हाल ही में OpenAI के CEO सैम ऑल्टमैन ने एक अहम और चौंकाने वाला बयान दिया है। उन्होंने खुद माना है कि लोग ChatGPT जैसे AI टूल्स पर जिस तरह का भरोसा कर रहे हैं, वह थोड़ा अजीब है। OpenAI के पहले पॉडकास्ट एपिसोड में कहा कि AI अक्सर गलत या भ्रामक जानकारी दे सकता है और ऐसे में इस पर अंधा विश्वास करना खतरनाक हो सकता है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि ChatGPT जैसी तकनीकों को ज्यादा भरोसेमंद नहीं समझना चाहिए, क्योंकि यह 100% सही नहीं होतीं।
सैम ऑल्टमैन ने यह भी माना कि ChatGPT में समय के साथ कई नए फीचर्स जुड़े हैं, जैसे 'पर्सिस्टेंट मेमोरी' यानी यूजर की पसंद और पिछली बातचीत को याद रखने की क्षमता। इसके अलावा कंपनी विज्ञापन आधारित मॉडल पर भी विचार कर रही है
प्राइवेसी से जुड़े सवाल भी उठे हैं- ऑल्टमैन
हालांकि, ऑल्टमैन उन्होंने कहा कि इन नए अपडेट्स के साथ कुछ गंभीर प्राइवेसी से जुड़े सवाल भी उठे हैं। ऑल्टमैन का कहना था कि तकनीक की सीमाओं और खामियों के बारे में लोगों को पूरी ईमानदारी से बताना ज़रूरी है। उन्होंने खुद स्वीकार किया कि ChatGPT जैसी AI अभी भी बहुत अधिक भरोसेमंद नहीं है।
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इस बातचीत के दौरान ऑल्टमैन ने कंपनी के खिलाफ चल रहे कानूनी मामलों पर भी प्रतिक्रिया दी। न्यूयॉर्क टाइम्स के साथ-साथ कई बड़े मीडिया ग्रुप्स ने OpenAI पर कॉपीराइट उल्लंघन का आरोप लगाया है। इसका जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि कंपनी पारदर्शिता और जवाबदेही के सिद्धांतों पर काम कर रही है और इन विवादों को भी गंभीरता से ले रही है।
एक और अहम मोड़ तब आया जब सैम ऑल्टमैन ने AI से जुड़ी तकनीकी जरूरतों पर अपनी पुरानी राय बदली। पहले उन्होंने कहा था कि AI के लिए नए हार्डवेयर की जरूरत नहीं पड़ेगी लेकिन अब उन्होंने स्वीकार किया है कि मौजूदा कंप्यूटर और डिवाइस उस समय के लिए बनाए गए थे जब AI मौजूद नहीं था। अब जब AI हर क्षेत्र में आ रहा है, तो नए तरह के कंप्यूटर और डिवाइसेज की जरूरत पड़ेगी जो यूजर की जिंदगी और माहौल को बेहतर तरीके से समझ सकें।