logo

ट्रेंडिंग:

काजीरंगा नेशनल पार्क क्यों है इतना खास, गिन लीजिए खूबियां

Assam Tourism: कभी सोचा है कि किसी प्रदेश का हर हिस्सा खूबसूरत हो? अगर नहीं तो आप एक बार असम चले जाइए। पहाड़ी से लेकर मैदानी इलाकों तक, ये प्रदेश, पर्यटकों के बीच बेहद लोकप्रिय है।

Kaziranga National Park

काजीरंगा नेशनल पार्क, Image Credit: Kaziranga National Park Official Website

पूर्वोत्तर के सबसे खूबसूरत प्रदेशों में से एक है असम। असमिया गमछा, बीहू डांस, वहां की संस्कृति दो दुनियाभर में प्रसिद्ध हैं लेकिन कुछ शहर और जगहें ऐसी हैं, जहां जाकर आप असम को सही मायनों में समझ सकते हैं। असम की ऐसी ही एक जगह है काजीरंगा नेशनल पार्क। यह जंगली जानवरों के लिए स्वर्ग है। यहां दुनियाभर से पर्यटक वन्य जीवन को समझने, डॉक्यूमेंट्री शूट करने आते हैं। यहां आज भी कई ऐसे विलुप्तप्राय जीव दिख जाते हैं, जिन्हें वाइल्ड लाइफ (प्रोटेक्शन) एक्ट 1972 के तहत रेड लिस्ट में रखा गया है।

 

काजीरंगा नेशल पार्क में दुनिया के कई दुर्लभ जीव हैं। यहां ब्लैक पैंथर से लेकर गैंडों तक पाए जाते हैं। यहां गैंडों की ब्रीडिंग भी होती है। कठफोड़वा, लालहंस, नीलगिरी थार, गौर (भैंसों की एक प्रजाति), गिद्ध, स्नो लेपर्ड और बंगाल फ्लोरिकान जैसे दुर्लभ पशु-पक्षी यहां दिख जाते हैं। यहां लायन टेल्ड मैकाक्यू भी पाया जाता है। यह एक प्रकार का बंदर है, जिसका चेहरा बाघ की तरह होता है। काजीरंगा नेशनल पार्क पर शिकारियों की नजरें टिकी होती हैं। वे दुर्लभ जानवरों का शिकार करने आते हैं लेकिन साल 2019 से लेकर अब तक, शिकार की घटनाएं थमी हैं।

 

कौन करता है काजीरंगा के जानवरों की हिफाजत?


काजीरंगा नेशनल पार्क में जानवरों की हिफाजत के लिए करीब 1000 सुरक्षाकर्मी तैनात रहते हैं, वहीं शिकारियों को पकड़ने के लिए 178 विशेष कैंप बनाए गए हैं। कई संवेदनशील जगहों पर कैमरे लगे हैं। लोगों की आवाजाही पर नजर रखी जाती है। इसके लिए 5 जिलों पर नजर रखनी पड़ती है।

 

काजीरंगा के पहरेदारों को दोहरी चुनौती से जूझना पड़ता है। उन्हें एक तरफ जंगली जानवरों के हमले का डर होता है, वहीं दूसरी तरफ शिकारियों से भी जूझना पड़ता है। हर कैंप पर 3 से 4 फॉरेस्ट गार्ड होते हैं। हर गार्ड पर 4 से 5 किलोमीटर की जिम्मेदारी होती है।

 

फॉरेस्ट गार्ड्स को साइकिल से मार्च करना होता है। कई बार सामने से गैंडे या तेंदुओं की टक्कर हो जाती है, जिसमें जान भी जोखिम में पड़ जाती है। काजीरंगा के सुरक्षाकर्मियों को गोलाघाट, नागांव, सोनितपुर जैसे इलाकों के अधिकारियों के भी संपर्क में रहना पड़ता है। 

 

यहां केंद्र सरकार की एजेंसियां भी सक्रिय होती हैं। यह राज्य और केंद्र सरकार का संयुक्त उपक्रम है। 1974 के बाद से काजीरंगा का आकार बढ़ाया गया है। यहां 5000 से ज्यादा वन्य जीव रहते हैं। यहां पर्यटन के लिए लोग आते हैं। यहां 1000 करोड़ रुपये से ज्यादा का टर्नओवर सिर्फ पर्यटन से होता है। 

 

टाइगर रिजर्व, गेंडा रिजर्व, बेहद खास है असम का ये पार्क


काजीरंगा नेशनल पार्क में बाघों की संख्या भी अच्छी-खासी है। इसे साल 2006 में टाइगर रिजर्व घोषित किया गया था। यहां वन्य जीव सरंक्षण का काम राज्य और केंद्र सरकार मिलकर देखती है। यहां जलीय जंतुओं की संख्या भी अधिक है। ब्रह्मपुत्र नदी की वजह से यहां मगरमच्छ भी बहुतायत हैं। यहां नदियां हैं, झरने हैं और कई झीलें हैं। 

 

ये जानवर हैं खास आकर्षण


काजीरंगा नेशनल पार्क में एक सींग वाला गेंडा, हिब्बन, बाघ, शेर, हाथी, स्लॉथ भालू, जंगली जल भैंसा, हिरण की कई दुर्लभ किस्में पाई जाती हैं। यहां के बड़े-बड़े तालाबों में दुनियाभर से प्रवासी पक्षी आते हैं। सर्दी, गर्मी और बरसात हर मौसम में लोग यहां आना पसंद करते हैं लेकिन बारिश के कुछ महीने यहां बेहद मुश्किलभरे होते हैं।

 

चुनौतियां क्या हैं?


काजीरंगा नेशनल पार्क के बीच से ही नेशनल हाईवे गुजरता है। यह राह हाथियों के लिए सुरक्षित पार्क से गुजरती है, जिसकी वजह से यात्रियों के टकराव की स्थितियां पैदा हो जाती हैं। कई बार हाथियां भी इस रूट पर चोटिल हो जाती हैं।

 

कब है आने का सही वक्त?


काजीरंगा नेशनल पार्क पर्यटकों के लिए 1 मई से लेकर 31 अक्तूबर तक बंद रहता है। नवंबर से लेकर अप्रैल तक इसे पर्यटकों के लिए खोला जाता है। अगर आप जंगल सफआरी पर निकलना चाहते हैं तो आपको सही वक्त जान लेना चाहिए। जीप सफारी के लिए समय सुबह 8 बजे से लेकर 10 बजे तक है। 2 बजे से लेकर 4 बजे से दूसरी पार्टी में पर्यटकों को घुमाया जाता है। काजीरंगा नेशनल पार्क के आसपास ऑरेंज नेशनल पार्क, होलोनगापर गिब्बन सैंक्चुअरी, कोकोचांग फाल जैसी जगहें हैं, जहां आप घूम सकते हैं। 

 

Related Topic:#Tourism

शेयर करें

संबंधित खबरें

Reporter

और पढ़ें

हमारे बारे में

श्रेणियाँ

Copyright ©️ TIF MULTIMEDIA PRIVATE LIMITED | All Rights Reserved | Developed By TIF Technologies

CONTACT US | PRIVACY POLICY | TERMS OF USE | Sitemap