भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला इस समय Axiom-4 मिशन के अंतिम चरण में हैं और उन्होंने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष केंद्र (ISS) में विज्ञान और खेती को लेकर एक अनोखा प्रयोग किया है। वह इस समय एक तरह से किसान की भूमिका में नजर आ रहे हैं, क्योंकि उन्होंने अंतरिक्ष में मेथी और मूंग के बीजों को अंकुरित किया है। यह एक खास वैज्ञानिक स्टडी का हिस्सा है जिसका उद्देश्य यह जानना है कि जीरो ग्रेविटी का पौधों के विकास पर क्या असर होता है।
आने वाले समय के लिए अभी से तैयारी
इस स्टडी में बीजों को ‘पेट्री डिश’ में बोया गया और फिर उन्हें खास तापमान पर ISS के फ्रीजर में रखा गया। इन बीजों की तस्वीरें भी ली गईं, ताकि इनके उगने की प्रक्रिया को समझने में मदद मिल सके। यह शोध एक बड़ा प्रयास है, ताकि भविष्य में अंतरिक्ष में टिकाऊ खेती संभव हो सके।
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यह प्रयोग कर्नाटक के धारवाड़ स्थित कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय और IIT धारवाड़ के वैज्ञानिक- रविकुमार होसामणि और सुधीर सिद्धपुरेड्डी के नेतृत्व में किया जा रहा है। इस स्टडी का लक्ष्य यह जांचना है कि जब यह बीज अंतरिक्ष से वापस धरती पर लाए जाएंगे, तो उनमें कोई बदलाव हुआ है या नहीं। यह बीज लंबे समय तक उगाए जाएंगे, ताकि उनके विषय में गहराई से जांच हो सके।
सिर्फ खेती तक सीमित नहीं है स्टडी
शुभांशु शुक्ला सिर्फ खेती पर ही स्टडी नहीं करेंगे, इसके साथ उन्होंने स्टेम सेल्स पर भी स्टडी की है। इस स्टडी में यह जांचा गया है कि क्या स्टेम सेल में पोषक तत्व मिलाकर उन्हें तेजी से विकसित किया जा सकता है या नहीं। इससे शरीर को चोट से उबरने और स्वास्थ्य सुधार में मदद मिल सकती है। शुक्ला ने बताया कि इस अनुसंधान में काम करना उनके लिए गौरव और रोमांच की बात रही, खासकर जब उन्होंने ग्लव बॉक्स के अंदर सूक्ष्म जैविक प्रक्रियाओं के साथ प्रयोग किया।
इसके अलावा, शुभांशु शुक्ला माइक्रोएल्गी(सूक्ष्म शैवाल) के एक अन्य स्टडी में भी शामिल हैं। इन एल्गीज की खासियत यह है कि इनसे ऑक्सीजन और खाना दोनों बन सकता है, यहां तक कि उनसे बायो ईंधन भी बनाया जा सकता है। एल्गी किसी भी स्थिति में ढल सकते हैं, इसलिए वह भविष्य के लंबे अंतरिक्ष मिशन में बहुत काम आ सकते हैं।
अंतरिक्ष में भारतीय विज्ञान की भूमिका
शुभांशु शुक्ला ने एक्सिओम स्पेस की मुख्य वैज्ञानिक लूसी लो से बातचीत में यह कहा कि उन्हें गर्व है कि वह इसरो और भारत के वैज्ञानिक संस्थानों की ओर से अंतरिक्ष में शोध कर रहे हैं। यह अनुभव उनके लिए न केवल पेशेवर रूप से गौरवपूर्ण है, बल्कि वह इसे भारत के लिए एक वैज्ञानिक सेतु की भूमिका के रूप में भी देख रहे हैं।
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उन्होंने यह भी बताया कि आईएसएस में उनके शोध कार्य अलग-अलग क्षेत्रों से जुड़े हैं — कृषि, जैविक विज्ञान, अंतरिक्ष जीवनशैली और मानसिक स्वास्थ्य से लेकर स्टेम सेल और सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव तक। उनके अनुसार, यह अनुभव उन्हें भविष्य की अंतरिक्ष यात्राओं के लिए तैयार कर रहा है।
पृथ्वी पर कब लौटेंगे शुभांशु शुक्ला
शुभांशु शुक्ला Axiom-4 मिशन के तहत भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए ISS पर गए हैं और वह इसपर 12 दिन बिता चुके हैं। मौसम की स्थिति के आधार पर 10 जुलाई के बाद किसी भी दिन पृथ्वी पर वापस लौट सकते हैं। हालांकि अभी नासा ने वापसी की अंतिम तारीख घोषित नहीं की है लेकिन यह तय है कि इस मिशन की कुल अवधि 14 दिन की होगी।