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Olo: न नीला, न हरा, ऐसा रंग जिसे अबतक सिर्फ 5 लोगों ने देखा

अमेरिका के वैज्ञानिकों ने एक नए रंग को ढूंढा है, जिसका नाम Olo रखा गया है। इस रंग को सिर्फ 5 लोगों ने देखा।

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सांकेतिक चित्र(Photo Credit: Canva Image)

अमेरिका के वैज्ञानिकों ने हाल ही में एक अनोखा और चौंकाने वाला प्रयोग किया है, जिसमें उन्होंने पांच लोगों को ऐसा रंग दिखाया है, जिसे पहले कभी किसी इंसान ने नहीं देखा था। इस नए रंग को वैज्ञानिकों ने ‘Olo’ नाम दिया है। यह रंग हमारे सामान्य अनुभव से बिल्कुल अलग बताया गया है।

कैसे की गई यह स्टडी?

इस स्टडी को University of California, Berkeley के वैज्ञानिकों की टीम ने अंजाम दिया। उन्होंने लेजर तकनीक और एडवांस ट्रैकिंग सिस्टम का इस्तेमाल करके यह प्रयोग किया। यह तकनीक सीधे आंख की रेटिना (retina) में मौजूद एक-एक कोन सेल (cone cell) को टारगेट करती है। इंसानों की आंखों में तीन तरह की कोन सेल होते हैं – L (लंबी तरंग), M (मध्यम तरंग), और S (छोटी तरंग)। यही सेल्स मिलकर हमें अलग-अलग रंग देखने में मदद करती हैं।

 

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वैज्ञानिकों ने M cone (मध्यम तरंग की कोशिका) को अकेले सक्रिय किया और बाकी दो कोनों को निष्क्रिय रखा। इससे एक ऐसा रंग उत्पन्न हुआ, जो सामान्य स्थिति में देखना असंभव होता है।

नए रंग 'Olo' कैसा दिखता है?

इस प्रयोग में भाग लेने वाले पांचों लोगों ने ‘Olo’ को नीले और हरे के मिश्रण जैसा बताया लेकिन उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि इस वर्णन से उसकी वास्तविक सुंदरता और गहराई को व्यक्त नहीं किया जा सकता।

 

विज्ञान विशेषज्ञ ऑस्टिन रूर्डा (Austin Roorda) ने कहा, ‘Olo ऐसा रंग है जिसे कोई भी स्क्रीन या तस्वीर नहीं दिखा सकता। यह रंग हमारी सामान्य दृष्टि से परे है।”

इलेक्ट्रिकल इंजीनियर रेन एनजी (Ren Ng) ने बताया, ‘हमने पहले ही अंदाजा लगाया था कि कुछ अनोखा देखने को मिलेगा लेकिन जब हमने इसे देखा, तो यह वाकई हैरान करने वाला था। Olo बहुत तेज और गहरा रंग है।’

क्या बाकी दुनिया ‘Olo’ देख सकेगी?

रेन एनजी ने साफ कहा कि Olo को फिलहाल देख पाना मुमकिन नहीं है। उन्होंने बताया कि यह सिर्फ बुनियादी विज्ञान है और यह तकनीक अभी तक किसी टीवी, मोबाइल या VR हेडसेट में लाने लायक नहीं है। यह तकनीक काफी आगे की बात है, जिसे आम लोग आसानी से अनुभव नहीं कर सकते।

 

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क्या यह वास्तव में कोई नया रंग है?

हालांकि इस प्रयोग ने विज्ञान में नई हलचल मचा दी है लेकिन कुछ विशेषज्ञ इससे सहमत नहीं हैं। लंदन में बने सिटी, सेंट जॉर्ज यूनिवर्सिटी के जॉन बारबुर नाम के विजन वैज्ञानिक ने इस खोज को लेकर शंका जताई है। उनका कहना है कि यह कोई नया रंग नहीं है, बल्कि यह एक बहुत अधिक गहरा हरा है, जो केवल M cone के माध्यम से दिखाया जा सकता है, और वह भी तभी जब बाकी cone निष्क्रिय हों।

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