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चेरापूंजी: सालभर सावन, खूबसूरत वादियां, क्या है इस शहर की खासियत?

चेरापूंजी शहर का पुराना नाम शोरा था। इसे अंग्रेज, चेरा कहने लगे। यहां सालभर बारिश होती है। यह शहर बेहद खूबसूरत है। क्या-क्या यहां खास है, आइए जानते हैं।

Eco Park of Cherapunji

चेरापूंजी ईको पार्क, Image Credit: Social Media

मेघालय, जिसका अर्थ है 'बादलों का मंदिर।' इसी प्रदेश में एक शहर है चेरापूंची। वही शहर, जहां की बारिश पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। कहते हैं कि यहां हर साल 36 फीट से ज्यादा बारिश होती है। सोचिए जहां साल में एक महीना सावन का आता है और मौसम कितना खुशनुमा हो जाता है, यहां तो सालभर सावन रहता है। यहां के झरनों सालभर पानी गिरता रहता है। छोटे-छोटे झरने इस शहर को और खूबसूरत बनाते हैं। यह भारतीय सिनेमा के निर्देशकों की पसंदीदा जगह है।

 

यह बेहद ऊंचाई पर है और यहां की मनोरम घाटियां लोगों का मन लुभाती हैं। लोगों को यकीन तक नहीं होता कि ऐसा भी शहर भारत में है। यहां अंग्रेजों और डचों की बनाई गई और छोड़ी गई कई मारते हैं, विशाल मैदान हैं, छोटी नदिया हैं, आसमान में मंडराते बादल हैं। 

 

यहीं से आपको दूर बंगाल की खाड़ी दिखती है। चेरापूंची में छोटे-छोटे पुल, खूबसूरत गांव, पहाड़ियों पर बने मकान और हरी-भरी जगहें लोगों को बहुत लुभाती हैं। यहां हमेशा खुशनुमा मौसम होता है। यहां की सीढ़ियों पर काई, प्रकृति की कारीगरी लगती है। इस शहर के आसपास कई छोटे-छोटे गांव हैं, ऊंची-ऊंची सीढ़ियां हैं। अगर यहां घूमना है तो बेहतर है कि आप पैदल आएं।

 

चेरापूंजी का पुराना नाम शोरा भी है। यह शहर ऐतिहासिक विरासतों का शहर है। ब्रिटिश, डच और फ्रांसीसियों का ये पसंदीदा शहर रहा है। यहां खासी जनजाति के लोग पहले बड़ी संख्या में रहते थे। 18वीं शताब्दी के बाद बड़ी संख्या में लोग धर्म बदलकर ईसाई बने। 

 

मतलब सालभर झमाझम बारिश। बेपनाह हरियाली और खूबसूरत सा पुराना शहर। मेघालय का यह शहर कई मायनों में बेहद खास है। कई फिल्मों की कहानी, इस शहर के ईर्दगिर्द ही बुनी गई है। आज भी जब खूबसूरत लोकेशन की बात आती है तो लोग इस शहर को चुनते हैं। 

 

कहां है ये शहर?


यह शहर मेघालय की राजधानी शिलॉन्ग से महज 50 किलोमीटर की दूरी पर है। चेरांपूजी के हर हिस्से में सालभर बारिश होती है। पश्चिम बंगाल से उठने वाले बादल यहां की पहाड़ियों से ही टकराकर बरस पड़ते हैं। 

 

चेरापूंजी में क्या देखें?


पूरा शहर ही देखने लायक हैं लेकिन यहां सेवन सिस्टर फाल, डबल डेकर रूट ब्रिज, डेंटथिलेन वाटरफॉल और खासी मोनोलिथस जैसी कई जगहें हैं।

 

क्या है इस शहर की मुश्किल?


हैरानी की बात ये है कि इस शहर में सालभर झमाझम बारिश होती है फिर भी एक बड़ी आबादी को साफ पानी के लिए तरसना पड़ता है। उन्हें लंबी दूरी तय करके साफ पानी मिलता है। यह यहां के लोगों की समस्या बन गई है। यहां प्राकृतिक तौर पर बने पुल हैं, जिन्हें स्थानीय लोग संरक्षित करते हैं।ये पुल घंटों की चढ़ाई की राह आसान बनाते हैं। लोग यहां ट्रेक्किंग के लिए भी आथे हैं। यहां कई पहाड़ियां हैं, जहां लोग ट्रेक्किंग के लिए आते हैं। 

 

कहां ठहरें?


चेरापूंजी में कई रिसॉर्ट, कॉटेज और छोटे होटल हैं, जहां आप ठहर सकते हैं। अगर आपको चलने में दिक्कत न हो तो आसपास कई गांव हैं, जहां आप थोड़ा चलकर, अपने पैसे बचा सकते हैं और मजे से यहां कई दिन ठहर सकते हैं। यहां के स्थानीय लोग होम स्टे भी कराते हैं। 

 

चेरापूंजी में क्या खाएं?


यहां शाकाहारी और मांसाहारी दोनों तरह के पारंपरिक खाने परोसे जाते हैं। आमतौर पर लोग पॉर्क-राइस यहां की फेमस डिश है। यहां के खान-पान पर असम का प्रभाव देखने को मिलता है।  

 

कब है घूमने का सही समय?


जनवरी, फरवरी, मार्च, अप्रैल और मई यहां आने का सही वक्त है। सितंबर, अक्तूबर, नवंबर और दिसंबर में भी पर्यटक आते हैं। 

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