इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइसेशन- ISRO को एक बड़ा झटका तब लगा जब 18 मई को एक जरूरी अर्थ ऑबसर्वेशन सैटेलाइट- EOS-9 को लॉन्च में सफलता नहीं मिली। यह सैटेलाइट पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल PSLV-C61 रॉकेट के जरिए भेजा जा रहा था लेकिन उड़ान भरने के करीब सात मिनट बाद ही रॉकेट बीच में ही रुक गया और मिशन फेल हो गया।
इस असफलता के बाद ISRO ने इसकी गहराई से जांच के लिए एक समिति का गठन किया है, जिसमें आधे से ज्यादा सदस्य देश के बड़े और प्रतिष्ठित संस्थान जैसे- IISc और IIT में हैं। समिति को जून के बीच तक रिपोर्ट देने की उम्मीद है। इस बीच ISRO ने रॉकेट से जुड़े तमाम तकनीकी आंकड़े समिति को सौंप दिए हैं।
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ISRO ने अपने स्तर पर भी कई आंतरिक समितियां बनाई हैं जो PSLV के हर पहलू की गहराई से जांच कर रही हैं। बता दें कि PSLV को भारत का सबसे भरोसेमंद रॉकेट माना जाता है, जिसकी सफलता 94% से ज्यादा है। अब तक इसके 63 मिशनों में सिर्फ चार बार ही विफलता हुई है।
तीसरे चरण में गड़बड़ी की आशंका
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, PSLV-C61 की विफलता के पीछे रॉकेट के तीसरे चरण में गड़बड़ी मुख्य कारण हो सकती है। यह रॉकेट उड़ान के दौरान 20,160 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ रहा था, जब श्रीहरिकोटा से लगभग 888 किमी दूर हिंद महासागर के ऊपर यह 6.26 मिनट की उड़ान के बाद गिरने लगा।
जानकारों का मानना है कि तीसरे चरण में विस्फोट नहीं हुआ लेकिन इस चरण के इग्नीशन के करीब 100 सेकंड बाद उसमें 'दबाव में गिरावट' देखी गई, जिससे रॉकेट को स्पीड और ऊंचाई नहीं मिल पाई। ISRO चीफ वी. नारायणन ने बताया कि तीसरे चरण के मोटर केस में दबाव कम होने की पुष्टि हुई है।
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ISRO के पूर्व अध्यक्ष और PSLV टेक्नॉलोजी के विशेषज्ञ डॉ. जी. माधवन नायर के अनुसार, तीसरे चरण में लगे लगभग 8 टन वजनी ठोस ईंधन मोटर के फाइबर केसिंग में दरार या टूट-फूट इस विफलता की प्रमुख वजह हो सकती है। हालांकि, हर पहलू की गहराई से जांच की जा रही है।
फिलहाल ISRO ने PSLV रॉकेट के आने वाले लॉन्च को रोक दिया है, जब तक कि जांच पूरी न हो जाए और समस्या का हल न हो जाए। दूसरे रॉकेट्स की उड़ानें जारी रहेंगी क्योंकि PSLV का तीसरा चरण दूसरे रॉकेट्स से अलग होता है — यह एकमात्र रॉकेट है जो ठोस ईंधन का इस्तेमाल करता है।