉइंट्स, उदाहरण, चेतावनी, संदर्भ वगैरह-वगैरह। पिछली चैट में पूछे गए सवाल या निर्देश का भी ध्यान रखा जाता है।
  11. फाइनल टेक्स्ट को फिर से चेक किया जाता है। देखा जाता है कि जवाब में कुछ संवेदनशील या कोई ऐसी बात तो नहीं आ गई है, जो पॉलिसी का उल्लंघन करती हो। उसके बाद सबसे आखिर में जवाब आ जाता है।

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मिली सेकंड में होता है यह सबकुछ

ChatGPT या Grok जैसे AI टूल्स में यह सारी प्रोसेस मिलीसेकंड में हो जाती है। यह AI टूल्स लाइव इंटरनेट नहीं है। इसलिए यह वही बता पाता है जो इसे सिखाया गया है या इसके डेटा में मौजूद है। वैसे तो इनके डेटा में वह सबकुछ है जो इंटरनेट पर है लेकिन कई बार कुछ ऐसी चीजें भी होती हैं जो इसके डेटाबेस में नहीं होती। ऐसी स्थिति में यह इंटरनेट से डेटा निकालता है।


किसी भी सवाल का जवाब ढूंढने के लिए इसके दो रास्ते हैं। पहला- ट्रेनिंग डेटा से जवाब ढूंढता है। यानी, इसके डेटा में पहले से ही करोड़ों-अरबों सवालों के जवाब मौजूद हैं। दूसरा- अगर सवाल नया है तो वेब सर्च की मदद लेता है। 

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