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'स्पेस से नमस्कार, खूब सो रहा हूं', आ गया शुभांशु शुक्ला का पहला संदेश

अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन की ओर रवाना हुए भारतीय अंतरिक्षयात्री ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने स्पेस से ही एक वीडियो मैसेज भेजा है और अपना हालचाल बताया है।

shubhanshu shukla and team

स्पेस में मौजूद अंतरिक्षयात्री, Photo Credit: Axiom Mission

Axiom Mission 4 पर स्पेस में गए भारतीय ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला का एक वीडियो मैसेज आया है। अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (ISS) की ओर बढ़ रहे शुभांशु शुक्ला ने अपना अब तक का अनुभव बताया है और बताया है कि उन्हें कैसा महसूस हो रहा है। बार-बार मिशन टलने के मामले पर शुभांशु शुक्ला ने कहा है कि लॉन्च के समय वह भी यही सोच रहे थे कि अब लॉन्च हो ही जाना चाहिए। स्पेस में मौजूद शुभांशु शुक्ला का कहना है कि वह गलतियां कर रहे हैं और सीख भी रहे हैं। उन्होंने यह भी बताया है कि वह खूब सो रहे हैं और वहां के व्यू का मजा ले रहे हैं। शुभांशु और उनकी टीम आज शाम को लगभग साढ़े 4 बजे तक स्पेस स्टेशन पर पहुंच जाएगी।

 

खबर लिखे जाने तक यह कैप्सूल पृथ्वी से 416 किलोमीटर की ऊंचाई पर उड़ रहा है। स्पेस स्टेशन की ऊंचाई भी 370 से 460 किलोमीटर के बीच रहती है। अब शाम के साढ़े 4 बजे के आसपास यह कैप्सूल स्पेस स्टेशन तक पहुंच जाएगा और उसकी डॉकिंग की जाएगी। यानी यह कैप्सूल स्पेस स्टेशन के एक हिस्से से अटैच होगा और शुभांशु शुक्ला समेत चारों अंतरिक्षयात्री स्पेस स्टेशन के अंदर दाखिल हो जाएंगे। इसके बाद ये चारों कुछ दिन तक स्पेस स्टेशन में ही रहेंगे और वहां रिसर्च करने के बाद ही पृथ्वी पर लौटेंगे।

 

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क्या बोले शुभांशु शुक्ला?

 

अपने इस वीडियो में शुभांशु शुक्ला ने कहा, 'स्पेस से नमस्कार! मैं यहां स्पेस में अपने साथी अंतरिक्षयात्रियों के साथ बेहद उत्साहित हूं। क्या शानदार राइड थी। जब कल मैं लॉन्चपैड पर कैप्सूल में बैठा था तब मेरे मन में सिर्फ यही चल रहा था कि अब जाना ही है। 30 दिन के क्वारंटीन के बाद लग रहा था कि अब बस जाना ही है। हम लोग बेहद उत्साहित थे। जब राइड शुरू हुई तभी से मजा आ रहा था। फिर अचानक सबकुछ शांत हो गया और हम लोग वैक्यूम में तैरने लगे। इस मौके पर हर उस शख्स को धन्यवाद देना चाहता हूं जो इसका हिस्सा हैं। यह कोई व्यक्तिगत कामयाबी नहीं है। यह हम सबकी मेहनत का नतीजा है।'

 

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उन्होंने आगे कहा, 'मैं अपने परिवार और दोस्तों को भी धन्यवाद कहता हूं क्योंकि सबसे सपोर्ट से ही हम यहां तक पहुंचे हैं। हमने आपको स्वान दिखाया, यह भारतीय संस्कृति में बहुत अहमियत रखता है और यह विजडम का प्रतीक है। पोलैंड और हंगरी में भी ऐसे ही प्रतीक होते हैं। मैं शुरू में अच्छा महसूस नहीं कर रहा था। मुझे बताया गया है कि मैं खूब सो रहा था, इसका मतलब यह है कि मैं अच्छा कर रहा हूं और किसी बच्चे की तरह सीख रहा हूं। मैं व्यू का मजा ले रहा हूं और यहां चलना और खाना भी सीख रहा हूं।'

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