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चांद पर पहली बार हुआ GPS का इस्तेमाल, समझिए NASA ने कैसे किया कमाल

नासा और इटली की स्पेस एजेंसी ने मिलकर इतिहास रच दिया है। पहली बार चांद की सतह पर GPS का इस्तेमाल किया गया है जिससे आने वाले समय में काफी मदद मिल सकती है। 

lunar surface

चांद की सतह की तस्वीर, Photo Credit: NASA

अमेरिकी स्पेस एजेंसी यानी नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) ने एक और कमाल करके इतिहास रच दिया है। नासा ने पहली बार चांद पर जीपीएस का इस्तेमाल किया है। पहली बार ऐसा हुआ है कि चांद की सतह पर ग्लोबल नेविगेशन सैटलाइट सिस्टम (GNSS) के सिग्नल रिसीव किए गए और उन्हें ट्रैक भी किया जा सका। इस कामयाबी के बाद NASA के मिशन में पोजिशनिंग, वेलोसिटी और टाइम मापने के मामले में अभूतपूर्व कामयाबी मिल सकती है। यह कामयाबी NASA ने इटली की स्पेस एजेंसी के साथ मिलकर हासिल की है। 

 

रिपोर्ट के मुताबिक, चांद पर मौजूद लूनर GNSS रिसीवर एक्सपेरीमेंट (LuGRE) ने 3 मार्च को जीपीएस सिग्नल रिसीव और ट्रैक किए। इस सफलता के बाद NASA को आर्टेमिस मिशन या ऐसे अन्य मिशन संबंधी रिसर्च में काफी मदद मिलेगी। इसके जरिए, नासा किसी मिशन की पोजीशन, रफ्तार और उसके समय को आसान से ट्रैक कर सकेगा।

 

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GNSS सिग्नल क्या होते हैं?

 

GNSS सिग्नल में रेडियो वेव्स का इस्तेमाल किया जाता है। पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगाने वाले सैटलाइट ये GNSS सिग्नल छोड़ते हैं जिनके जरिए पोजीशन, नेविगेशन और टाइमिंग जैसी जानकारी जुटाई जा सकती हैं। हम जिस GPS का इस्तेमाल अपने मोबाइल फोन या अन्य डिवाइस में करते हैं, वह ऐसा ही एक GNSS सिग्नल है। GPS के अलावा अन्य सिग्नल गैलीलियो, BeiDou और GLONASS हैं।

 

चांद पर कैसे पहुंचा LuRGE?

 

आपको बता दें कि हाल ही में यानी 2 मार्च को फायरफ्लाई एयरोस्पेस के ब्लू घोस्ट लूनर लैंडर के साथ यह LuGRE मिशन भेजा गया था। ब्लू घोस्ट लैंडर के साथ कुल 10 पेलोड भेजे गए थे जिसमें से एक LuRGE भी था। इसके लैंड करने के बाद ही अमेरिका के मैरीलेंड के गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर में मौजूद LuGRE पेलोड के ऑपरेटर्स ने इस पर काम शुरू कर दिया था और उन्हें जल्द ही कामयाबी भी मिल गई।

 

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रिपोर्ट के मुताबिक, यह LuGRE अगले 14 दिन तक काम करता रहेगा जिससे इस नैविगेशन सिस्टम को और अच्छे तरीके से जांचा-परखा जा सकेगा। बता दें कि यह LuGRE इटैलियन स्पेस एजेंसी का पहला हार्डवेयर है जो चांद पर पहुंचा है। इससे पहले 21 जनवरी को LuGRE सबसे ज्यादा ऊंचाई से सिग्नल रिसीव करने वाला डिवाइस बना था और इसने 2.1 लाख मील दूर पृथ्वी से सिग्नल रिसीव किया था। 20 फरवरी को यह 2.43 लाख मील हो गया।

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