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1,600 डिग्री तापमान पर भी कैसे कूल रहते हैं अंतरिक्ष यात्री?

जानें कि सुनीता विलियम्स और उनकी टीम को इस मिशन में ड्रैगन कैप्सूल ने किस तरह सुरक्षित रखा?

Image of Space Capsule

ड्रैगन कैप्सूल(Photo Credit: NASA/X)

SpaceX के ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट ने 286 दिनों तक अंतरिक्ष में रहने के बाद अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और उनकी टीम को सुरक्षित पृथ्वी पर वापस लाया। बुधवार को फ्लोरिडा के तट पर भारतीय समयानुसार सुबह 03:27 बजे समुद्र में स्प्लैशडाउन हुआ। इनके साथ नासा के निक हेग और रूस की रोस्कोस्मोस एजेंसी के अलेक्जेंडर गोर्बुनोव भी 17 घंटे की लंबी यात्रा के बाद लौटे।

कितनी होती है कैप्सूल की रफ्तार?

हालांकि यह खुशी का पल था लेकिन इसके पीछे कई चुनौतियां भी थीं। खासकर, जब ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट पृथ्वी के वायुमंडल में दोबारा प्रवेश कर रहा था। उस समय कैप्सूल की गति 28,800 किलोमीटर प्रति घंटा तक पहुंच गई थी। इतनी ज्यादा रफ्तार की वजह से वायुमंडल में प्रवेश करते ही स्पेसक्राफ्ट के बाहरी हिस्से का तापमान 1,600 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया। हालांकि, ड्रैगन कैप्सूल की खास हीट-शील्ड तकनीक ने अंदर बैठे अंतरिक्ष यात्रियों को पूरी सुरक्षा प्रदान की।

 

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ड्रैगन कैप्सूल में किस चीज का किया गया था इस्तेमाल

ड्रैगन कैप्सूल में खास हीट-रेजिस्टेंट चीजों का इस्तेमाल किया जाता है, जिसे PICA (Phenolic-Impregnated Carbon Ablator) कहा जाता है। यह एक हल्का लेकिन बहुत ज्यादा गर्मी को सहन कर सकता है, जिसे सबसे पहले NASA ने तैयार किया था। बाद में SpaceX ने भी अपने स्पेसक्राफ्ट में इसका इस्तेमाल शुरू किया। जैसे ही स्पेसक्राफ्ट पृथ्वी के वातावरण में दाखिल हुआ, तेज गर्मी की वजह से कैप्सूल के बाहर का सफेद रंग जल कर भूरे रंग में बदल गया लेकिन अंदर बैठे अंतरिक्ष यात्री सुरक्षित रहे।

स्प्लैशडाउन के समय क्या होता है?

ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट की सेफ लैंडिंग में पैराशूट अहम भूमिका निभाते हैं। छह पैराशूट में से सबसे पहले, दो छोटे ड्रोग पैराशूट खुलते हैं जो स्पेसक्राफ्ट को स्थिर करते हैं। फिर, चार बड़े मुख्य पैराशूट खुलते हैं जो स्पेसक्राफ्ट की गति को धीरे-धीरे कम कर देते हैं। स्प्लैशडाउन के समय कैप्सूल की रफ्तार 25 किलोमीटर प्रति घंटा तक लाने का लक्ष्य होता है।

 

समुद्र में गिरने के तुरंत बाद नासा और SpaceX की टीम स्पेसक्राफ्ट तक पहुंचती है और गैस लीक जैसी संभावित खतरों की जांच करती है। सब कुछ ठीक मिलने पर ही हैच खोला जाता है और यात्रियों को बाहर निकाला जाता है।

 

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इतनी लंबी अंतरिक्ष यात्रा के बाद सभी यात्रियों का गहन चिकित्सा परीक्षण किया जाएगा। अंतरिक्ष में रहने से हड्डियों की कमजोरी, मांसपेशियों में क्षय, रेडिएशन का असर और दृष्टि पर प्रभाव जैसे स्वास्थ्य समस्याओं की जांच की जाएगी।

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