मेटा ने अपनी ऊर्जा आवश्यकता को पूरा करने और पर्यावरण में स्थिरता लाने के अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिए परमाणु ऊर्जा का उपयोग करने की योजना बनाई है। कंपनी ने 2030 की शुरुआत तक अमेरिका में 1 से 4 गीगावाट नई परमाणु ऊर्जा क्षमता विकसित करने के लिए प्रस्ताव मांगे हैं। हालांकि, एक औसत अमेरिकी परमाणु संयंत्र लगभग 1 गीगावाट बिजली उत्पन्न करता है।
गोल्डमैन सैक्स की रिपोर्ट के अनुसार, 2023 से 2030 के बीच डेटा सेंटर की बिजली खपत तीन गुना बढ़ने की उम्मीद है। इसे देखते हुए मेटा भविष्य में अपनी ऊर्जा की मांग को पूरा करने के लिए सक्रिय रूप से कदम उठा रहा है। अनुमान है कि इस दौरान में 47 गीगावाट अतिरिक्त बिजली क्षमता की आवश्यकता होगी।
परमाणु ऊर्जा क्षमता बढ़ाना है मुश्किल काम
हालांकि, इस समयसीमा में परमाणु ऊर्जा क्षमता बढ़ाना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है। अमेरिकी परमाणु नियामक आयोग (NRC) पहले से ही काफी व्यस्त है, और इसमें यूरेनियम ईंधन की आपूर्ति से संबंधित समस्याएं भी हो सकती हैं। इसके अलावा, स्थानीय लोग और संगठन इस परमाणु योजना के खिलाफ विरोध भी कर सकते हैं।
इन टेक कंपनियों ने शुरू की पहल
मेटा की यह योजना दर्शाती है कि कई कंपनियां अब अपने डेटा सेंटर को स्थायी रूप से ऊर्जा देने के लिए नए तरीकों की तलाश कर रही हैं। इस साल की शुरुआत में, माइक्रोसॉफ्ट और कॉन्स्टेलेशन एनर्जी ने पेन्सिलवेनिया के थ्री माइल आइलैंड संयंत्र में एक रिएक्टर को फिर से शुरू करने की योजना की घोषणा की थी, जो डेटा सेंटर के लिए पहली ऐसी परियोजना होगी। इसी तरह, अमेजन ने टेलन एनर्जी के साथ साझेदारी कर एक परमाणु ऊर्जा संचालित डेटा सेंटर खरीदा है।
मेटा छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर (SMRs), जो अभी तक व्यावसायिक रूप से उपलब्ध नहीं हैं, और बड़े परमाणु रिएक्टर्स दोनों का मूल्यांकन करने की योजना बना रहा है। इसके लिए मेटा ने एक ‘रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल’ (RFP) प्रक्रिया शुरू की है, जिसमें प्रस्ताव जमा करने की अंतिम तिथि 7 फरवरी 2025 है। बता दें कि सोलर और विंड एनर्जी जैसे ऊर्जा स्रोत की तुलना में, परमाणु ऊर्जा में ज्यादा निवेश, लंबा समय और कड़े नियमों के पालन की आवश्यकता होती हैं।