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पृथ्वी पर लौटने के बाद अंतरिक्ष यात्री क्यों जाते हैं ग्रैविटी रीहैब?

सुनीता विलियम्स पृथ्वी पर लौटने के बाद ग्रैविटी रीहैब कर रही हैं। जानिए क्यों होता है ये अंतरिक्ष यात्रियों के लिए जरूरी?

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ISS पर सुनीता विलियम्स।(Photo Credit: NASA)

अंतरिक्ष यात्रा बहुत ही रोमांचक होती है लेकिन यह हमारे शरीर के लिए कई चुनौतियां भी लेकर आती है। जब कोई अंतरिक्ष यात्री जैसे सुनीता विलियम्स अंतरिक्ष से लौटते हैं, तब उन्हें शारीरिक रूप से फिर से स्वस्थ होने के लिए एक खास तरह के रीहैब से गुजरना पड़ता है। ऐसा इसलिए क्योंकि अंतरिक्ष में ग्रैविटी की कमी शरीर के लगभग हर हिस्से पर असर डालता है। आइए जानते हैं कि अंतरिक्ष यात्रा शरीर पर क्या प्रभाव डालती है और इससे कैसे निपटा जाता है।

मांसपेशियों की कमजोरी और हड्डियों की क्षति

पृथ्वी पर हम हर समय ग्रैविटी के खिलाफ खड़े रहते हैं, चलते हैं और शरीर को संतुलित रखते हैं। इससे हमारी मांसपेशियां मजबूत रहती हैं। हालांकि, अंतरिक्ष में ग्रैविटी नहीं है, जिससे शरीर को कोई ऊर्जा नहीं मिलती और मांसपेशियां काम करना बंद कर देती हैं। इसका नतीजा होता है मांसपेशियों की कमजोरी, खासतौर पर पैरों, पीठ और पेट की मांसपेशियों में।

 

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इसी तरह, हड्डियों पर भी असर होता है। अंतरिक्ष में हड्डियों की डेंसिटी हर महीने 1-2% तक घट जाती है। इससे शरीर कमजोर हो जाता है और पृथ्वी पर लौटने पर हड्डियां जल्दी टूट सकती हैं। इसलिए अंतरिक्ष में हर दिन एक्सरसाइज से मांसपेशियों की शक्ति बनाए रखी जाती है। पृथ्वी पर लौटने के बाद सहनशक्ति बढ़ाने वाले एक्सरसाइज और संतुलन बनाने पर काम किया जाता है।

ब्लड फ्लो और दिल पर प्रभाव

पृथ्वी पर ग्रैविटी की वजह से खून शरीर के निचले हिस्से में ज्यादा रहता है लेकिन अंतरिक्ष में यह ऊपर की ओर खिसक जाता है। इससे चेहरे फूले हुए और टांगें पतली लगती हैं। यह बदलाव शरीर में कई बदलाव ला देता है, जिससे खून की मात्रा कम हो जाती है और धरती पर लौटने पर चक्कर व बेहोशी हो सकती है। दिल को भी खून पंप करने में कम मेहनत लगती है, जिससे वह थोड़ा कमजोर पड़ सकता है।

 

इसको फिर से सुचारु बनाने के लिए हल्की साइक्लिंग, तैराकी और रोइंग की जाती है, जिससे दिल की शक्ति वापस पाई जाती है। साथ टिल्ट टेबल पर लेटकर ब्लड फ्लो को सामान्य करने वाली एक्सरसाइज की जाती है। इस दौरान खास तरह compression garments पहनकर खून को पैरों में बनाए रखा जाता है।

दिमाग और संतुलन पर असर

अंतरिक्ष में ऊपर-नीचे का एहसास नहीं होता है, जिससे अंतरिक्ष यात्री शुरुआत में चक्कर, उल्टी और असंतुलन का अनुभव करते हैं। पृथ्वी पर लौटने के बाद भी चलने-फिरने में परेशानी और किसी चीज को लेकर प्रतिक्रिया देने के समय में देरी होती है।

 

इसके लिए स्टेबिलिटी एक्सरसाइज जैसे अस्थिर सतह पर चलना और आंखों की रफ्तार से जुड़े एक्सरसाइज किए जाते हैं। शरीर और अंगों के तालमेल को सुधारने के लिए ताई ची या वर्चुअल रियलिटी पर आधारित एक्सरसाइज किया जाता है।

पाचन और आंतों पर असर

पृथ्वी पर ग्रैविटी खाने को निगलने और इसे पचाने में मदद करता है लेकिन अंतरिक्ष में यह प्रक्रिया धीमी हो जाती है। इसके अलावा, अंतरिक्ष में शरीर में पानी की कमी और आंतों की अच्छी बैक्टीरिया कम हो जाते हैं, जिससे पाचन बिगड़ता है।

 

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इसके लिए इस दौरान रेशेदार खाने को लेना ताकि पाचन सही हो जाए। प्रोबायोटिक लेना जिससे आंतों के बैक्टीरिया ठीक रहे। वहीं इस दौरान पानी और इलेक्ट्रोलाइट का सही तरह लेना एक उपाय होता है।

दिखाई देने पर होता है असर

अंतरिक्ष में कुछ यात्रियों को आंखों से दिखाई देने में परेशानी होती है, जिसे SANS कहा जाता है। इसमें आंखों पर दबाव बढ़ जाता है जिससे धुंधला दिखने लगता है। इसके लिए आंखों के लिए खास एक्सरसाइज किया जाता है। और नमक और तरल चीजें जैसे, पानी, दूध आदि का सीमित सेवन किया जाता है ताकि आंखों में दबाव न बढ़े।

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