भारतीय वायुसेना में ग्रुप कैप्टन और Axiom-4 Mission के पायलट शुभांशु शुक्ला इस समय अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर हैं और उन्होंने वहां से लखनऊ में अपने परिवार से खास बातचीत की। यह अनुभव केवल उनके लिए ही नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए गर्व का क्षण बन गया। उन्होंने न केवल परिवार से जुड़कर भावनात्मक पल साझा किए, बल्कि अंतरिक्ष के दृश्य और दिनचर्या को भी उनके साथ बांटा।
शुभांशु ने जब अपने परिवार से सैटेलाइट वीडियो कॉल के ज़रिए बात की, तब उन्होंने अंतरिक्ष से धरती पर उगते सूरज का दृश्य भी लाइव दिखाया। यह अनुभव उनके माता-पिता और बहन के लिए किसी सपने से कम नहीं था। यह देखकर चकित रह गए कि महज 20 मिनट के अंदर ही आईएसएस पर दोपहर हो गई, जबकि धरती पर उस समय सुबह थी। इसकी वजह यह है कि स्पेस स्टेशन हर 90 मिनट में पृथ्वी की एक पूरा चक्कर लगा लेता है।
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सैटेलाइट वीडियो कॉल पर हुई यह बातें
शुभांशु ने परिवार को बताया कि शुरुआत के तीन दिन उन्हें सिर में भारीपन और अजीब महसूस हुआ था, क्योंकि शरीर को गुरुत्वाकर्षण की कमी के वातावरण में ढलने में समय लगता है। अब वह पूरी तरह से एडजस्ट हो चुके हैं। उन्होंने यह भी बताया कि वहां नींद लेना आसान नहीं होता — कभी छत पर, तो कभी दीवार से चिपककर सोना पड़ता है। क्योंकि वहां गुरुत्वाकर्षण नहीं है, शरीर हवा में तैरता है। वे जहां सोते हैं, जागते किसी और जगह हैं।
शुभांशु के पिता ने बताया कि उनके बेटे ने उन्हें स्पेस स्टेशन की पूरी सैर करवा दी। उन्होंने लैब, भोजन करने की जगह और सोने का सेटअप भी दिखाया। उनकी मां आशा शुक्ला ने भावुक होते हुए कहा कि यह दृश्य जिंदगी भर उनकी यादों में रहेगा, जैसे कोई चमत्कार हो। पूरे परिवार के लिए वह पल कभी न भूलने वाला समय था।
इस दौरान शुभांशु ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हुई बातचीत का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि देश के प्रधानमंत्री जब खुद आपसे बात करें, तो उससे जो आत्मविश्वास मिलता है, वह शब्दों से परे है। फिलहाल उनकी धरती पर वापसी की तिथि तय नहीं हुई है।
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Axiom-4 मिशन के पायलट हैं शुभांशु शुक्ला
शुभांशु Axiom-4 मिशन का हिस्सा हैं, जो अमेरिका की प्राइवेट कंपनी Axiom स्पेस, नासा और SpaceX के सहयोग से संचालित हो रहा है। इस मिशन के तहत भारत ने 548 करोड़ रुपए खर्च कर एक सीट सुरक्षित की थी। इस मिशन में शुभांशु भारत के शैक्षणिक संस्थानों के 7 वैज्ञानिक प्रयोग कर रहे हैं, जिनमें जैविक परीक्षणों के साथ-साथ नासा के सहयोग से 5 अन्य प्रयोग भी शामिल हैं। यह सभी प्रयोग आने वाले के स्पेस मिशन के लिए महत्वपूर्ण डेटा देंगे।
अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन एक बड़ी प्रयोगशाला की तरह है, जो धरती के चारों ओर 28,000 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से घूमता है। यह हर 90 मिनट में एक बार पृथ्वी की परिक्रमा पूरी कर लेता है। यहां विश्व की पांच बड़ी स्पेस एजेंसियों के सहयोग से प्रयोग किए जाते हैं।