पश्चिम बंगाल का दार्जिलिंग शहर, वह पहाड़ी हिस्सा है, जहां देशभर से लाखों पर्यटक हर महीने आते हैं। दार्जिलिंग शहर से माउंट कंचनजंगा, भूटान हिमालय और माउंट एवरेस्ट साफ दिखता है। सिंगलीला रेंज की मनमोहक खूबसूरती भी इस शहर से दिखती है। इस शहर में सुंदर घाटियां हैं, जलाशय हैं, झीलें हैं और नदियां हैं। यहां के हरे-भरे चाय के बागान बेइंतहा खूबसूरत हैं।
दार्जिलिंग में कई ऐसी जगहें हैं, जिन पर पर्यटक जान लुटाते हैं। दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे को लोग टॉय ट्रेन के तौर पर जानते हैं। यह हरी-भरी वादियों में कोयले से चलने वाली खूबसूरत ट्रेन है, जो दार्जिलिंग घाटी की सैर कराती है। दार्जिलिंग शहर में ही किम्पोंग, मिरिक लेक, कुर्सियांग, सेवोके, कोरोनेशन ब्रिज, लावा, लोलेगांव, संदक्फू, लामाहट्टा और टिंचुले।
दार्जिलिंग टॉय ट्रेन
दार्जिलिंग में टॉय ट्रेन साल 1881 में स्थापित हुई थी। यह एक नौरो गेज रेलवे है, जिसे साल 1999 में यूनेस्को ने विश्व धरोहर स्थल घोषित किया था। यह ट्रेन न्यू जलपाईगुडी से लेकर दार्जिलिंग के बीच चलती है। यह करीब 88 किलोमीटर की दूरी तय करती है। यह ट्रेन ऊंची पहाड़ियों से लेकर झीलों और झरनों के बीच से गुजरती है।
कलीपोंग की खूबसूरत वादियां
कलीपोंग शहर की खूबसूरत वादियों को देखकर आप हैरान रह जाएंगे। यह समुद्र तल से करीब 1,250 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह तीस्ता नदी घाटी और ऊंची कंचनजंगा पर्वतमाला की खूबसूरत वादियों को दिखाता है। यहां तिब्बती, नेपाली और लेप्चा समुदायों का प्रभाव है, जो यहां की वास्तुकला में भी झलकता है। यहां फूलों की लंबे खेत हैं, नर्सरियां हैं और बौद्ध मठ हैं। यहां अंग्रेजों के बनाए मकान हैं, जो सहज ही लोगों को लुभाते हैं।
मिरिक झील
दार्जिलिंग की मिरिक झील को सुमेंदु झील भी कहते हैं। यह बेहद खूबसूर जगह है। यहां लोग पिकनिक मनाने आते हैं। यह पर्यटकों के बीच खास प्रसिद्ध है।
कुर्सियांग
कुर्सियांग इलाका आर्किड के लिए फेमस है। यहां ब्रिटिश कालीन कई इमारते हैं, जिन्हें देखने लोग आते हैं। कुर्सेओंग में भीड़ कम है, यहां लोग शांति की तलाश में आथे हैं। यहां भी कई मठ हैं, मंदिर हैं जो पर्यटकों को लुभाते हैं। यहां कई ऐतिहासिक भवन हैं।