NISAR यानी NASA-ISRO Synthetic Aperture Radar मिशन, NASA और ISRO का एक साझा अंतरिक्ष मिशन है, जो पृथ्वी की सतह की निगरानी के लिए तैयार किया गया है। यह सैटेलाइट दुनिया के भू-भाग और बर्फीले इलाकों की निगरानी करेगा, जिससे जलवायु परिवर्तन, भूकंप, हिमनदों के पिघलने और अन्य प्राकृतिक गतिविधियों का सटीक विश्लेषण किया जा सकेगा।
इस सैटेलाइट को 15 मई 2025 को श्रीहरिकोटा (आंध्र प्रदेश) स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र पर पहुंचा दिया गया। इससे पहले, इसे बेंगलुरु में इसरो के सेटेलाइट इंटीग्रेशन एंड टेस्ट एस्टेब्लिशमेंट (ISITE) में पूरी तरह से जांचा-परखा गया था। अब यह सैटेलाइट जुलाई 2025 में GSLV मार्क II रॉकेट के जरिए अंतरिक्ष में भेजा जाएगा।
NISAR में देरी की वजह
NISAR मिशन को कई महीनों की देरी का सामना करना पड़ा। इसका मुख्य कारण था सैटेलाइट के एक प्रमुख उपकरण – रडार ऐंटेना रिफ्लेक्टर – में आई तकनीकी खामी। यह हिस्सा नासा के जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी (JPL) ने बनाया था।
जब इसमें एक निर्माण दोष पाया गया, तो इसे अमेरिका भेजकर मरम्मत की गई। यह ऐंटेना पृथ्वी की सतह से सूक्ष्म तरंगें (microwaves) भेजने और प्राप्त करने में मदद करता है, जिससे सटीक इमेज और डेटा प्राप्त होता है।
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NISAR क्या करेगा?
- यह सैटेलाइट हर 12 दिन में लगभग पूरी पृथ्वी के भू-भाग और बर्फ़ीले क्षेत्रों को स्कैन करेगा। इससे प्राप्त होने वाली जानकारी निम्नलिखित कार्यों में सहायक होगी:
- हिमनदों और बर्फ की चादरों के आकार में बदलाव की स्टडी।
- समुद्री बर्फ के इलाकों में विस्तार या सिकुड़न पर स्टडी।
- भूकंप, ज्वालामुखी और भूस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाओं के बाद धरती की सतह में बदलाव की निगरानी।
- जंगल, कृषि भूमि और जल संसाधनों में बदलावों की जानकारी देना सब शामिल है।
NISAR की तकनीकी खासियत
NISAR दुनिया का पहला ऐसा सैटेलाइट है जिसमें दो अलग-अलग फ्रीक्वेंसी पर काम करने वाले रडार लगे हैं:
- L-बैंड रडार: नासा के JPL द्वारा बनाया गया।
- S-बैंड रडार: ISRO के स्पेस एप्लिकेशन सेंटर, अहमदाबाद द्वारा बनाया गया है।
इन दोनों रडार की मदद से सैटेलाइट अच्छी क्वालिटी वाली तस्वीरें भेजेगा, जो पर्यावरण में किसी भी बदलाव को बारीकी से पकड़ सकेंगी। यह पहला मौका है जब NASA और ISRO ने मिलकर पृथ्वी अवलोकन सैटेलाइट के लिए हार्डवेयर साझा रूप से तैयार किया है। यह मिशन जलवायु परिवर्तन की रोकथाम, आपदा पूर्व चेतावनी, और स्मार्ट कृषि योजनाओं में भी मददगार होगा।